हमारे देश में कई बच्चे गरीबी और मजबूरी की वजह से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं, जिसकी वजह से उन्हें कम उम्र में ही काम करके पैसे कमाने पड़ते हैं। लेकिन भारत में कुछ ऐसे माता-पिता भी मौजूद हैं, जो खुद कभी स्कूल नहीं गए लेकिन शिक्षा का महत्त्व अच्छी तरह से समझते हैं।
यही वजह है कि राजस्थान की रहने वाली शांति देवी ने गरीबी से लड़ते हुए अपने बच्चों को स्कूल भेजा और उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया, जबकि उनके पास स्कूल की फीस भरने के पैसे तक नहीं थे। ऐसे में शांति देवी ने दिन रात मेहनत की, जिसके दम पर आज उनका बेटा SDM का पद संभाल रहा है।
मां ने बनाया बेटे को अफसर
राजस्थान (Rajasthan) के सीकर (Sikar) जिले में दुल्हेपुरा (Dulhepur) नामक एक छोटा-सा गाँव मौजूद है, जहाँ शांति देवी (Shanti Devi) अपने 5 बच्चों के साथ रहती हैं। शांति देवी की शादी एक बहुत ही गरीब परिवार में हुई थी, जबकि उनके पति का देहांत भी कम उम्र में ही हो गया था। इसे भी पढ़ें – पति की मौत के बाद परिवार ने तोड़ा रिश्ता, शुरू किया चाय बेचना, अब UP रोडवेज में बस चलाती है महिला
ऐसे में बच्चों की परवरिश और पढ़ाई लिखाई की जिम्मेदारी शांति देवी के कंधों पर आ गई थी, जिसकी वजह से उन्हें अक्सर आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था। लेकिन शांति देवी चाहती थी कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर अच्छी पोस्ट पर नौकरी करें, लिहाजा उन्होंने दूसरों के खेतों में मजदूरी करके अपने बच्चों की स्कूल की फीस भरी थी।
शांति देवी हमेशा अपने बच्चों से कहती थी कि अगर तुम पढ़ लिखकर काबिल बन जाओगे, तो मुझे मजदूरी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। शांति देवी के बच्चे भी अपनी माँ की मेहनत और दर्द से अच्छी तरह से परिचित थे, लिहाजा उन्होंने अपनी गरीबी को खत्म करने के लिए दिन रात पढ़ाई करनी शुरू कर दी थी।
पालतू जानवरों को भी बेच दिया
लेकिन बढ़ती उम्र के साथ पढ़ाई का खर्च भी बढ़ रहा था, जो खेतों में मजदूरी करने से पूरा नहीं हो सकता था। लिहाजा शांति देवी ने बच्चों की फीस भरने के लिए अपने पालूत गाय भैंस को भी बेच दिया था, जिससे प्राप्त होने वाले पैसों से उन्होंने बच्चों की फीस भरी थी।
शांति देवी के संघर्ष की वजह से उनके एक बेटे धर्मराज रुलानियाँ नर्सिंग ऑफिसर बनने में कामयाब हो गए, जो वर्तमान में जयपुर के एसएमएस अस्पताल में कार्यरत हैं। वहीं उनके छोटे बेटे हुक्मीचंद बीटेक की डिग्री प्राप्त करने के बाद सिविल सर्विस की तैयारी करना शुरू कर दिया था।
हुक्मीचंद ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर साल 2018 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी थी, जिसमें उन्होंने परीक्षा पास करते हुए पूरे राज्य में 18वीं रैंक हासिल की थी। इस तरह हुक्मीचंद रुमनियाँ राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (RAS) में अफसर बन गया, जबकि गाँव के लोग शांति देवी को SDM की माँ कहकर पुकारते हैं। इसे भी पढ़ें – भारतीय मूल की अमेरिकी डॉक्टर ने दान किए 20 करोड़ रुपए, राज्य में बनेगा मातृ एंव शिशु केयर अस्पताल