Raj Singh Patel: हर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है, जिसके लिए उसे अच्छी पढ़ाई लिखाई के साथ खूब मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि व्यक्ति सिर्फ पढ़ाई लिखाई के जरिए ही कामयाबी हासिल कर सकता है, क्योंकि सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए हुनर और मेहनत की जरूरत होती है।
ऐसे में आज हम आपको उस कारोबारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने 10वीं फेल होने के के बावजूद भी न सिर्फ अपना व्यापार जमाया बल्कि उसे तीन अलग अलग देशों में भी फैला चुके हैं। हम बात कर रहे हैं हरियाण के नट एंड बोल्ड कारोबारी राज सिंह पटेल (Raj Singh Patel) की, जिनकी संघर्ष भरी कहानी जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
कौन हैं राज सिंह पटेल? (Raj Singh Patel)
उत्तर प्रदेश के उन्नाव में शिवपुर (अचलगंज) नामक एक छोटा सा गांव मौजूद है, जहां राज सिंह पटेल (Raj Singh Patel) का जन्म हुआ था। राज सिंह के पिता सुंदरलाल पटेल छोटे किसान थे, जिनके लिए पांच बेटों और एक बेटी की परवरिश करना और उन्हें पढ़ना लिखाना बहुत ही मुश्किल काम था। हालांकि इसके बावजूद भी सुंदरलाल पटेल ने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की कोशिश की और उनका दाखिला स्कूल में करवा दिया।
लेकिन राज सिंह का मन शुरू से ही पढ़ाई लिखाई में नहीं लगता था, लेकिन पिता की मेहनत को देखते हुए उन्होंने 10वीं कक्षा तक स्कूल जाना जारी रखा। ऐसे में साल 1986 में जब 10वीं कक्षा के बोर्ड एग्जाम का रिजल्ट आया, तो राज फेल हो गए थे। इस बात पर उनके पिता सुंदरलाल ने उन्हें बहुत डांटा, जिसकी वजह से राज काफी निराश हो गए और वह घर छोड़कर भाग गए थे। ये भी पढ़ें – 100 साल पहले अंग्रेजों की नस्लीय भेदभाव का विरोध करने के लिए शुरू की गई ‘वाघ बकरी चाय’ की कहानी
राज सिंह पटेल (Raj Singh Patel) ने घर से भागकर उन्नाव से हरियाण के रोहतक शहर पहुंच गए थे, जहां उनका एक जानकार पहले से ही काम करता था। राज ने कुछ दिनों तक रोहतक में नौकरी की तलाश की, जिसके बाद उन्हें साल 1988 में एक कंपनी में खराद (Lathe) की मशीन पर काम की जॉब मिल गई।
इस दौरान राज सिंह सुबह 6 बजे से रात के 11 बजे तक लंबी लंबी शिफ्ट में काम किया करते थे, जिसकी वजह से काफी ज्यादा थक जाते थे। इतना ही नहीं जब तक उनके पास कोई नौकरी नहीं थी, जब उन्हें कई दिनों तक रोहतक की सड़कों पर रात गुजारनी पड़ी थी। इस दौरान उनके पास खाना खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे, जिसकी वजह से उन्हें कई रातें भूखे पेट गुजारनी पड़ी थी।
हालांकि कंपनी में नौकरी मिलने के बाद राज सिंह ने दिन रात मेहनत की और पैसे जमा करना शुरू कर दिया, क्योंकि वह अपना कारोबार शुरू करना चाहते थे। लेकिन इस बीच उनकी शादी हो गई और उनके ऊपर पत्नी व परिवार के भरन पोषण की जिम्मेदारी बढ़ गई थी, लेकिन राज सिंह तय कर चुके थे कि वह अपना बिजनेस शुरू करके रहेंगे।
घर से भागकर शुरू किया कारोबार
ऐसे में लगभग 9 साल तक नट एंड बोल्ड कंपनी में काम करने के बाद राज सिंह ने हिम्मत दिखाई और 75 हजार रुपए कर्ज लेकर साल 1995 में एक मशीन किराए पर ले ली थी, जिसके बाद उन्होंने खुद नट बोल्ट बनाने का काम शुरू कर दिया था।
