हम आए दिन यूपीएससी (UPSC) पास करने वाले कैंडिडेट्स की सफलता की कहानियाँ सुनते रहते हैं, कुछ कैंडिडेट्स को तो सुविधाएँ और पढ़ाई का माहौल मिल जाता है लेकिन कुछ ऐसे भी प्रतिभागी होते हैं, जिन्हें यह परीक्षा पास करने के लिए बहुत ज़्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
आज हम जम्मू और कश्मीर के पूंछ जिले की प्रथम महिला IAS ऑफिसर रेहाना बशीर (IAS Rehana Bashir) के सक्सेस स्टोरी बताने जा रहे हैं जिन्होंने बहुत-सी समस्याओं से जूझकर यह मुकाम हासिल किया है।
रेहाना बशीर (IAS Rehana Bashir)
रेहाना बशीर (IAS Rehana Bashir) जो जम्मू और कश्मीर के पूंछ जिले के सलवा गाँव की निवासी हैं, उन्होंने वर्ष 2018 में यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) में 187वीं रैंक प्राप्त की। UPSC एग्जाम पास करने से पहले उन्होंने शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से MBBS भी किया है। इतना ही नहीं, मेडिकल साइंस में ग्रेजुएशन पूरा करने के पश्चात इन्होंने पीजी के लिए होने वाले नीट एग्जाम की प्रवेश परीक्षा दी थी, पर उसी दौरान उनका मन बदल गया और फिर उन्होंने UPSC की परीक्षा देने का निश्चय कर लिया था, जबकि उनका सलेक्शन नीटी पीजी एंट्रेंस में भी हो गया था पर फिर वे काउंसलिंग के लिए गयीं ही नहीं।
दरअसल रेहाना पहले निश्चय नहीं कर पा रही थी कि यूपीएससी को चुने या नीट पीजी को। पेगनेट पीजी का एंट्रेंस एग्जाम देने के बाद उन्होंने निश्चय ले ही लिया कि वे मेडिकल क्षेत्र को छोड़ UPSC एग्जाम देकर सिविल सर्विसेज ज्वाइन करेंगी। उनके इस निश्चय में उनके परिवार वालों ने भी उनका साथ दिया। रेहाना जैसे कई प्रतिभागी होते हैं जो जल्दी डिसाइड नहीं कर पाते हैं कि उन्हें किस क्षेत्र में जाना है। रेहाना ने कुछ समय निकल जाने के पश्चात सिविल सर्विस में जाने का सोचा था।
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आखिर क्यों चुना UPSC को
रेहाना के एक भाई ने भी UPSC एग्जाम पास किया है और वे IRS सर्विसेज में हैं। रेहाना और उनके भाई वे दोनों ही जब काफ़ी छोटी आयु के थे तभी उनके पिता जी गुजर गए थे, इसलिए उन्हें बचपन से ही बहुत-सी परेशानियाँ उठानी पड़ी। हालांकि उनकी माँ ने परिवार की जिम्मेदारी संभाली और बच्चों को पढ़ाया लिखाया, लेकिन फिर भी पिता के ना होने की वज़ह से इनका बचपन आम बच्चों जैसा नहीं था।
रेहाना ने अपने परिवार की सारी परिस्थितियाँ देखी थी कि उनकी माँ किस तरह से उनका पालन पोषण और पढ़ाई करवा रही हैं, अतः वे भी मन लगाकर पढ़ाई करती थीं। नतीजन उन्होंने मेडिकल के यूजी और पीजी दोनों ही एग्जाम पास कर लिए थे। जब वे ग्रेजुएशन कर रहीं थीं, उस समय उन्होंने ऐसी कम्यूनिटीज भी देखी जिनके पास सुख-सुविधाएँ होना तो दूर, बल्कि रोजमर्रा की ज़रूरी चीजें भी नहीं होती थी। फिर उन्हें हक़ीक़त का पता चला और उन्होंने किसी ऐसे फील्ड में जाने का सोचा जिससे वे ज़रूरतमंद लोगों की मदद कर पाएँ।
वे कहती हैं कि “एक डॉक्टर बनकर मैं सिर्फ़ एक मरीज का इलाज़ कर सकती हूँ, लेकिन मैं उसकी परेशानियों को हल नहीं कर सकती। ऐसे बहुत से मुद्दे हैं जो बहुत सारी हेल्थ प्रॉब्लम्स को हल कर सकते हैं, जैसे कि पीने के साफ़ पानी की पहुँच, उचित सड़कें, अच्छा भोजन, स्वच्छता, स्वास्थ्य और स्वच्छता आदि। सिविल सेवा के जरिए मैं लोगों की बेहतर सेवा कर सकूंगी।”
