काम कोई भी हो छोटा या बड़ा नहीं होता बस उसे मेहनत लगन और ईमानदारी से करने की ज़रूरत होती है। अगर कृष्णा यादव भी अपने छोटे से काम को ईमानदारी से शुरू नहीं करती तो शायद आज यह दूसरों के लिए प्रेरणा नहीं बन पाती। जिससे उनका परिवार शायद सड़क पर आ जाता। लेकिन वही कृष्णा यादव अपनी मेहनत और ईमानदारी के दम पर अपने उस छोटे से अचार के बिजनेस के द्वारा अपना सलाना टर्नओवर आज चार करोड़ तक पहुँचा चुकी हैं।
बुलंदशहर की रहने वाली कृष्णा यादव (Krishna Yadav) का पूरा परिवार आज से लगभग 30 साल पहले जैसे सड़क पर आ चुका था। इनके पति ने गाड़ी का भी बिजनेस शुरू किया लेकिन वह भी नहीं चल पाया। आर्थिक स्थिति इतनी बिगड़ गई कि तीन बच्चों के साथ घर चलाना बहुत ही मुश्किल हो गया था। यही कारण है कि मजबूरी में इन्हें अपना घर तक बेचना पड़ा।
500 कर्ज़ लेकर पति को दिल्ली भेजा
घर बेचने के बाद इनके पास रहने को भी जगह नहीं था। तब इन्होंने किसी भी तरह लोगों से 500 रूपये उधार लेकर अपने पति को काम ढूँढने के लिए दिल्ली भेज दिया। कृष्णा इस बात को जानती थी कि उनके पति कहीं भी रह कर कैसे भी सरवाइव कर लेंगे। कृष्णा ने बताया कि अगर उनके पति यही रहते तब बहुत लोग यह जानने की कोशिश करते हैं कि हमारी यह स्थिति कैसे और क्यों हुई। लेकिन 3 महीने की कोशिशों के बाद भी उनके पति को कहीं कोई काम नहीं मिल सका। तब कृष्णा को भी मजबूरी में दिल्ली का रुख करना पड़ा। कोई काम ना मिलने पर कृष्णा ने सोचा कि वह कुछ ज़मीन लीज पर लेकर खेती करेंगी।
सब्जियों की खेती शुरू की
फिर कृष्णा ने कुछ ज़मीन लीज पर लेकर सब्जियों की खेती करनी शुरू की। जिसमें इन्होंने मूली, गाजर, धनिया इत्यादि उगाई। खेती में कृष्णा को सफलता भी मिली। तब इन्होंने सब्जियों को बेचने का भी काम शुरू किया। इन्होंने देखा कि उत्पादन ज़्यादा होने के कारण सब्जियाँ ज्यादातर खराब हो जा रही थी।
टीवी से अचार बनाना सीखा
कृष्णा ने बताया कि 1 दिन जब वह टीवी पर दूरदर्शन चैनल देख रही थी तब उन्होंने अचार बनाने की विधि को सीखा। तब इन्हें लगा की जितनी सब्जियाँ इनके पास खराब हो जाती है, अगर खराब होने के पहले उनका अचार बना दिया जाए तो उसे भी बेचा जा सकता है। उन्होंने टीवी पर यह भी देखा था कि कृषि विज्ञान केंद्र में कृषि से सम्बंधित चीज़ों का फ्री में प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
सबसे पहले 2 किलो अचार तैयार किया
उसके बाद कृष्णा ने कृषि विज्ञान केंद्र से अचार और मुरब्बा बनाने की ट्रेनिंग ली। सीखने के बाद सबसे पहले इन्होंने 2 किलो अचार तैयार किया और अपने पति को बेचने के लिए कहा। लेकिन उस समय क़िस्मत ने साथ नहीं दिया और अचार नहीं बिक सका। उसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी को इसके लिए बहुत सुनाया भी।
तब कृष्णा के दिमाग़ में एक सुझाव आया और उन्होंने अपने पति से कहा कि जब वह सड़क के किनारे सब्जियाँ बेचेंगे तब वह उन्हें अचार भी देंगी और जितने भी ग्राहक सब्जी खरीदने आएंगे वह उन्हें अचार देंगे और कहेंगे कि अगर आपको इसका स्वाद अच्छा लगे तो आप हमें ज़रूर बताइएगा।
सिलबट्टे का उपयोग कर ख़ुद मसाला तैयार करती थी
कृष्णा ने बताया कि वह अचार को बनाने के लिए ख़ुद से सिलबट्टे पर पीस कर उसका मसाला तैयार करती हैं। कृष्णा ने अपने बच्चे को भी इस काम में लगाया है। पढ़ाई करने के बाद इनके बच्चे भी इनकी मदद करते हैं। धीरे-धीरे लोगों के बीच कृष्णा के हाथों का बनाया हुआ अचार बहुत प्रसिद्ध होने लगा और उसका टेस्ट भी पसंद आने लगा। ऐसे ही इनका छोटा-सा बिजनेस आगे बढ़ा।
आगे जाकर कृष्णा ने फूड डिपार्टमेंट में लाइसेंस के लिए अप्लाई किया। लाइसेंस मिलने के बाद इन्होंने “श्री कृष्णा पिकल्स” की शुरुआत की। आगे चलकर अचार बेचने के लिए कृष्णा और उनके पति ने एक दुकान भाड़े पर लिया। लोगों की डिमांड और वर्क प्रेशर बढ़ने पर इन्होंने दूसरी महिलाओं को भी अचार बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया।
आज 4 कंपनियाँ है, टर्नओवर 4 करोड़ को पार कर चुका है
वर्तमान समय में कृष्णा का बिजनेस इतना आगे बढ़ चुका है कि इनकी 4-4 कंपनियाँ है, जिसमें दो दिल्ली में है तो वहीं दो हरियाणा में। इन्होंने ख़ुद के रोजगार के साथ-साथ अपनी कंपनी के लिए लगभग 100 से भी ज़्यादा लोगों को रोजगार प्रदान किया है। फिलहाल इनकी कंपनी में अचार के अलावा आटा, जूस, तेल और मसाले भी तैयार किए जाते हैं। इस प्रकार कृष्णा के कंपनी का टर्नओवर अब 4 करोड़ को भी पार कर चुका है। कृष्णा को उनके हौसले और स्टार्टअप के लिए नारी शक्ति और कृषि सम्मान जैसे पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
इस तरह आज कृष्णा की कहानी जानकर काफ़ी लोग ख़ुद को प्रोत्साहित कर रहे हैं। इन्होंने लोगों को दिखा दिया कि छोटे काम की शुरूआत करके भी आप बड़ा बन सकते हैं। यह ज़रूरी नहीं कि आप करोड़ों में ही शुरुआत करें।