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कभी पिता के साथ खेती में करती थी मदद, आज अपने कठिन परिश्रम के बदौलत हैं डीएसपी

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हालात से घबरा कर बैठ जाने से सफलता कभी नहीं मिलती, बल्कि हालात चाहे जैसे भी हों अपना उद्देश्य तय कर निरंतर उस पर ध्यान केंद्रित किया जाए, तो ही सफलता मिलती है। ऐसे ही सफलता प्राप्त की हैं ‘सरोज कुमारी’ (Saroj Kumari) ने, जिन्होंने खेतों में काम करने से लेकर डीएसपी बनने तक का सफ़र तय किया है। तो आइए जानते हैं इनके सफलता के सफ़र को।

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राजस्थान (Rajasthan) के एक छोटे से किसान परिवार में जन्मी सरोज कुमारी (Saroj Kumari), ऐसे समाज से आती हैं जहाँ इंटर पास करते हैं लड़कियों की शादी कर दी जाती है। उनके पिता आर्मी में कार्यरत थें और रिटायरमेंट के बाद उन्हें महज़ ₹700 प्रति माह पेंशन के रूप में मिलता था। परिवार चलाने के लिए उनके पिता खेती भी करने लगे, जिसमें ये चारों भाई-बहन उनकी मदद किया करते थें।

सरोज बताती हैं एक बार जब वह अपने माता-पिता के साथ खेतों में काम कर रही थीं, तभी हवा के झोंकों के साथ काग़ज़ का एक टुकड़ा उनके पास उड़ता हुआ आया जिस पर ‘किरण बेदी’ की स्टोरी छपी हुई थी। जब उन्होंने इसको पढ़ा तो इन्होंने पुलिस अधिकारी बनने का सोंचा। यह बात उन्होंने अपने बड़े भाई को बताया तो उन्होंने बोला “तू भी बन जा किरण बेदी” उसी वक़्त उन्होंने दृढ़ निश्चय कर लिया कि वह आईपीएस अधिकारी बनकर रहेंगी।

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तभी से पढाई में कठिन परिश्रम करने लगी। जब उन्होंने इंटर पास किया तभी से यूपीएससी की तैयारी भी करने लगी। उस दौरान उनके रिश्तेदार उन पर शादी की दबाव डालने लगे थें, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होते हुए भी उनके माता-पिता ने हर तरह से उनका सपोर्ट किया क्योंकि उनको सरोज के ऊपर पूरा भरोसा था।

जब उन्होंने 2011 में यूपीएससी पास किया और गुजरात कैडर की आईपीएस ऑफिसर बनी तो सारे रिश्तेदार और गाँव वाले आश्चर्यचकित हो गए क्योंकि उनके समाज में लड़कियाँ इतनी ही पढ़ाई जाती थीं, जितने में उनका विवाह हो सके। सरोज को अपने उपलब्धि के लिए ‘विमेन आइकॉन अवार्ड’ से सम्मानित भी की जा चुकी हैं।

उन्होंने यह दिखा दिया कि अपना उद्देश्य निश्चित करके उसके प्रति दृढ़ संकल्प होकर परिश्रम करें तो आपको निश्चित ही सफलता मिलती है। इसमें ग़रीबी रूकावट नहीं बनती।

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