पहली बार असफल रहीं, माँ ने हिम्मत दी और फिर से जुट गईं तैयारी में
रेहाना नीट परीक्षा की एंट्रेंस में पास हो गई थी इसके बाद भी उसे बीच में छोड़ उन्होंने यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) दी, पर उनका चयन नहीं हुआ। तब रेहाना चिकित्सा क्षेत्र को बीच में छोड़कर यूपीएससी परीक्षा देने और इसके एंट्रेंस एग्जाम में ही पास ना होने की वज़ह से कुछ तनाव महसूस कर रही थीं, परंतु ऐसे समय में रेहाना की माँ और उनके भाई ने उन्हें हेमती और आत्मविश्वास रखकर फिर प्रयास करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद रेहाना भी पूरे जोर-शोर से दूसरी बार यूपीएससी परीक्षा देने के लिए तैयारी में लग गईं।
तैयारी के समय उन्हें बहुत-सी परेशानियाँ भी हुई। उन्होंने बताया कि जहाँ पर उनका घर है वहाँ इंटरनेट ठीक से नहीं चलता है कभी वहाँ पर नेटवर्क आते हैं और कभी नहीं। अतः उन्हें सॉफ्ट कॉपी से पढ़ने में दिक्कत होती थी तो उन्होंने सारे मटेरियल की हार्ड कॉपी अपने पास रख ली जिससे नेट प्रॉब्लम होने पर भी वे पढ़ाई कर पाएँ।
परीक्षा के दौरान माँ की सर्जरी हुई
रेहाना जब मेन्स की परीक्षा देने वाली थी उससे पहले उनकी माँ की एक बड़ी सर्जरी हुई थी। सर्जरी के समय उनके भैया भी प्रशिक्षण के लिए गए हुए थे इसलिए रेहाना के अलावा उनकी माँ की देखभाल करने के लिए घर कोई नहीं था। लेकिन रेहाना ने हिम्मत नहीं हारी, उन्होंने घर का काम, परीक्षा की तैयारी तथा अपनी माँ की देखभाल यह सारे कार्य अकेले ही संभाले।
रेहाना का भाग्य भी उनके साथ था इसलिए वे अपने इंटरव्यू के लिए एक दिन पहले ही दिल्ली चली गईं थीं, वरना उनके इंटरव्यू के दौरान ही सर्जिकल स्ट्राइक की वज़ह से सारी एयरबेस बंद कर दी गयी थी। ऐसे में अगर वे 1 दिन पहले दिल्ली नहीं पहुँचती, तो उनका इंटरव्यू रह जाता और फिर उन्हें अगले साल का इंतज़ार करना पड़ता।
IAS Rehana Bashir के काम की रणनीतियाँ
रेहाना बताती हैं कि जब भी मुझे कोई प्रोजेक्ट मिलेगा। मैं उस क्षेत्र के बारे में पढ़ने, असल वास्तविकताओं को जानने, नीति कार्यान्वयन का हिस्सा बनने की प्लानिंग करूंगी। वे कहती हैं कि-“मैं अपने कर्तव्यों को जानना चाहती हूँ, अपने कर्तव्यों को पूर्ण करना चाहती हूँ। इसके साथ ही मैं परिस्थितियों की मांग के अनुसार कार्य करूंगी” ।
रेहाना यह भी कहती हैं कि वे समाज में परिवर्तन लाना चाहती हैं। देश में कई सरकारी नियमों को लागू करना चाहती हैं। उन्होंने देश के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर करते हुए कहा कि-“मैं ख़ुशी से अपने देश के किसी भी राज्य में काम करना पसंद करूंगी और मैं सिर्फ़ कश्मीर तक ही सीमित नहीं रहना चाहती हूँ। मैं पहले अपने देश की सेवा करना चाहती हूँ।”
आपको बता दें कि रेहाना बशीर (IAS Rehana Bashir) के अलावा जम्मू और कश्मीर से 6 प्रतिभागियों ने UPSC की सिविल सर्विसेज परीक्षा, जो वर्ष 2018 में हुई थी, उसमें सफलता प्राप्त की। परन्तु रेहाना ने पहली महिला IAS ऑफिसर बनने का खिताब अपने नाम किया। अपनी सफलता पर रेहाना कहती हैं कि हमारे पास सुविधाएँ कम हैं लेकिन हम किसी से कम नहीं हैं। मैं छात्रों से कहना चाहूंगी कि अपने लक्ष्य के आगे किसी को बाधा न बनने दें।