IAS Ram Prakash Success Story : हर व्यक्ति के जीवन में अच्छा, बुरा और संघर्ष भरा वक्त आता है, जो पुरानी यादों की तरह हमारे मन मस्तिष्क में कैद हो जाती हैं। सोशल मीडिया के इस जमाने में कुछ लोग अपनी पुरानी यादों को तस्वीरों, किस्से और कहानियों के जरिए शेयर करते हैं, जो अपने आप में बहुत ही रोमांचक एहसास होता है।
ऐसे में इन दिनों एक IAS अधिकारी की पुरानी यादें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं, जिसमें उन्होंने अपने स्कूल के वक्त को याद करते हुए बताया कि वह लोग रोजाना बकरी चरान के लिए जाया करते थे। बकरी चराने वाले इस IAS अधिकारी का नाम राम प्रकाश है, जिनका ट्वीट इन दिनों खूब वायरल हो रहा है।
कौन हैं IAS ऑफिसर राम प्रकाश? (IAS Ram Prakash Success Story)
IAS ऑफिसर राम प्रकाश (IAS Ram Prakash) का जन्म उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित जमुआ बाजार नामक गांव में हुआ था, जिन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा से गांव में मौजूद स्थानीय स्कूल से ली थी। इसके बाद राम प्रकाश आगे की पढ़ाई करने के लिए वाराणसी में स्थित रोहनिया चले गए, जहां उन्होंने श्रद्धानंद सरस्वती इंटमीडियट कॉलेज में एडमिशन लिया था। ये भी पढ़ें – कभी पिता की दुकान पर बेचते थे खैनी, गरीबी से जूझते हुए पढ़ाई की, अब UPSC क्लियर कर बने IAS अधिकारी
कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद राम प्रकाश ने सिविल सर्विस की तैयारी करना शुरू कर दिया था, हालांकि उनके लिए यह सफर बिल्कुल भी आसान नहीं रहा। राम प्रकाश को पहले प्रयास में सफलता प्राप्त नहीं हुई, जिसके बाद उन्होंने दोबारा से सिविल सर्विस का एग्जाम दिया था।
हालांकि राम प्रकाश को दूसरी, तीसरी, चौथी और पांचवी बार भी एग्जाम क्लियर करने में कामयाबी हासिल नहीं हुई, लेकिन उन्होंने हालातों के सामने हार नहीं मानी और तैयारी करते रहे। इस तरह राम प्रकाश ने छठें प्रयास के दौरान सिविल सर्विस का एग्जाम क्लियर (IAS Ram Prakash Success Story) कर लिया था, जिसके बाद उन्होंने इंटरव्यू पास करने में भी सफलता प्राप्त कर ली थी।
इसके बाद राम प्रकाश को साल 2018 में राजस्थान कैडर में बतौर IAS अधिकारी नियुक्त किया गया था, जिसके बाद उनकी पोस्टिंग झालावार जिले के भवानी मंडी और अजमेर जिले के ब्यावर में होती रहती थी। वर्तमान में IAS राम प्रकाश पाली जिले में CEO जिला परिषद के पद पर कार्यरत हैं।
जून 2003: हम 5-6 लोग बकरियां चराने गए थे। वहीं पर आम के पेड़ की डाल पर झूला झूल रहे थे। अचानक से डाल टूट गई। किसी को चोट तो नही लगी लेकिन मार खाने से बचने के लिए हम लोग मिलकर पेड़ की डाल ही उठा लाए थे जिससे पता ही ना चले कि डाल टूटी है या नही। #justsaying #बचपन
— Ram Prakash, IAS (@ramprakash0324) April 3, 2022
बचपन में चराते थे बकरियां
IAS राम प्रकाश अपनी ड्यूटी करने के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं, जिसके चलते वह रोजाना कोई न कोई स्टोरी यूजर्स के साथ शेयर करते हैं। हाल ही में IAS राम प्रकाश ने अपने बचपन के दिनों की पुरानी यादों को ताजा करते हुए बताया कि वह स्कूल के बाद बकरियां चराने के लिए जाया करते थे।
