आज के दौर में सोशल मीडिया को एक बहुत ही कारगार माध्यम माना जाता है, जिसके जरिए बस एक ही क्लिक में कोई भी जानकारी शेयर की जा सकती है। लेकिन कई लोगों के लिए सोशल मीडिया दिखावा करने और ज़्यादा से ज़्यादा लाइक्स पाने का साधन बन चुका है, इसलिए तो इंटरनेट पर रोजाना ऐसी-ऐसी पोस्ट शेयर की जाती हैं जिन्हें देखकर किसी का भी मन पसीज जाए।
लेकिन ज़रूरतमंद इंसान की मदद करने वाले पोस्ट को लाइक और शेयर करने से पहले क्या आपने कभी सोचा है कि आपके इस क़दम से उस व्यक्ति को क्या फायदा होगा। क्योंकि वह न तो सोशल मीडिया का यूज करता है और न ही लाइक्स और शेयर के जरिए पैसे कमाता है, तो फिर इंटरनेट पर शेयर की जाने वाली इन पोस्ट से किसी गरीब की मदद कैसे हो सकती है।
इंटरनेट पर ज़रूरमंदों की मदद का दिखावा
भारत की गिनती उन देशों में की जाती है, जहाँ गरीबी, भुखमरी और बेरोज़गारी अपने चरम पर है। कुछ लोग मेहनत मजदूरी करके दो वक़्त की रोटी जुटा पाते हैं, तो कुछ सड़कों पर भीख मांगने के लिए मजबूर हैं। इसके अलावा हमारे समाज में एक वर्ग ऐसा भी है, जो अपने घर से दूर शहरों में छोटी मोटी नौकरी करता है और उससे मिलने वाली तनख्वाह से अपने परिवार का भरण पोषण करता है।
इस कोशिश में कई बार शहर में अकेला कमाई करने वाला व्यक्ति दिन भर मेहनत करके रात को रूखा, सूखा खाकर जीवन व्यतीत करने पर मजबूर होता है, ऐसी ही एक तस्वीर हाल के दिनों में इंटरनेट पर जमकर वायरल हुई थी। इन तस्वीरों में एक गार्ड को प्याज के टुकड़ों और लहसुन के साथ चावल खाते हुए देखा गया, तस्वीर के साथ एक मैसेज भी लिखा गया था ‘घर की ज़रूरतों को पूरा करने वाले अक्सर रूखा खाकर ही पेट भर लेता है’। इस तस्वीर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जमकर लाइक और शेयर किया गया, लेकिन ऐसा करने से उस गार्ड को क्या फायदा हुआ, उसकी मदद के लिए कौन आगे आया… अगर आप इस बात की सच्चाई जान लेंगे, तो इंटरनेट पर सिर्फ़ पोस्ट लाइक करके मोबाइल साइड में नहीं रखेंगे।
Manusia contoh…Kerja rajin… Gaji sama banyak je dgn orang lain.. Tapi kenapa dia makan nasi putih + kuah air masak +…
Posted by Apit Lid on Saturday, March 6, 2021
वायरल तस्वीरें, लेकिन कोई नहीं करता मदद
प्याज और लहसुन के साथ चावल खाने वाले गार्ड की ही तस्वीर एकमात्र उदाहरण नहीं है हमारे सभ्य समाज का, बल्कि इंटरनेट पर रोजाना ऐसी कई तस्वीरें शेयर की जाती हैं जिसमें भूख के आगे इंसान की बेबसी को देखकर किसी की आंखों से भी आंसू निकल जाए। हाल ही में एक वायरल वीडियो में एक शख़्स को कूड़ेदान में से रोटी उठाकर उसे हेंडपंप के पानी से धोकर खाते हुए देखा गया, जो मन को बेहद विचलित करने वाला नजारा था।
लेकिन उस शख़्स के आसपास से गुजर रहे किसी भी व्यक्ति ने न तो रूक कर उसकी मदद की और न ही उसे साफ़ भोजन खिलाने की कोशिश की। जिस किसी ने भी उस व्यक्ति को गंदी रोटी खाते हुए देखा, नजरें फेर कर दूसरी तरफ़ देखता हुए आगे बढ़ गया। यह घटना इस बात को दर्शाती है कि सोशल मीडिया और इंटरनेट के इस ज़माने में इंसान ऑनलाइन तो प्यार और मदद का दिखावा कर सकता है, लेकिन असल ज़िंदगी में वह बहुत कठोर हो चुका है।
लाइक्स के लिए नहीं बल्कि दिल से करें मदद
वहीं जो लोग इंटरनेट पर इस तरह के बेबस और लाचार लोगों की तस्वीरें शेयर करके ज़्यादा से ज़्यादा लाइक्स पाने की होड़ कर रहे हैं, उनके अंदर भी इंसानियत ख़त्म होती जा रही है। हर कोई सिर्फ़ अपना फायदा सोच रहा है, किसी को इस बात से मतलब नहीं कि जिस व्यक्ति की तस्वीर वायरल हो रही है क्या उसे सच में मदद मिली या नहीं। कोई ये जानने की कोशिश नहीं करता कि प्याज और लहसुन के साथ चावल खाने वाले उस गार्ड को बेहतर खाना मिला या नहीं।
हमारे कहने का मतलब सिर्फ़ इतना है कि सोशल मीडिया की इस दुनिया में वायरल होने वाली हर पोस्ट को सिर्फ़ लाइक और शेयर मत कीजिए। बल्कि ग्राउंड लेवल पर जाकर उस पीड़ित व्यक्ति की मदद करने की कोशिश कीजिए, जिसकी तस्वीरों को शेयर करके कोई दूसरा व्यक्ति मुनाफा कमा रहा है। ज़रूरतमंद लोगों की मदद कीजिए, उन्हें देखकर नजरें फेरने से अच्छा है कि आप हाथ बढ़ाकर उनको सहारा दें। क्या पता आपकी ये कोशिश किसी की ज़िंदगी को बेहतर बहुत बेहतर बनाने का काम करे।