बीते मंगलवार को UPSC सिविल सर्विस परीक्षा का रिजल्ट आ गया है जिसमें प्रदीप नाम के लडके ने रैंक 1 हासिल की है. 26वे रैंक पर आने वाले प्रदीप एक मिडिल क्लास फैमिली से सम्बंध रखते है जिनकी चर्चा सोशल मिडिया पर हो रही है. प्रदीप की उम्र 22 साल है. साल 2018 में प्रदीप ने CSE की परीक्षा पास की थी जिसमे उनका रैंक 93 था.
मिडिया से बात करते हुए प्रदीप ने बताया है कि पढाई को लेकर प्रदीप के माता पिता ने काफी संघर्ष किया है. प्रदीप के पिता पेट्रोल पंप पर काम करते है इसके बावजूद भी उन्होंने बेटे की पढाई लिखाई में किसी तरह की कमी नही आने दी. एक मिडिल क्लास परिवार के लिए बेटे की पढाई का खर्चा उठाना इतना आसान नही था लेकिन फिर भी कभी प्रदीप को ये एहसास नही होने दिया कि उसकी पढाई की वजह से माता पिता को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
प्रदीप पढने में बचपन से ही काफी तेज था इसलिए उसकी पढाई में माता पिता ने किसी तरह की कोई रुकावट कभी आने नही दी. प्रदीप को अच्छी पढाई करने के लिए उसे दिल्ली भेजा गया. माता पिता को लगा दिल्ली जाकर प्रदीप इससे भी अच्छी पढाई कर सकता है इसलिए उसे पढाई के लिए दिल्ली भेज दिया . हालांकि दिल्ली भेजने के लिए इतना पैसा पिता के पास नही था फिर भी आर्थिक तंगी होने के बावजूद बेटे की पढाई में कोई कमी नही आने दी.
प्रदीप का बचपन से एक सपना था की उसे IAS बनना है और उसके सपने को पूरा करने की जिम्मेदारी पिता ने भी उठाई थी. उन्होंने ये ठान लिया था कि घर में कितनी भी परेशानी क्यों न हो लेकिन बेटे की पढाई में किसी तरह की कोई कमी नहीं आने देंगे. प्रदीप के पिता इंदौर के एक पेट्रोल पंप पर काम करते थे. मिडिया वालों से बात करते हुए प्रदीप के पिता ने बताया कि वे अपने बेटे को शिक्षित बनाना चाहते थे.
प्रदीप के पिता ने कहा कि बेटे की पढाई के लिए पैसो की तंगी जरुर हुई लेकिन इसके लिए मैंने अपना घर बेच दिया. बेटे की पढाई के लिए भले ही हमे काफी संघर्ष करना पड़ा लेकिन आज हम खुश है. हमारे बेटे का सपना पूरा हुआ उसने जो मेहनत की थी वो रंग लाई है. प्रदीप ने जो रैंक हासिल किया है उसे हासिल करना हर किसी के बस की बात नही है.
हर माँ बाप का सपना होता है कि उनका बच्चा बड़ा होकर कुछ ऐसा काम करे जिससे उनका नाम रौशन हो. बच्चे की पढाई के लिए माँ बाप अपना सबकुछ दांव पर लगा देते है ये आज हमने प्रदीप के पिता से जान लिया है. किस तरह बेटे कि पढाई के लिए उन्होंने अपना घर तक बेच दिया. बच्चे की पढाई में किसी तरह की रुकावट न आये खुद भले ही किराए के कमरे में रह लेंगे. प्रदीप के पिता ने अपने घर की परवाह नही की उन्हें तो बस अपने बेटे का भविष्य उज्ज्वल बनाना था. आखिरकार प्रदीप की मेहनत और पिता का संघर्ष दोनों जीत गये. आज प्रदीप के पिता बहुत खुश है.