IAS राम प्रकाश ने ट्वीट करते हुए लिखा कि साल 2003 में हम 5-6 लोग बकरियां चराने के लिए गए थे, इस दौरान हम आम के पेड़ की डाल पर झूला झूल रहे थे। तभी अचानक से डाल टूट गई, लेकिन किसी को चोट नहीं आई। हालांकि मार खाने के डर से हम लोग पेड़ की डाल को उठाकर ले गए, ताकि किसी को पता न चले कि डाल टूटी है।
IAS ऑफिसर राम प्रकाश बताते हैं कि गांव में स्कूल के बाद उन्हें रोजाना बकरियां चराने के लिए जाना पड़ता था, यह उनकी दिनचर्या के अहम कामों में से एक था। ऐसे में राम प्रकाश के साथ उनके कुछ साथी बकरियां चराते थे और साथ में खेल कूद करके अच्छा समय व्यतीत करते थे।
IAS अधिकारी राम प्रकाश द्वारा किए गए इस ट्वीट को यूजर्स ने काफी ज्यादा पसंद किया, जिसे सैकड़ों लोग रीट्वीट भी कर चुके हैं। एक यूजर ने राम प्रकाश की तारीफ करते हुए कहा कि भारतीय संविधान पर गर्व महसूस होता है, जहां एक बकरी चराने वाला बालक देश की सर्वोच्च सेवा (IAS) में शामिल होकर देश की सेवा कर रहा है।
देखें लोगों की प्रतिक्रियाएं
ये पढ़कर, भारतीय संविधान पर गर्व महसूस हुआ. एक संविधान ही है जिससे एक बकरी चराने वाला बालक देश की सर्वोच्च सेवा (IAS) में चयनित होकर देश की सेवा कर रहा है, और महानतम बात ये है कि अपना अतीत बड़े फख्र से बयाँ भी कर रहा है 👍
— satya pal kataria (@kataria_pal) April 3, 2022
Kudos
बहुत अच्छा निर्णय श्रीमान। एक बात और, कहां से कहां पहुंच गए, ये बात हम मध्यवर्गीय ग्रामीण पृष्ठभूमि के लोगों को एक सुखद अनुभूति का एहसास भी दिलाती है।🙏🙏 https://t.co/52qkO5YFUa pic.twitter.com/6T5b8cra3J
— Sunil Sharma (@SunilSh66877552) April 3, 2022
7वी कक्षा में पढ़ते हुए जीजी (दादी मां) के साथ बकरी चराने जाया करता था।
— PRADEEP SONKARIA (@pradeepsonkaria) April 3, 2022
एक दिन किसी काम की वजह से जीजी ने बोला तू जा, साथ वाले ग्वाल (चरवाहे) भी होंगे।
मैं उनके साथ खेलने लग गया और बकरियां कहीं चली गई, बाद में सब ढूंढने गए, शुक्र है दबकन (दूसरा गांव) में मिल गई।
2007-08#Memories
बचपन में घरवाले गाय चराने भेजते थे। एक दिन देर तक 'झूली डंका' खेलते खेलते गाय गुम गयी। बहुत ढूंढा पर गाय नही मिली। अब घर पर क्या जवाब देंगे ये सोचकर घबराहट हो गयी। पर बच्चे थे और हिम्मत करके घर पहुंच गए। पता चला गाय हमसे पहले घर पहुंच गई। देशी गाय अपने घर और मालिक को नही भूलती।
— राजेंद्र सिंह ढाका (@R_S_Dhaka) April 3, 2022
बचपन में टोली बना कर अमरूद के बागीचों मे फल तोडते समय मालिक आ गया।जो बच्चे नीचे थे वे भाग गये जो पेड़ चढ़े थे वो पकडे गये ।दोस्तों को पकड़ उसने अमरूद के पेड़ से बाँध कर शाम तक रखा पर दोस्ती ऐसी पक्की कि किसी ने किसी के घर नही बतलाया ।आज उन दोस्तों का पता नही कौन कहाँ होगा।जी +वन
— News & Views (@Shalimartowns) April 3, 2022
एक दिन घर वालों की अनुपस्थिति में घर से ऊंट नदी किनारे ले जाकर दोस्तों के साथ सवारी करने का मन हुआ। सब कुछ ठीक- ठाक था, ऊंची सी दीवार के सहारे लेकर ऊंट पर बैठ भी गए, नदी किनारे रेते में ऊंट बिदक गया। बड़ी मुश्किल से काबू में आया, चुपचाप घर पे लाकर बांध दिया। #बचपन
— 𝕍𝕚𝕟𝕠𝕕 𝕂 𝕄𝕖𝕖𝕟𝕒 🌍 (@_vkmeena) April 3, 2022
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