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गोल गप्पे बेचने वाले के बेटे ने मेहनत के दम पर पास की NEET परीक्षा, जूठे बर्तन धोने वाला युवक बनेगा डॉक्टर

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किसने कहा आसमान में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो। इस शायरी को आप में से बहुत से लोगों ने सुना और पढ़ा होगा, लेकिन शायद ही किसी ने इस शायरी में मौजूद शब्दों की गहराई को समझने की कोशिश की होगी। यह शायरी हमें बताती है कि अगर इंसान अपने मन में कुछ ठान ले, तो उसे अपनी मंजिल हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता है।

ऐसा ही कुछ हर दिखाया है गुजरात में रहने वाले एक युवक ने, जिसके पिता गोलगप्पे का ठेला लगाते हैं। इस युवक ने अपने पिता के साथ ठेले पर काम करते हुए न सिर्फ घर की जिम्मेदारी उठाने में उनका हाथ बंटाया, बल्कि अपनी मेहनत के दम पर नीट की परीक्षा पास करके डॉक्टर बनने का सपना भी पूरा किया है।

पानी पूरी वाले का बेटा बनेगा डॉक्टर

गुजरात के अरावली (Aravalli) जिले में मेघराज नामक इलाके से ताल्लुक रखने वाले अल्पेश राठौड़ (Alpesh Rathod) ने हाल ही में नीट (NEET) परीक्षा पास करने में सफलता हासिल की है, जिसकी वजह से उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ रही है। अल्पेश राठौड़ के लिए यह उपलब्धि हासिल करना इसलिए भी खास है, क्योंकि वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उनके पिता पानी पूरी बेचने का काम करते हैं। इसे भी पढ़ें – बिना कोचिंग के चायवाले के बेटे ने क्रैक किया NEET का एग्जाम, अब बनेगा डॉक्टर

अल्पेश राठौड़ अपने पिता के साथ गोल गप्पे बेचने में उनकी मदद करते थे, जबकि रात को परीक्षा की तैयारी करने के लिए पढ़ाई करते थे। आखिरकार अल्पेश की मेहनत रंग लाई और उन्होंने नीट परीक्षा में 700 में से 613 अंक प्राप्त करने में सफलता हासिल कर ली।

अप्लेश राठौड़ कार्डियोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेना था। इस एडमिशन प्रक्रिया के लिए नीट परीक्षा को पास करना अनिवार्य है, जिसके बाद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले युवा सरकारी कॉलेज में कम फीस के साथ पढ़ाई करके अपना सपना पूरा कर सकते हैं।

4 बजे उठकर पिता के साथ करते थे काम

अल्पेश राठौड़ मुख्य रूप से गुजरात के केंथवा गाँव से ताल्लुक रखते हैं और उनके गाँव से अब तक किसी भी व्यक्ति ने डॉक्टरी की पढ़ाई नहीं की है, ऐसे में अल्पेश अपने गाँव के पहले डॉक्टर होंगे। अल्पेश 10वीं कक्षा पास करने के बाद से ही गोल गप्पे की दुकान में अपने पिता के साथ काम करते थे, जिसके लिए उन्हें सुबह 4 बजे उठना पड़ता था।

अल्पेश स्कूल जाने से पहले पिता के साथ मिलकर गोल गप्पे के ठेले में सामान लगा थे और फिर स्कूल खत्म होने के बाद ठेले पर अपने पिता की मदद करते थे, इसके साथ ही वह ग्राहकों के जूठे बर्तन भी साफ करते थे। इस तरह गोल गप्पे के ठेले में काम करते हुए अल्पेश ने 10वीं और 12वीं कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए थे।

मेहनत के दम पर प्राप्त की सफलता

अल्पेश पढ़ाई में अच्छे थे, लिहाजा उनके स्कूल टीचर्स ने करियर के क्षेत्र में उनका काफी मार्गदर्शन किया था। ऐसे में जब अल्पेश ने अपने डॉक्टर बनने का सपना परिवार वालों के साथ साझा किया, तो नीट परीक्षा की तैयारी और कोचिंग की फीस में खर्च होने वाले पैसों लेकर उनके पिता काफी चिंतित हो गए थे।

दरअसल अल्पेश के पिता गोल गप्पे बेचकर 15 हजार रुपए की कमाई कर लेते हैं, ऐसे में परिवार का खर्च चलाने के साथ-साथ अल्पेश की कोचिंग की फीस का इंतजाम करना उनके लिए काफी मुश्किल था। लेकिन अल्पेश ने अपने पिता को विश्वास दिलाया कि वह नीट की परीक्षा पास कर लेंगे और उन्होंने अपना यह वादा पूरा भी किया है। इसे भी पढ़ें – दिन में बेची चाय और रात को किया गार्ड का काम, मेहनत के दम पर बना जूनियर इंजीनियर

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
शिवानी भंडारी एक कंटेंट राइटर है, जो मीडिया और कहानी से जुड़ा लेखन करती हैं। शिवानी ने पत्रकारिता में M.A की डिग्री ली है और फिलहाल AWESOME GYAN के लिए फ्रीलांसर कार्य कर रही हैं।

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