इस काम में राज सिंह पटेल की पत्नी आशा पटेल ने भी उनका पूरा साथ दिया, क्योंकि कारोबार की शुरुआत करने के दौरान उनके पास वर्कर्स को तनख्वाह देने के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में राज सिंह मशीन पर नट बोल्ड बनाने का काम करते थे, जबकि उनकी पत्नी आशा पटेल पार्ट गिनने और उनकी पैकिंग करने का काम करती थी।
इस तरह पति पत्नी ने मिलकर नट बोल्ड बनाने का काम शुरू कर दिया, जो अगले दो साल में काफी अच्छी रफ्तार पकड़ चुका था। ऐसे में राज सिंह ने साल 1999 में खुद की मशीनें खरीदने और फैक्ट्री शुरू करने का फैसला किया, जिसके लिए उन्हें ताइवान की यात्रा करना पड़ी थी। ताइवान में सस्ती मशीनें मिलती थी, इसलिए उन्होंने वहां से मशीन खरीद ली।
इसके बाद साल 2003 में राज सिंह पटेल (Raj Singh Patel) ने रोहतक में नट बोल्ड मेकिंग कंपनी की नींव रखी और अपने कारोबार को आगे बढ़ने के लिए अन्य मशीनों की तलाश करने लगे, इस दौरान वह साल 2007 में अमेरिका और साल 2011 में फिर से ताइवान की यात्रा पर गए थे। इन देशों में राज सिंह पटेल ने मशीनों की मेकिंग और उनके कार्य करने के तरीके को देखा, जिसके बाद उन्होंने खुद मशीन बनाने का फैसला किया।
इस तरह राज सिंह पटेल ने अपनी मेहनत और एक्सपीरियंस के दम पर एक ऑटोमेटिक मशीन तैयार करने में सफलता हासिल कर ली, जिसे बनाने में उन्हें साढ़े तीन लाख रुपए खर्च करने पड़े थे। उनके द्वारा बनाई गई ऑटोमेटिक मशीन सामान्य मशीन की तुलना में ज्यादा तेजी से काम करती है, जो एक घंटे में कई नट बोल्ड का निर्माण करने में सक्षम है।
अपने गांव के युवकों को दिया रोजगार
भले ही राज सिंह पटेल (Raj Singh Patel) ने घर से भागकर अपने कारोबार की शुरुआत की थी, लेकिन उनके मन से कभी भी अपने गांव और घर का मोह नहीं गया था। ऐसे में जब उन्होंने रोहतक में अच्छा कारोबार जमा लिया, तो वह वापस अपने गांव पहुंच गए। जहां उन्होंने अपनी सफलता के लिए माता-पिता और ईश्वर का धन्यवाद किया और अपने कुल देवता के मंदिर में बड़ी पूजा करवाई थी। ये भी पढ़ें – दादा थे फैक्ट्री मजदूर और पिता चलाते थे कसाई की दुकान, बेटा बना दुनिया की सबसे महंगी कार पर चढ़ने वाला इकलौता भारतीय
इतना ही नहीं राज सिंह समय समय पर अपने गांव आते जाते रहते हैं, इस दौरान उनकी मुलाकात गांव के युवाओं से होती है। अगर कोई युवा राज सिंह के साथ काम करने में दिलचस्पी दिखाता है, तो वह उसे रोहतक की कंपनी में काम सीखा कर उसे नौकरी पर रख लेते हैं।
राज सिंह अब तक अपने गांव के 12 युवाओं को नट बोल्ड बनाने का काम सीखा चुके हैं, जो उनकी ही कंपनी में काम करते हैं। इतना ही नहीं राज सिंह ने जिन युवाओं का काम सीखाया था, उनमें से कुछ लोग रोहतक में ही अपना कारोबार जमा चुके हैं। यही वजह है कि गांव के लोग राज सिंह पटेल को काफी मानते हैं, जो युवाओं को व्यापार करने के लिए प्रेरित करते हैं।
राज सिंह पटेल (Raj Singh Patel) का मानना है कि अगर उन्हें सरकार की तरफ से मदद मिलती है, तो वह ऐसी ऑटोमेटिक मशीनों का निर्माण कर सकते हैं जो कम समय में ज्यादा उत्पादन दे सकती हैं। इससे देश में नट बोल्ड की कीमतों में कमी आएगी, जबकि उन मशीनों को छोटे गांव और कस्बों में भी इस्तेमाल करना आसान हो जाएगा।