Cooler Tips: भारत में इन दिनों प्रचंड गर्मी का कहर चल रहा है, जिसकी वजह से लोग हीट स्ट्रोक और गर्म हवाओं के संपर्क में आने से बीमार पड़ रहे हैं। ऐसे में मध्मय वर्गीय परिवारों में गर्मी से राहत पाने के लिए कूलर का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें घास लगी होती है और वह कूलर की हवा को ठंडा करने में मददगार साबित होती है।
लेकिन बीते कुछ सालों में मार्केट में अलग-अलग डिजाइन के कूलर आने लगे हैं, जिनमें लकड़ी से तैयार की जाने वाली घास के बजाय Honeycomb का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में कई लोगों का मानना है कि सामान्य घास के मुकाबले Honeycomb ज्यादा अच्छा होता है, जिसकी वजह से कूलर ठंडी और तेज हवा देता है।
क्या है Honeycomb और उसके फायदे
अगर आपने Honeycomb के बारे में नहीं सुना है, तो हम आपको बता दें कि यह मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखने वाली चीज होती है। Honeycomb को सेलूलोस मैटीरियल से बनाकर तैयार किया जाता है, जिसमें पानी को लंबे समय तक सोखे रखने की खास क्षमता होती है।
इतना ही नहीं यह Honeycomb बाहर से आने वाली गर्म हवाओं को भी बहुत जल्दी ठंडा कर देता है, जबकि इसके पानी को सोखकर रखने की क्षमता की वजह से कूलर लंबे समय तक ठंडी हवा देता है। यही वजह है कि कई लोग कूलर में Honeycomb लगाना पसंद करते हैं, जिसे एक बार खरीदने के बाद 2 से 3 साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है।
लेकिन Honeycomb को खरीदने के लिए आपको 800 से 1,500 रुपए तक खर्च करने पड़ सकते हैं, क्योंकि यह घास अलग-अलग क्वालिटी और कूलर की लंबाई के हिसाब से बिकती है। इतना ही नहीं कुछ लोगों का मानना है कि हनीकॉम्ब में मौजूद बड़े आकार के छेद से गर्म हवा कमरे में दाखिल होती है और इसकी वजह से कमरा जल्दी ठंडा नहीं होता है।
लकड़ी की छाल से बनी नॉर्मल घास
वहीं अगर लकड़ी की छाल से तैयार की जाने वाली नॉर्मल घास की बात की जाए, तो उसे कुछ इस तरह से बनाया जाता है कि घास में पानी का फ्लो लगातार चलता रहे। इसकी वजह से बाहर की गर्म वाल जल्दी ठंडी हो जाती है और कमरा भी आसानी से ठंडा हो जाता है, जबकि इस घास के गीला होने पर एक खास तरह की खुशबू भी कमरे में फैल जाती है।
हालांकि लकड़ी से बनी घास को हर सीजन में बदलना पड़ता है, क्योंकि उसमें धूल मिट्टी आसानी से चिपक जाती है और इस वजह से घास को बार-बार इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। लेकिन इस घास की कीमत 50 स 100 रुपए के बीच होती है, इसलिए हर सीजन में नई घास खरीदने पर भी ग्राहक की जेब पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है।