” अपनी हैसियत का कभी गुमान न करो यारों, उड़ान ज़मीन से शुरू होगी और ज़मीन पर खत्म! “ ये पंक्तियाँ हमें ज़िन्दगी की वास्तविकता से रूबरू कराती हैं कि जो इंसान आज छोटे स्तर का, निर्धनता का जीवन जी रहा है, वह भी एक दिन आसमान की बुलंदियों को छू सकता है। हमें कई ऐसे उदाहरण मिलते रहते हैं, जिसमें बच्चे गरीब मां-बाप का सपना पूरा करके उन्हें गर्व का अनुभव करवाते हैं और माता-पिता भी हर हाल में अपने बच्चों को पढा लिखाकर काबिल बनाते हैं, ताकि उन्हें भविष्य में ग़रीबी का दुख ना झेलना पड़े।
आज हम ऐसे ही एक पिता के बारे में बताने जा रहे हैं, जो उत्तर प्रदेश के चंदौली में सफ़ाई कर्मचारी हैं, उन्होंने आज से 10 साल पहले एक ऐसा सपना देखा, जिसके बारे में सुनकर लोगों ने कहा कि यह तुम्हारी हैसियत से बाहर है, ऐसा कहकर लोग उनका मज़ाक उड़ाया करते थे, पर पिता ने हार नहीं मानी, जिसके फलस्वरूप आज उन्हीं सफ़ाई कर्मचारी पिता का बेटा इंडियन आर्मी में ऑफिसर बन गया है और जो लोग उन पर हंसते थे वही आज उन्हें बधाइयाँ देने आ रहे हैं।
पिता का सपना था बेटा बने आर्मी ऑफिसर, बेटे ने बनकर दिखाया
हम जिन पिता की बात कर रहे हैं, उनका नाम है बिजेंद्र कुमार (Bijendra kumar), जो एक सफ़ाई कर्मचारी हैं और अपने बेटे की कामयाबी के बारे में याद करते 10 साल पहले का किस्सा बताते हुए कहते हैं कि उस वक़्त जब उन्होंने अपने गाँव के ही कुछ व्यक्तियों को अपनी इच्छा बताते हुए कहा था कि ‘मैंने झाड़ू उठाई लेकिन मेरा बेटा अब बंदूक लेकर देश की सेवा करेगा’ , तो उनकी यह बात सुनकर वे सभी हंसने लगे थे। उनमें से कुछ लोगों ने तो यह सलाह भी दे दी कि ‘इतना बड़ा मत सोचो!’ , पर बिजेंद्र कुमार ने उनकी कही बातों व उनकी किसी फालतू सलाह पर ध्यान नहीं दिया और उनके सपने का मज़ाक बनाए जाने की भी परवाह नहीं की।
फिर उन्होंने अपने बड़े बेटे को पढ़ने के लिए राजस्थान (Rajasthan) भेज दिया। उन्होंने बेटे को इस मुकाम तक पहुँचाने के लिए जी तोड़ कोशिश की और नतीजन 12 जून, शनिवार के दिन बिजेंद्र का सपना पूरा हुआ। उनका 21 साल का बेटा सुजीत (Sujit) देहरादून के इंडियन मिलिट्री अकैडमी (IMA) से ग्रेजुएट हुआ, जिसे देख इस पिता की आंखों में ख़ुशी के आंसू छलक आए।
अपने गाँव के पहले आर्मी ऑफिसर बने सुजीत
चंदौली के बसीला गाँव के सुजीत ना केवल इंडियन आर्मी ऑफिसर बने हैं, बल्कि वे अपने गाँव से यह ख़ास उपलब्धि पाने वाले प्रथम व्यक्ति भी बने हैं। उनके छोटे भाई-बहन कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारियों में लगे हैं, अब उनके बड़े भाई सुजीत उनके लिए रोल मॉडल बन गए हैं।
सुजीत का परिवार इस समय वाराणसी में रहता है। उनके पिताजी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि ‘मैंने झाड़ू उठाई, पर मेरा बेटा अब बंदूक लेकर देश की सेवा करेगा। वह सेना में अधिकारी बनेगा’ यद्यपि अपने इस सपने को पूरा होता देखने के लिए सुजीत का परिवार पासिंग आउट परेड में शामिल नहीं हो पाया था, क्योंकि को रोना म हामारी में सुरक्षा नियमों की वज़ह से प्रतिभागियों के परिजनों को इस समारोह में शामिल होने की परमिशन नहीं दी गई थी। इस कारण से सुजीत की फैमिली ने टीवी पर ही इस पासिंग आउट पैरेड का लाइव टेलीकास्ट देखा। वैसे सुजीत भी चाहते थे कि वह इस ख़ास अवसर पर उनके माता-पिता समारोह में आ पाते और वे उनके चेहरों पर गौरव के भाव को देखें।
बच्चों की अच्छी पढ़ाई और करियर के लिए हरसंभव कोशिश करते हैं सुजीत के माता-पिता
बिजेंद्र कुमार (Bijendra kumar) के कुल 4 बच्चे हैं। उन्होंने जैसे अपने बड़े बेटे सुजीत को पढ़ा-लिखाकर काबिल बनाया, उसी प्रकार वे अपने बाक़ी बच्चों को भी उच्च शिक्षा प्रदान कराना चाहते हैं। उनका छोटा बेटा IIT की पढ़ाई करना चाहता है और उनकी दो बेटियों में से एक बेटी डॉक्टर व दूसरी IAS ऑफिसर बनना चाहती है। पिता बिजेंद्र कहते हैं कि बच्चों की पढ़ाई के लिए वे उन्हीं के साथ वाराणसी में रहा करते हैं, लेकिन उनकी पत्नी एक आशा कार्यकर्ता हैं, इसलिए उन्हें गाँव में अकेले ही रहना पड़ता है। जब समय मिलता है तो बिजेंद्र अपने गाँव में जाते रहते हैं। इस प्रकार से बच्चों की शिक्षा और भविष्य के लिए माता-पिता दोनों ही त्याग कर रहे हैं। उन्होंने फ़ैसला किया कि बच्चों के उज्ज्वल भविष्य हेतु वे हरसम्भव प्रयास करेंगे।
आपको बता दें कि सुजीत आर्मी ऑर्डिेनेंस कॉर्प्स जॉइन करना चाहते हैं। उन्हें आशा है कि उनकी इस सफलता से उनके गाँव के और प्रदेश के अन्य युवा भी प्रेरित होंगे और उनमें भी भारतीय सेना में जाकर देशसेवा करने की इच्छा जागृत होगी।