आईएएस रितिका जिंदल (IAS Ritika Jindal) – ज़िन्दगी में कई बार जब हम कुछ बड़ा करने चलते हैं तो परेशानियाँ हमें चारों तरफ़ से जकड़ लेती हैं। ऐसा लगता है मानो ये परेशानियाँ सिर्फ़ हमारे लिए ही बनकर आई हों। लेकिन परेशानी कभी जीवन भर नहीं रहती है। जो इस बात को समझ लेते हैं वह हमेशा कामयाब होते हैं। विपरीत हालातों में भी जो अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण और धैर्य नहीं खोते हैं वही अपनी अलग पहचान बनाते हैं।
आज भी हम आपको कुछ ऐसी ही एक कहानी बताने जा रहे हैं। जहाँ चुनौतियाँ हर तरफ़ थी। पर रास्ता भी उन्हीं में से होकर निकलता था। ऐसी परिस्थिति में भी सूझबूझ दिखाते हुए एक बेटी जो महज़ 22 साल की उम्र में IAS बन गई और चुनौतियों से पार पा लिया। आइए जानते हैं क्या है इस युवा IAS की ज़िन्दगी की कहानी। जिसने चुनौतियों को भी चुनौती देने का साहस दिखाया और फिर IAS बनकर दिखाया।
आईएएस रितिका जिंदल (IAS Ritika Jindal)
आईएएस रितिका जिंदल (Ritika jindal) का जन्म पंजाब के मोगा (moga) शहर में हुआ। रीतिका पंजाब के दूसरों बच्चों की ही तरह बचपन से ही लाला लाजपत राय और भगत सिंह की कहानियाँ पढ़कर बड़ी हुई हैं। इन कहानियों को पढ़कर हमेशा वह परिवार से बढ़कर समाज के बारे में सोचती थी। वह चाहती थी कुछ ऐसा किया जाए जो समाज में याद रखा जाए।
रितिका ने मोगा से ही अपनी दसवीं और बारहवीं की परीक्षा पास की है। रितिका ने पूरे उत्तर भारत से बारहवीं की CBSE (Central board of school education) परीक्षा टाॅप किया हुआ है। रितिका ने इसके बाद श्रीराम काॅलेज ऑफ कामर्स में दाखिला लिया। यहाँ से उन्होंने B.COM की पढ़ाई पूरी की। B.COM के दौरान उन्होंने काॅलेज में 95% अंक हासिल किए।
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जब शुरू की UPSC की तैयारी
रितिका बताती हैं कि कॉलेज पूरा करने के बाद उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू कर दी। बचपन से ही समाज से लगाव के चलते वह हमेशा अफसर बनना चाहती थी। ताकि उनका जीवन भगत सिंह, लाला लाजपत राय की तरह देश के काम आ सके। रितिका ने पहली बार जब UPSC की परीक्षा दी तो वह कुछ नंबरों से फाइनल लिस्ट से बाहर हो गई। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। दूसरी बार जब उन्होंने UPSC की परीक्षा दी तो देश में 88 वां रैंक हासिल किया। लेकिन ऐस तैयारी के दौरान उनके सामने एक बड़ी चुनौती बनी रही। जो कि उन्हें मानसिक तौर पर परेशान करती रही।
जब पिता को हो गया कैंसर
रितिका ने जैसे ही UPSC (Union Public Service Commission) की तैयारी शुरू की थी उनके पिता को टंग कैंसर हो गया। कुछ समय बाद टंग कैंसर तो ठीक हो गया, पर परेशानी यहीं ख़त्म नहीं हुई। कुछ समय बाद ही उन्हें लंग कैंसर हो गया। पिता से बेहद लगाव के चलते इन दिनों रितिका बेहद परेशान रहने लगी। पढ़ाई के दौरान उनका मानसिक संतुलन खोने लगा। लेकिन वह भी चाहती थी उनके पिता को कुछ करके दिखाया जाए। इसलिए परेशानी के बाद भी मेहनत का पीछा नहीं छोड़ा और एक दिन IAS (Indian Administrative Service) अफसर बनकर पिता का सिर गर्व से ऊंचा उठा दिया।
छात्रों को दिए ये सुझाव
रितिका ने ऐसे छात्रों के लिए तीन महत्त्वपूर्ण संदेश दिए हैं जो लगातार फेल होने के बाद तैयारी छोड़ देते हैं। उनके मन में निराशा हावी हो जाती है। आइए जानते हैं क्या हैं वह तीन संदेश…
1- रितिका अपना उदाहरण देते हुए कहती हैं कि उनके पिता को उनकी पढ़ाई के दौरान ही दो बार कैंसर हुआ। पर उन्होंने पढ़ाई प्रभावित नहीं होने दी। वह कहती हैं कि जीवन में हालातों पर हमारा नियंत्रण कभी नहीं होता है। हम सिर्फ़ हालातों से लड़ने के तरीके बदल सकते हैं। हमें जीवन की हर घड़ी में मुस्कुराना चाहिए। परेशानियाँ अपने आप ख़त्म हो जाएंगी और फिर से वही समय आ जाएगा। जो हम लाना चाहते हैं।
2- दूसरी सलाह में रितिका कहती हैं कि UPSC की परीक्षा पास करना एक दिन का काम नहीं है। इसलिए जब भी समय लगे तो हमें निराश नहीं होना चाहिए। उस समय में ख़ुद को बेहतर करना चाहिए। हमेशा खुश रहना चाहिए। खुश रहकर की गई पढ़ाई ज़्यादा प्रभावी रहती है, साथ ही लम्बे समय तक याद रहता है। अपनी ताकत को हमें कभी बिखरने नहीं देना चाहिए। यदि हम बिखर गए तो खड़ा होना मुश्किल हो जाएगा।
3- तीसरी सलाह में आईएएस रितिका जिंदल (IAS Ritika Jindal) कहती हैं कि हमें असफलता से कभी डरना नहीं चाहिए। असफलता वह सीढ़ी है जो सफलता की तरफ़ लेकर जाती है। यदि हम कभी असफल ही नहीं होंगे तो सीख कैसे मिलेगी। वह कहती हैं कि असफलता के बाद कभी हमें हार कर नहीं बैठना चाहिए। बेहतर होगा कि अपनी कमियों को देखें और उस पर काम करें। अपना उदाहरण देते हुए वह कहती हैं कि उन्होंनें सभी स्टेज पार कर ली थी पर फाइनल लिस्ट में नाम नहीं आया। इससे उन्होंने सीखा तभी आज इस मुकाम पर हैं। यदि वह पहली बार में ही तैयारी छोड़ देती तो भला आज को इस कामयाबी को कैसै हासिल करती।