पर्यावरण को सुरक्षित रखना हम सभी का कर्तव्य है, हमारा छोटा सा प्रयास हमारे वातावरण को सुरक्षित रख सकता है। आज हम जानेंगे एक ऐसे शख्स की कहानी जिन्होंने एक ऐसे घर का निर्माण किया है जो हवा पानी गैस और भोजन सभी आवश्यक चीजों कि आपूर्ति करता है।
चेन्नई के किलपॉक न्यू 17 वासु स्ट्रीट में रहने वाले 71 वर्षीय डी सुरेश साल 2015 में रिटायर हुए। सुरेश आईआईटी मद्रास और आईआईएम से स्नातक हैं। इन्होंने एमडी और सीईओ सहित अनेक पदों पर टेक्सटाइल मार्केटिंग में काम किया है। आजकल सब उन्हें “सोलर सुरेश” (Solar Suresh) के नाम से जानते हैं।
“सुरेश जी का मानना है कि हमें हर समस्या के लिए सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए बल्कि समाधान ढूंढकर खुद भी सरकार कि मदद करनी चाहिए।”
बायोगैस का किया सफल परीक्षण और जाना बदबूदार गैस निर्माण का कारण
सुरेश जी ने बायोगैस का सफल परीक्षण किया और यह बात बताई कि बायो गैस संयंत्र में अगर बदबू उत्पन्न होती है तो उसका कारण है उसमे डाली जाने वाली पका और बिन पका भोजन, खराब भोजन, सब्जियां और फलों के छिलके आदि। इसलिए इसके बेहतर और बदबू रहित प्रयोग के लिए इसमें साइट्रस फल जैसे नीबू, संतरा, प्याज, अंडे के छिलके, हड्डियाँ या साधारण पत्तियां इसमें नहीं डालनी चाहिए।
20 साल पहले जर्मनी यात्रा के दौरान ही जन्म ली खुद पर निर्भर बनने कि भावना
सुरेश जी ने कहा कि यह बता पाना उनके लिए काफी कठिन है कि उन्होंने इसकी कल्पना कब की थी लेकिन हां उनके मन में यह 20 साल पहले ही आ गया था जब उन्होंने जर्मनी की यात्रा की और वहां सौर ऊर्जा संयंत्र देखे, जबकि जर्मनी तो कम धूप वाला देश था। यह भारत में क्यों नहीं हो सकता जहां सौर ऊर्जा प्रचुर मात्रा में है।
सुरेश जी के इस विचार ने उन्हें बिजली बनाने के लिए छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए प्रेरित किया। उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी सौर ऊर्जा इनवर्टर की व्यवस्था करना। टाटा बीपी सोलर, सू कैम और कई बड़े नामों ने सुरेश जी के इस प्रोजेक्ट में कोई भी सहायता करने से साफ इनकार कर दिया फिर सुरेश जी ने खुद सौर ऊर्जा संयंत्र डिज़ाइन करने और बनाने के लिए काफी मेहनत की।
एक साल कि कड़ी मेहनत के बाद 2012 में शुरू हुई उनके सपनों को उड़ान
जनवरी 2012 में सुरेश जी ने एक किलोवाट का संयंत्र स्थापित किया और छत पर सौर विद्युत उत्पन्न करना शुरू कर दिया। इसके बाद कई विशेषज्ञ और तमिलनाडु ऊर्जा विकास प्राधिकरण के चेयरमैन जैसे वरिष्ठ सरकारी अधिकारी सुरेश जी के संयंत्र को काम करता देखने के लिए उनके घर आने-जाने लगे। अपने सपनों के साकार होने से सुरेश जी काफी खुश हुए और साल 2015 तक उन्होंने सौर – ऊर्जा को 3 किलोवाट तक बढ़ा दिया। अब उस सौर ऊर्जा कि मदद से 11 पंखे, 25 लाइटें, एक फ्रिज, दो कम्प्यूटर, एक वॉटर पंप, दो टीवी, एक मिक्सर-ग्राइंडर, एक वॉशिंग मशीन और एक इंवर्टर एसी का इस्तेमाल किया जाता है।
4 सालों में एक मिनट भी उनके घर बिजली गुल होने कि समस्या नहीं हुई
एक ऐसे शहर जहां हमेशा बिजली गुल होने की शिकायत रहती थी वहां रहकर सुरेश जी ने यह साबित कर दिया कि मेहनत करने से कुछ भी हासिल किया जा सकता है, जहां हमेशा बिजली गुल कि शिकायत रहती थी वहां पिछले चार सालों से एक मिनट के लिए भी बिजली नहीं गई।
बायोगैस एक सुरक्षित गैस है जिसमें गैस का रिसाव नहीं होता इससे हमें विदेशी मुद्रा बचाने में भी मदद मिलती है। सुरेश जी ने आसपास से ऐसे सब्जी विक्रेताओं का पता लगा लिया था जिन्हें अपने कचरे के निस्तारण के लिए धन खर्च करना पड़ता था, अब वह कचरा सुरेश जी के बायोगैस उत्पादन में काम आता था।
घर पर किया अद्भुत प्रयोग और बनाया खूबसूरत जंगल
सुरेश जी के आविष्कार इतने ही नहीं हैं उन्होंने मोटे बांस के पेड़ो की बाड़ और लताओं से अपने घर को घेरकर एक जंगल जैसा रूप बनाया है। उनकी ओर देखकर लगता है कि हम किसी जंगल में खड़े हैं, जहां खड़े होने पर सिर्फ हरियाली नजर आती है। सुरेश जी के घर के पेड़ पौधे अद्भुत है।
इस गार्डन की शुरूआत में उन्होंने भिण्डी और टमाटर की खेती की थी, लेकिन वर्तमान में यह बहुत बड़ा बाग बन गया है। अब सुरेश जी इनमें जैविक ढंग से 15 से 20 प्रकार की सब्ज़ियाँ उगाते हैं। घर में होने वाली अधिकांश कुकिंग की आवश्यकताएं उनके किचन गार्डन से ही पूरी हो जाती है। सुरेश जी अपने इस प्रयास को शिक्षा के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
अब तक सुरेश जी (Solar Suresh) ने बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई में तीन ऑफिसों, चार स्कूलों और सात घरों में सौर ऊर्जा सयंत्र लगाये हैं साथ ही हैदराबाद के छ: संस्थानों में बायोगैस संयंत्र और चेन्नई में छ: स्थानों पर किचन गार्डन लगाये हैं। लोगों ने उनके इस प्रयासों का स्वागत किया है. हमें भी उनके इस प्रयास से कुछ सीख लेनी चाहिए, और एक अच्छे नागरिक का कर्तव्य निभाना चाहिए।