Natarajan Chandrasekaran: आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि राजा का बेटा राजा बनता है, जबकि किसान का बेटा किसानी ही करता है। लेकिन इस कहावत के बिल्कुल विपरीत हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग मौजूद हैं, जिन्होंने अपने मेहनत और काबिलियत के दम पर बड़ा बिजनेस स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है।
ऐसे ही एक शख्स हैं नटराजन चंद्रशेखरन (Natrajan Chandrasekaran) , जो एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन नटराजन ने अपने पिता की तरह किसान बनने के बजाय कारोबार के क्षेत्र में काम करने का फैसला किया था, जिसके फलस्वरूप वह आज टाटा ग्रुप के चेयरमैन (Chairman of TATA Group) के रूप में पहचान बना चुके हैं। Who is Natarajan Chandrasekaran in Hindi
कौन हैं नटराजन चंद्रशेखरन? (Who Is Natarajan Chandrasekaran)
नटराजन चंद्रशेखरन (Natarajan Chandrasekaran) का जन्म साल 1963 में तमिल नाडु (Tamil Nadu) के मोहानूर (Mohanur) में हुआ था, उनके पिता एक किसान थे। ऐसे में नटराजन का पूरा बचपन खेती और किसानी के बीच बीता था, जबकि वह खुद भी अपने पिता की मदद करने के लिए खेतों में काम करते थे।
नटराजन चंद्रशेखरन ने मोहानूर के एक सरकारी स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की थी, जिसके बाद उन्होंने कोयंबटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में ऐप्लाइड साइंसेस में एडमिशन लिया और बैचलर्स की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद नटराजन ने तिरुचिरापल्ली में स्थित रिजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से एमसीए की पढ़ाई पूरी की थी।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद नजराजन के करियर की शुरुआत हुई और उन्होंने साल 1987 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (टीसीएस) में बतौर इंटर्न के रूप में काम किया, जिसके बाद उसी कंपनी में उन्हें जॉब मिल गई थी। इस तरह नटराजन चंद्रशेखरन टीसीएस कंपनी से जुड़े रहे और बोर्ड को उनकी ईमानदारी पर पक्का भरोसा हो गया।
वर्कर से सीईओ बनने तक का सफर
इस तरह सालों तक टीसीएस (TCS) के साथ काम करने के बाद साल 2007 में नटराजन चंद्रशेखरन को कंपनी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (CEO) की कमान सौंप दी गई थी, क्योंकि बोर्ड को विश्वास था कि नटराजन इस पद को पूरी ईमानदारी के साथ संभालेंगे। ये भी पढ़ें – कुछ बड़ा करने के संकल्प के साथ निकले थे घर से, माँ के दिए 25 रुपये खड़ी कर ली 7,000 करोड़ की कंपनी
नटराजन चंद्रशेखरन बोर्ड की उम्मीदों पर खरे उतरे, जिसके बाद अक्टूबर 2009 को उनका चुनाव टीसीएस के सीईओ और एमडी के रूप में किया गया था। उस वक्त नटराजन की उम्र सिर्फ 46 वर्ष थी, जिसकी वजह से वह टाटा ग्रुप के सबसे कम उम्र के सीईओ बन चुके थे। इसके बाद उन्हें साल 2016 में टाट संस बोर्ड के चेयरमैन के रूप में चुना गया था।
नटराजन चंद्रशेखर (Natarajan Chandrasekaran) ने अपने एक्सपीरियंस के दम पर टाटा ग्रुप को नई ऊंचाईयों पर ले जाने का काम किया, उन्होंने जब से टीसीएस कंपनी का भागदौड़ संभाली थी तब से टीसीएस के मार्केट कैपिटल में काफी बढ़ोतरी हुई थी। साल 2015 से 2016 के बीच टीसीएस कंपनी का कैपिटल 70 अरब डॉलर तक पहुँच गया था, जबकि साल 2021 में इस कंपनी के मार्केट कैपिटल में 200 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हो गई थी।
मैरथॉन मैन कहलाते हैं नटराजन चंद्रशेखरन
नटराजन चंद्रशेखरन (Natarajan Chandrasekaran) ने जिस कंपनी के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी, वह आज उसी कंपनी के सीईओ के पद पर तैनात है। उन्होंने टाटा ग्रुप के साथ लंबा सफर तय किया है, जिसकी वजह से उन्हें टाटा के मुंबई हेडक्वार्टर और बॉम्बे हाउस में चंद्र के नाम से जाना जाता है।
इसके साथ ही नटराजन चंद्रशेखरन को मैरथॉन में दौड़ लगाने का भी काफी शौक है, जिसके चलते उन्होंने भारत समेत विदेशों में आयोजित होने वाली कई मैराथॉन रेसज़ में हिस्सा लिया है। इसी के चलते नटराजन चंद्रशेखरन को मैराथॉन मैन के नाम से भी जाना जाता है, जो अपने हमउम्र साथियों के साथ काफी ज्यादा फिट और सेहतमंद हैं।
टाटा ग्रुप को लौटाया एयर इंडिया
हाल ही में टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया को खरीद लिया था, जिसकी शुरुआत इसी कंपनी द्वारा की गई थी। खबरों की मानें तो एयर इंडिया को वापस टाटा ग्रुप से जोड़ने में नटराजन चंद्रेशखर की अहम भूमिका थी, जिसकी वजह से एयर इंडिया की घर वापसी संभव हो पाई। ये भी पढ़ें – एक गरीब मज़दूर बना 1600 करोड़ का मालिक, 15 रुपए महीने में करता था मजदूरी, जानिए कैसे हासिल की सफलता
नटराजन चंद्रशेखरन ने अपने करियर के दौरान कई बड़े पदों को संभाला है, जिसकी वजह से उन्हें अलग-अलग फील्ड में काम करने का एक्सपीरियंस है। वह नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज़ (नैसकॉम) के चेयरमैन रह चुके हैं, जबकि नटराजन को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के बोर्ड सदस्य के रूप में भी चुना गया था।
कई अवॉर्ड्स से किया गया है सम्मानित
नटराजन चंद्रशेखरन (Natarajan Chandrasekaran) ने अपनी ईमानदारी और मेहनत के दम पर भारत की लीडिंग कंपनी के साथ कई सालों का लंबा सफर तय किया है, जिसकी वजह से उनकी देश भर में एक अलग पहचान बन चुकी है। इतना ही नहीं नटराजन चंद्रशेखरन को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है, जिसमें बिजनेस कैटेगरी में साल 2014 में उन्हें CNN-IBN इंडियन ऑफ द ईयर का अवॉर्ड दिया गया था।
इतना ही नहीं साल 2015 में इंस्टीट्यूश्नल इंवेस्टर्स द्वारा आयोजित एनुअल ऑफ एशिया एक्जेकेविट टीम रैंकिंग्स में नटराजन चंद्रशेखरन को बेस्ट सीईओ का अवॉर्ड दिया गया था। वहीं हाल ही में नटराजन को पद्म भूषण से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है, जो उनके करियर का सबसे बड़ा अवॉर्ड साबित होगा।
नटराजन चंद्रशेखरन (Natarajan Chandrasekaran) ने यह साबित कर दिया कि अगर कोई व्यक्ति मन में ठान ले, तो वह सभी कठिनाईयों को पार करते हुए कामयाबी के शिखर तक पहुँच ही जाता है। वह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे, लेकिन उन्हें कुदाल के बजाय कमल उठाई और अपने करियर का एक नया अध्याय लिखने में कामयाब रहे।
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