आज के आधुनिक दौर में नहाने के लिए लूफा (Loofah) का इस्तेमाल किया जाता है, जो शारीरिक गंदगी दूर करने में मददगार साबित होता है। लेकिन बदलते समय के साथ लोग प्राकृतिक लूफा (Natural Loofah) का इस्तेमाल काफ़ी ज़्यादा करने लगे हैं, जो पेड़-पौधों और विभिन्न सब्जियों को सूखा कर तैयार किए जाते हैं।
इस तरह के प्राकृतिक लूफा में पोषणयुक्त तत्व पाए जाते हैं, जिन्हें नहाने से लेकर बर्तन धोने वाले स्क्रब के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विदेशों में इस तरह के लूफा की क़ीमत हजारों में होती है, जिसे आप घर पर आसानी से बनाकर व्यापार कर सकते हैं।
तोरई से बनाए प्राकृतिक लूफा (Natural Loofah)
आपको शायद यह जानकर हैरानी होगी कि विदेशों में जिस प्राकृतिक लूफा (Natural Loofah) का इस्तेमाल किया जाता है, वह भारतीय सब्जी तोरई से तैयार होता है। विदेशों में तोरई से बनने वाले लूफा की क़ीमत 21.68 डॉलर यानी तकरीबन 1, 613 रुपए है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पुरानी तोरई आपके लिए कितनी लाभदायक साबित हो सकती है।
तोरई का ताल्लुक खीरा परिवार से है जिसके जींस को Luffa कहा जता है, इसी से Loofah शब्द को इजात किया गया है। लेकिन सब्जी के रूप में इस्तेमाल होने वाली तोरई से प्राकृतिक लूफा तक का सफ़र अपने आप में बहुत ही दिलचस्प है, जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।
एशिया से आई थी तोरई की सब्जी
आज भले ही हर भारतीय के कीचन में तोरई का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन यह सब्जी असल में भारतीय नहीं है। बल्कि तोरई की पैदावार सालों पहले एशिया या अफ्रीका जैसे देश में शुरू की गई थी, जिसे बाद यह यूरोप से होते हुए भारत में पहुँची और हमारे देश में इसकी खेती शुरू हो गई।
सैकड़ों साल पहले तोरई के जूस का इस्तेमाल साफ़ सफ़ाई के लिए किया जाता था, वहीं इसके हरे भाग को सब्जी के रूप में खाया जाता था। हालांकि अगर तोरई के छिलके और बीज अगर करके उसे सूखा दिया जाए, तो उसे प्राकृतिक लूफा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
दुनिया भर में तोरई को सूखाकर उससे तरह-तरह की चीजों का निर्माण किया जाता है, जिसमें लूफा से लेकर गद्दों में भरे जाने वाला भूसा, सैनिकों के हेलमेट पैडिंग जैसी चीजें शामिल हैं। इसके अलावा सूखी तोरई को औषधि, पेंटिग, ज्वैलरी, सजावट का सामान और पानी को फिल्टर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
घर में बना सकते हैं Natural Loofah (How to make natural loofah)
आज तोरई के जरिए प्राकृतिक लूफा तैयार करके लाखों का बिजनेस किया जा रहा है, जिसे आप भी आसानी से शुरू कर सकते हैं। इसके लिए आपको घर पर तोरई की बेल उगानी होगी, जिसे प्राप्त मात्रा में खाद और पानी के जरिए बढ़ा किया जा सकता है।
एक बार बेल बड़ी हो जाए, तो उसमें उगने वाली तोरई को आप सब्जी को रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं और इसके साथ ही उससे प्राकृतिक लूफा बनाकर बाज़ार में भी बेच सकते हैं। गाँव के साथ-साथ शहर में भी तोरई की बेल उगाकर प्राकृतिक लूफा तैयार करने का बिजनेस शुरू किया जा सकता है, जो बहुत ही सस्ता और आसान है।
Natural Loofah का बिजनेस
गुरुग्राम की रहने वाली रुचिका अपने घर की छत पर ही तोरई उगाती हैं और उसे छिलकर धूप में सूखाकर प्राकृतिक लूफा तैयार कर लेती हैं। रूचिका की मानें तो तोरई को तोड़ने के बजाय अगर उसे बेल में सूखने के लिए छोड़ दिया जाए, तो इससे अगले सीजन के लिए बीज मिल जाते हैं और प्राकृतिक लूफा भी तैयार हो जाता है।
जब तोरई पूरी तरह से सूख जाती है, तो उसे बेल से तोड़ कर अलग कर लें और उसके सिरों को दोनों तरफ़ से हल्का-सा काट लें। इन कटे हुए सिरों से तोरई के अंदर मौजूद बीजों को बाहर निकल लें, फिर सूखी हुई तोरई को पानी में भिगो दें। ऐसा करने से तोरई थोड़ी नरम हो जाती है, जिससे उसके छिलके उताने में आसानी होती हैं।
छिलके उतारने के बाद तोरई को एक प्राकृतिक लूफा के तरह इस्तेमाल किया जा सकता है, वहीं आप इसे छोटे और अलग डिजाइन में काटकर बर्तन धोने वाला स्क्रब भी बना सकते हैं। हालांकि प्राकृतिक लूफा को इस्तेमाल करने के दौरान आपको इस बात का ख़्याल रखना है कि यूज के बाद लूफा को अच्छी तरह से सुखाया जाए।
अगर आप प्राकृतिक लूफा को अच्छी तरह नहीं सुखाएंगे, तो नमी की वज़ह से उसमें फंगस और कीड़े लग जाएंगे। ऐसे में प्राकृतिक लूफा ज़्यादा दिनतक नहीं चलेगा और खराब हो जाएगा। भारत के ग्रामीण इलाकों में आज भी तोरई को सूखाकर बर्तन धोने वाले स्क्रब के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, वहीं हाथ पैर साफ़ करने के लिए भी इसका यूज होता है।
भारतीय बाज़ार में प्राकृतिक लूफा की क़ीमत 7 से 10 रुपए के बीच होती है, जिसका व्यापार करके अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है। आप चाहें तो प्राकृतिक लूफा तैयार करके उसकी ऑनलाइन बिक्री भी कर सकते हैं, जिसकी विदेशों में क़ीमत हजारों में है।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान लूफा का इस्तेमाल
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि प्राकृतिक लूफा का इस्तेमाल दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी किया जाता था, हालांकि उस समय इसे डीजल इंजन ऑइल फिल्टर्स और स्टीम इंजन फिल्टर्स के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इसके अलावा पुराने समय में महिलाएँ अपनी खूबसूरती बढ़ाने के लिए प्राकृतिक लूफा का इस्तेमाल करती थी, जिससे शरीर को अच्छी तरह से स्क्रब करने में मदद मिलती थी।
प्राकृतिक लूफा का इस्तेमाल करने से डेड स्किन सेल्स आसानी से हट जाते हैं और त्वचा ज़्यादा मुलायम व चमकदार बनती हैं। इसके अलावा प्राकृतिक लूफा को घर की साफ़ सफ़ाई और बर्तनों धोने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था, जो बहुत ही सस्ता और टिकाऊ विकल्प हुआ करता था। बदलते समय के साथ प्राकृतकि लूफा की मांग बढ़ने लगी और आज यह बाज़ार में आसानी से उपलब्ध है।
Featured Image Credit – Alpana Thakur