वर्तमान समय में खेती करना एक फैशन बन गया है, पहले जहाँ लोग बहुत ही साधारण तरीके से खेती किया करते थे वहीं अब लोग नए-नए वैज्ञानिक तरीके ढूँढ रहे हैं खेती करने के लिए, जिससे कम खर्चे में ज़्यादा मुनाफा हो। अब ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ पुरुष ही खेती करते हैं महिलाएँ भी अब इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और खेती करने में अपना भागीदारी निभा रही हैं। आज की कहानी में इस बात को फिर से साबति किया है अनुपम कुमारी ने।
बिहार राज्य के सीतामढ़ी जिले की रहने वाली अनुपम कुमारी ने स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद अपने पिता के साथ ही खेती करने का फ़ैसला लिया। अनुपम के पिता खेती करने के साथ-साथ शिक्षण कार्यों से भी जुड़े हुए थे। लेकिन अनुपम के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।
इतने कम पैसे में गुज़ारा करना बहुत मुश्किल था। इसलिए उनके पिता ने शिक्षण को छोड़ पूरे समय के लिए खेती करने का विचार किया। पढ़ाई करने के बाद अनुपम बाहर नौकरी के लिए ना जाकर खेती में अपने पिता कि मदद करने की सोची।
कहाँ लिया प्रशिक्षण?
अनुपम को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने का ना ही अनुभव था और ना ही ज्ञान। यह सीखने के लिए की वैज्ञानिक तरीके से खेती कैसे किया जाता है सबसे पहले अपने पिता के साथ कृषि अनुसंधान केंद्र गई, जहाँ उन्होंने केंचुआ खाद का उत्पादन और मशरूम की खेती कैसे किया जाए इसका अध्ययन-अध्ययन किया।
इसके बाद भी उन्होंने खेती के नए-नए तरीके को जानने और सीखने के लिए के लिए पटना, सीतामढ़ी तथा दिल्ली के विभिन्न संस्थाओं में जाकर इसका प्रशिक्षण लेना शुरू किया।
मात्र 500 रूपए के लागत से शुरू की खेती
अपना प्रशिक्षण पूरा कर गाँव लौटने के बाद अनुपम सबसे पहले मशरूम की खेती की शुरुआत 500 वर्ग फुट के खेत में और सिर्फ़ 500 रुपए से की। अनुपम ने बताया कि इससे पहले उनके गाँव मैं किसी ने भी मशरूम की खेती नहीं की थी और ना ही मशरूम के बारे में उन्हें कोई जानकारी थी।
गाँव के किसान मशरूम को गोबरचट्टा के नाम से जानते थे। इसलिए गाँव के लोग अनुपम का सहयोग और समर्थन ना कर उनका मज़ाक उड़ाने लगे और यह कहते थे कि देखो यह लड़की गोबरचट्टे की खेती कर रही है। लेकिन अनुपम इन बातों से हतोत्साहित ना होकर ख़ुद को और भी मज़बूत बनाती थी।
वह कहते हैं कि सफल इंसान कभी किसी की नकारात्मक बातों पर ध्यान ना देकर हमेशा अपने काम में प्रयासरत रहता है और आगे चलकर पहली नकारात्मक लोग सफल व्यक्ति को अपना रोल मॉडल मानने लगते हैं और ठीक ऐसा ही हुआ अनुपम के साथ भी। उनकी मेहनत रंग लाई और मशरूम की खेती करने के सिर्फ़ 3 महीने में ही उन्हें 10 हज़ार की आमदनी हुई। 500 रुपए लगाकर अनुपम को 20 गुना अधिक कमाई हुई थी
क्या है खेती की वर्तमान स्थिति?
अब अनुपम ख़ुद ही वर्मी कंपोस्ट भी बनाती हैं जिसमें वह गेहूँ के भूसे और फुस का उपयोग करती हैं और साथ ही किसानों को इसकी विधि भी बताती हैं। अब हर 3 महीने में उनके उगाए हुए लगभग 50 क्विंटल मशरूम की बिक्री होती है, जिससे अनुपम को अच्छी-खासी आमदनी भी हो जाती है। अब अनुपम से लोग इतने ज़्यादा प्रेरित हैं कि वहाँ की लगभग सभी महिलाएँ उनसे खेती के ये सारे गुण को सीखती हैं। अब अनुपम ने खेती के साथ-साथ मछली पालन और गार्डनिंग का काम भी शुरू किया है।
पहले सिर्फ़ वही लोग खेती किया करते थे और अपना जीवन यापन करते थे जिसके पास ख़ुद का ज़मीन होता था। लेकिन अब लोग ज़मीन को लीज पर लेकर, या खरीद कर भी खेती करते हैं। यह पूर्णतः अब एक व्यवसाय का रूप ले चुका है। पुरुष के साथ-साथ महिलाओं को भी कृषि क्षेत्र में कई सारे अवॉर्ड्स मिल रहे हैं। कई युवा और महिलाएँ देश विदशो से अच्छी खासी नौकरी को छोड़ खेती की तरफ़ अग्रसर हो रहे हैं और ख़ुद के साथ-साथ कई लोगों को रोजगार देकर उनका भविष्य भी उज्ज्वल कर रहे हैं।