MA English Chaiwali Tuktuki Das – दुनिया के हर माता पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करें, ताकि समाज में उनका मान सम्मान बढ़ सके। लेकिन आज आबादी की बढ़ती रफ्तार की वजह से पढ़े लिखे युवाओं को भी अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती है, जिसकी वजह से वह बेरोजगार रहने पर मजबूर हैं।
लेकिन पश्चिम बंगाल में रहने वाली एक लड़की ने इंग्लिश में एमए की डिग्री हासिल करने के बाद चाय बेचना का साहसी कदम उठाया है, ताकि वह अपनी मेहनत के दम पर पैसे कमा सके। तो आइए विस्तार से जानते हैं एमए इंग्लिश चायवाली (MA English Chaiwali) के बारे में-
MA इंग्लिश चायवाली (MA English Chaiwali Tuktuki Das)
एक हाथ में MA इंग्लिश की डिग्री और दूसरे हाथ में चाय की केतली, इन दोनों विकल्पों में से आप कौन-सा विकल्प चुनना पसंद करेंगे। यकीनन अगर किसी व्यक्ति के पास इंग्लिश में MA की डिग्री हो, तो वह चाय क्यों बेचेगा। लेकिन कोलकाता (Kolkata) में रहने वाली टुकटुकी दास (Tuktuki Das) MA की डिग्री लेने के बावजूद भी हाथ में केतली लेकर ग्राहकों को चाय सर्व करती हैं।
टुकटुकी दास को बचपन से ही टीचर बनने का शौक था, लिहाजा उन्होंने अपना यह सपना पूरा करने के लिए इंग्लिश सब्जेक्ट में MA की पढ़ाई पूरी की। लेकिन डिग्री हासिल करने के बावजूद भी टुकटुकी दास को कहीं पर नौकरी नहीं मिल पाई।
इंटरनेट से लिया चाय बेचने का आइडिया
ऐसे में टुकटुकी दास ने अपनी डिग्री के सहारे घर पर बैठने के बजाय कुछ अलग और बेहतर करने का फैसला किया, ताकि वह अपनी मेहनत और बुद्धि के दम पर पैसे कमा सके। इसके लिए टुकटुकी दास ने इंटरनेट की मदद ली, जिसमें उन्होंने एमबीए की पढ़ाई करने वाले छात्र को चाय बेचते हुए देखा।
एमबीए चायवाले से प्रेरणा लेकर टुकटुकी दास ने भी चाय का बिजनेस शुरू करने का फैसला किया, लेकिन टुकटुकी के इस फैसले से उनके माता-पिता बिल्कुल भी खुश नहीं थे। वह चाहते थे कि टुकटुकी पढ़ लिखकर टीचर बने, लेकिन एमए की डिग्री हासिल करने के बाद टुकटुकी का यूं चाय बेचना उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं था।
स्टेशन पर खोली चाय की दुकान
टुकटुकी दास के पिता पेशे से ड्राइवर हैं, जबकि उनकी माँ घर के पास एक छोटा-सा किराना स्टोर चलाती हैं। ऐसे में टुकटुकी ने माता-पिता की नाराजगी के बावजूद भी कोलकाता में चाय की दुकान के लिए अच्छी जगह की तलाश शुरू कर दी, आखिरकार उन्हें भीड़भाड़ वाली जगह मिल ही गई।
टुकटुकी दास ने उत्तर 24 परगना के हावड़ा स्टेशन के पास एक चाय की दुकान खोली, जिसका नाम उन्होंने एमए इंग्लिश चायवाली (MA English Chaiwali) रखा। इसी यूनिक नाम की वजह से टुकटुकी की दुकान पर ग्राहकों की भीड़ इकट्ठा होने लगे, क्योंकि हर कोई जानना चाहता था कि इस नाम के पीछे असल कहानी क्या है।
ऐसे में टुकटुकी दास ने चाय की प्याली और स्नैक सर्व करते-करते ग्राहकों को अपनी डिग्री और सपने के बारे में बताया, जिसकी वजह से उनकी दुकान कुछ ही दिनों में चल पड़ी और इससे उनका आत्मविश्वास कई गुना बढ़ गया।
युवाओं को प्रेरणा देती है टुकटुकी दास की कहानी
टुकटुकी दास (Tuktuki Das) का मानना है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है, बस किसी भी काम को पूरी लगन और मेहनत के साथ पूरा करना चाहिए। टुकटुकी चाहती हैं कि उनका यह चाय का बिजनेस और भी ज्यादा बढ़े, ताकि कोलकाता का हर व्यक्ति उनके हाथ की चाय पीए।
टुकटुकी दास के पिता प्रशांतो भी अब अपनी बेटी की कामयाबी से खुश हैं, क्योंकि वह अपनी बेटी को आत्मनिर्भर बनते हुए देख रहे हैं। हालांकि वह चाहते थे कि टुकटुकी पढ़ लिखकर टीचर का पद संभाले और आने वाली पीढ़ी को अच्छी शिक्षा दें।
एमए इंग्लिश चायवाली टुकटुकी दास (MA English Chaiwali Tuktuki Das) की कहानी देश के उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सही अवसर न मिलने की वजह से घर पर बेरोजगार बैठे हैं। ऐसा जरूरी नहीं है कि डिग्री धारक व्यक्ति चाय नहीं बेच सकता है, बल्कि यह अपना बिजनेस शुरू करने का मात्रा एक छोटी-सी सीढ़ी है।