आज के इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो सिर्फ़ अपना हित ना सोच कर देश हित की बात करते हैं। अनुज भी इन्हीं लोगों में से एक है जिन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ मशरूम की खेती करने लगे।
इस युवा किसान का नाम है अनुज शर्मा (Anuj Sharma), जो हिमाचल प्रदेश के पोंटा साहिब (Paonta Sahib) के रहने वाले हैं। 23 फरवरी 1990 को एक किसान परिवार में जन्मे अनुज ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग किया है। एक किसान होने के बावजूद भी इनके पिता ने इनकी पढ़ाई में कोई कमी नहीं छोड़ी और यही कारण है कि 2012 में इंजीनियर की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्हें एक अच्छी नौकरी भी मिल गई। नौकरी मिलने के बाद भी कहीं ना कहीं उनके मन में एक बात खटकती रहती कि वह इससे भी अच्छा कुछ कर सकते हैं।
वैसे तो शुरु से ही अनुज कहीं ना कहीं यह सोचते थे कि उन्हें ख़ुद का कुछ करना है, लेकिन यह क्लियर नहीं था कि क्या करना है। लेकिन साल 2016 की बात है जब वह अपने दोस्त के घर एक शादी में गए थे और उसी समय उन्होंने मशरूम की खेती देखी जो उनके दोस्त के घर के नज़दीक ही था।
ये भी पढ़े – मशरूम ने बनाया लखपति, तरनतारन के युवा किसान ने मशरूम की खेती से छह माह में की 14 लाख की कमाई
नौकरी के साथ-साथ शुरू की मशरूम की खेती
जब से अनुज ने मशरूम की खेती को देखा तब से वह इस बात पर विचार करने लगे कि आख़िर मशरूम की खेती की कैसे जाती है और उन्होंने इस पर पूरा रिसर्च करना शुरू कर दिया और उस दिन के बाद वह हमेशा मशरूम प्लांट पर जाने लगे। मशरूम की खेती के बारे में जानना उन्हें बहुत अच्छा लगने लगा। तब इन्होंने ख़ुद से मशरूम की खेती करने का फ़ैसला लिया।
अनुज ने मशरूम की खेती शुरू करने से पहले देखा कि मशरूम का बाज़ार बहुत बड़ा है और लोगों के बीच इसकी काफ़ी ज़्यादा डिमांड है। ऐसे में उन्हें लगा कि अगर वह इसकी खेती करते हैं तो उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हो सकता है। आखिरकार काफ़ी सोच विचार करने के बाद अनुज ने नौकरी करने के साथ-साथ मशरूम की खेती शुरू की। इस नए काम में अनुज को उनकी माँ गुलाबी देवी और उनके ताऊ अमर शर्मा ने पूरा सहयोग किया।
2016 में अनुज ने इसकी खेती शुरू की। लेकिन शुरुआती दिनों में इन्हें काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि नौकरी करने के साथ-साथ मशरूम की खेती करना बहुत मुश्किल था। कितनी बार तो अनुज ने सोचा कि वह अपनी नौकरी छोड़ दें लेकिन शुरुआती दौर में उतना मुनाफा नहीं होने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ना उचित नहीं समझा। लेकिन वह लगातार मेहनत करते रहे और आखिरकार उनकी मेहनत ने रंग दिखाया।
ये भी पढ़े – मशरूम की खेती शुरू की तो गांव के लोगों ने उड़ाया मजाक, बढ़िया मुनाफा देख अब अनुपम से लेते हैं प्रशिक्षण
उनकी कठिन परिश्रम का ही नतीजा है कि उनके द्वारा उगाया हुआ मशरूम बाजारों में बिकने लगा। मशरूम उगाने के दौरान अनुज ने हमेशा उसकी गुणवत्ता पर ध्यान दिया और अगर कहीं से आर्डर आता तो हमेशा समय पर डिलीवरी करते हैं। वर्तमान समय में तो उनके पास 2-2 प्लांट है, जिसमें एक प्लांट उधम सिंह नगर, रुद्रपुर, उत्तराखंड में है, तो वहीं उनका दूसरा प्लांट पांवटा साहिब, सिरमौर, हिमाचल प्रदेश में है और इतना ही नहीं अब तो उनके दोनों प्लांट्स में लगभग 15 लोग अच्छी खासी सैलरी पर काम भी करते हैं।
