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आदिवासी समाज के दिहाड़ी मजदूर की बेटी बनी IAS, दोस्तों ने चंदा इकट्ठा कर इंटरव्यू के लिए दिल्ली भेजा था

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IAS Sreedhanya Suresh Success Story – मजदूर जिनकी ज़िन्दगी उनके दिन और रात के मेहनत पर ही निर्भर रहती है, अगर उन्होंने मजदूरी की तो उनके घर का चूल्हा जलेगा और अगर किसी कारणवश नहीं की तो भूखे ही रहना पड़ेगा। ऐसी ही ज़िन्दगी होती है दिहाड़ी मजदूरों की और बात अगर आदिवासी मजदूर की हो तो स्थिति और भी खराब हो जाती है।

केरल का वायनाड भी एक ऐसा ही आदिवासी इलाक़ा है जो बहुत ज़्यादा पिछड़ा हुआ है। वहाँ की स्थिति इतनी खराब है कि वहाँ के रहने वाले लोग पढ़ाई लिखाई और स्कूल इत्यादि के बारे में बिल्कुल जानकारी नहीं रखते हैं। वहाँ रहने वाले बच्चे भी जंगलों में रहकर मां-बाप के साथ या तो टोकरी बनाने में मदद करते हैं या मजदूरी करते हैं और अपना पेट पालते हैं। लेकिन ऐसे ही माहौल में रहकर एक मज़दूर की बेटी IAS बनकर पूरे आदिवासी समाज के लिए एक मिसाल बनी। आइए जानते हैं उनकी पूरी कहानी को…

श्रीधन्या सुरेश (IAS Sreedhanya Suresh)

आदिवासी समाज की श्रीधन्या सुरेश (IAS Sreedhanya Suresh) केरल के वायनाड की रहने वाली है। इनके पिता मनरेगा में दिहाड़ी मज़दूर हैं, जो गाँव के ही बाज़ार में तीर और धनुष बेचने का काम किया करते हैं। इनके पिता मजदूरी करके ही अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। इनका जीवन बहुत ज़्यादा ग़रीबी में गुजरा है।

गाँव में पढ़ाई लिखाई या विद्यालय की कोई व्यवस्था नहीं थी। इतने अभाव में रहने के बावजूद भी वह पढ़ाई में कभी पीछे नहीं रही और हमेशा शिक्षा पर ध्यान दिया ताकि वह आदिवासी समाज की स्थिति को बदल सके। आखिरकार अपने मेहनत के दम पर श्रीधन्या ने अपने IAS बनने के सपने को पूरा कर ही लिया।

पिता ने कहा बेटी ने हमें बेहद अनमोल और कीमती तोहफा दिया है

श्रीधन्या (IAS Sreedhanya Suresh) एक कुरिचिया जनजाति समाज से आती हैं। इनके घर में इनके अलावा तीन भाई बहन और भी हैं। पिता की मजदूरी पर ही परिवार का पूरा ख़र्च आश्रित था। इनके पिता ने बताया कि “हमारे जीवन में बहुत मुश्किले थीं, इसके बावजूद भी हमने अपने बच्चों को पढ़ाने लिखाने में कभी कोई समझौता नहीं किया। अपनी बेटी के बारे में उन्होंने कहा कि श्रीधन्या ने हमें एक बेहद अनमोल और कीमती तोहफा दिया है, जिसके लिए हम सालों से संघर्ष करते आ रहे हैं। उसकी सफलता से हमारा पूरा समाज गर्व महसूस कर रहा है।”

आदिवासी हॉस्टल में वार्डन का काम भी किया

इतनी प्रतिकूल स्थिति होने के बावजूद भी श्रीधन्या स्नातक की पढ़ाई के लिए कोझीकोड गई और वहाँ के सेंट जोसेफ कॉलेज से जूलॉजी में स्नातक की डिग्री हासिल की। उसके बाद कालीकट विश्वविद्यालय से अपना पोस्ट-ग्रेजुएशन पूरा किया। अपना पूरा करने के बाद श्रीधनया ने केरल में ही अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में क्लर्क के रूप में काम करना शुरू कर दी। उन्होंने कुछ समय तक वायनाड में आदिवासी हॉस्टल में वार्डन का काम भी किया। श्रीधन्या जब भी किसी IAS अधिकारी को देखती तो काफी प्रभावित हो जाती थीं। वहीं से प्रभावित होकर उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने की ठान ली।