हर लोगों की तरह इस कोरोना महामारी ने अनुज के काम को भी बुरी तरह प्रभावित किया। लॉक डाउन की वज़ह से उनका प्रोडक्शन रुक गया। लेकिन फिर भी उन्होंने ख़ुद के साथ अपने टीम का भी हौसला बढ़ाएँ रखा और यह कहा कि यह बुरा वक़्त है जो हमेशा नहीं रहने वाला है। अनुज ने लॉकडाउन ख़त्म होने पर लोगों को डोर टू डोर अपना मशरूम पहुँचाया जिससे काफ़ी हद तक उनके नुक़सान की भरपाई हो गई।
20-22 लाख रु का सलाना टर्नओवर पहुँच चुका है
मशरूम की खेती ने अनुज की लाइफ को पूरी तरह से बदल दिया अब खेती से उनका टर्नओवर 20 से 22 लाख रुपए को भी पार कर चुका है। अनुज ने बताया कि उन्हें भी 8 से 10 लाख तक का मुनाफा बहुत ही आसानी से हो जाता है। कमाई के साथ-साथ मशरूम की खेती को लेकर उनके काफ़ी प्रसिद्धि भी हो चुकी है। खासकर उनके इलाके में तो सभी लोग उन्हें पहचानने लगे हैं। अनुज ने बताया कि लोग अब हमसे मशरूम की खेती की ट्रेनिंग भी लेते हैं और इसको लेकर उन्हें हर रोज़ लगभग सैकड़ों कॉल्स रिसीव करने पड़ते हैं।
प्रोडक्शन में कम लागत के लिए एयर कंडीशन का इस्तेमाल नहीं करते हैं
अनुज ने बातचीत के दौरान यह भी बताया कि उन्होंने मशरूम की खेती में कम लागत के लिए किसी भी तरह का कोई एयर कंडीशन नहीं लगाया है। वह हमेशा मौसम के हिसाब से मशरूम की खेती करते हैं और तय करते हैं कि उन्हें किस मौसम में मशरूम के किस प्रकार को उगाना है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि मशरूम के एक दो नहीं बल्कि कई-कई प्रकार होते हैं, जैसे:-बटन, शिटाके, ऑइस्टर, क्रेमिनि और पोर्सिनी इत्यादि। इन सभी वैराइटीज की खेती करने के लिए आपको अलग-अलग वातावरण और मौसम का इंतज़ार करना पड़ता है।
ये भी पढ़े – नौकरी छोड़ शुरू की ओएस्टर मशरूम की खेती, प्रतिदिन 70 kg मशरूम बेच कमा रहे 2 लाख का महीना
अच्छे तरीके से खेती करें ज़्यादा मुनाफा कमा सकते हैं
मशरूम की खेती को लेकर अनुज ने बताया कि अगर इसे अच्छे तरीके से की जाए तो कम लागत में भी आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मशरूम की खेती करना है एक साइंस की तरह है क्योंकि इसमें कई तरह के साइंटिफिक तत्वों का समावेश भी है। कई गुणों से भरपूर मशरूम काफ़ी लोगों का पसंदीदा है, इसलिए बाज़ार में इसके उत्पादन से ज़्यादा इसकी मांग है। यही कारण है कि अब काफ़ी लोग मशरूम की खेती करने लगे हैं।
मशरूम की खेती की ट्रेनिंग भी देते हैं
अंत में अनुज ने बताया कि एक वह भी दौर था जब उन्हें कोई पहचानता नहीं था और एक आज का समय है जहाँ वह हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं और कई युवा तो उनसे मशरूम की खेती की जानकारियाँ भी हासिल करते हैं। अनुज भी लोगों को काफ़ी अच्छे से मशरूम की खेती की ट्रेनिंग देते हैं। अपनी सफलता का श्रेय अनुज अपने छोटे भाई शुभम को भी देते हैं, जिन्होंने हर क़दम पर अनुज का साथ दिया है।
इस तरह अनुज अब मशरूम की खेती में काफ़ी दक्ष हो चुके हैं। वह अगर आज भी नौकरी करते तो शायद इतने सफल ना हो पाते जितने कि वह आज हैं।