अनुसूचित जनजाति विभाग ने आर्थिक मदद भी की

सिविल सर्विसेज में जाने का फ़ैसला लेने के बाद उन्होंने इससे जुड़ी हुई सारी जानकारियों को इकट्ठा किया। उसके बाद अपने सपने को पूरा करने के लिए श्रीधन्या ने यूपीएससी के लिए ट्राइबल वेलफेयर द्वारा चलाए जा रहे सिविल सेवा प्रशिक्षण केंद्र में कुछ दिनों के लिए कोचिंग ज्वाइन कर लिया। कोचिंग में पढ़ाई के बाद वह तिरुवनंतपुरम चली गई और वहाँ जाकर परीक्षा के लिए तैयारी की। वहाँ जाने के लिए श्रीधन्या को अनुसूचित जनजाति विभाग ने आर्थिक मदद भी की थी।

साक्षात्कार के लिए दिल्ली जाने के लिए उनके पास एक भी पैसे नहीं थे

इस तरह काफ़ी संघर्षों के बाद 2018 में श्रीधनया ने मुख्य परीक्षा में सफलता पाई। इसके बाद जब उन्होंने अपना नाम साक्षात्कार के लिए मेरिट लिस्ट में देखा, तब उन्हें बहुत ज़्यादा ख़ुशी हुई। लेकिन उनकी ख़ुशी पल भर में ही ख़त्म हो गई, जब उन्हें पता चला कि उन्हें साक्षात्कार के लिए दिल्ली जाना है और वहाँ जाने के लिए उनके पास एक भी पैसे नहीं थे।

जब उन्होंने अपनी इस समस्या को अपने दोस्तों के साथ साझा किया, तब उनके दोस्तों ने मिलजुल कर लगभग 40 हज़ार रुपए चंदा इकट्ठा किया। उन्हीं पैसों से श्रीधन्या दिल्ली गई और अपना साक्षात्कार दिया और आज परिणाम सबके सामने है, जिसमें उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में 410 वीं रैंक के साथ यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की।

टूटे घर में इंटरव्यू लेने पहुंच गए थे मीडियावाले

श्रीधन्या (IAS Sreedhanya Suresh) को जैसे पता चला कि वह परीक्षा में सफल हो चुकी है उन्होंने सबसे पहले अपनी माँ को फ़ोन किया। बस थोड़ी ही देर में उनके घर पर ढेर हो मीडिया कर्मी पहुँच गए। उन्होंने बताया कि उस समय उनके घर की स्थिति बहुत खराब थी। घर पूरी तरह से टूटा फूटा था और कच्चा था। लेकिन उसी घर में पूरे परिवार के साथ कई मीडिया वालों ने श्रीधन्या का इंटरव्यू लिया। मीडिया से अपने उस इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि “मैं राज्य के सबसे पिछड़े जिले से हूँ। यहाँ आज तक कोई आदिवासी आईएएस ऑफिसर नहीं बन सका है, जबकि यहाँ पर बहुत बड़ी संख्या में जनजातीय आबादी है। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि मेरी सफलता से आने वाली पीढ़ी को काफ़ी प्रेरणा मिलेगी और वह भी अपनी पढ़ाई को लेकर सजग होंगे।”

उनकी सफलता पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी उन्हें शुभकामनाएँ देने उनके घर गई। तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर श्रीधन्या (IAS Sreedhanya Suresh) को बधाई दिया। श्रीधन्या ने बाक़ी कैंडिडेट्स को भी यह संदेश देते हुए कहा कि “आपकी कोशिश और सफलता पाने की ज़िद ही आपको सफलता दिला सकती है।” श्रीधन्या अपने केरल समुदाय की पहली ऐसी महिला हैं जो एक आईएएस ऑफिसर बनी है।

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News Desk
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