परिस्थितियाँ आपको बहुत कुछ सिखा जाती हैं इस बात का जीता जागता उदाहरण है महाराष्ट्र के भंडारा जिले की पद्मशीला तिरपुढे जो एक निम्न परिवार से सम्बंधित थी लेकिन उनमें कुछ कर गुजरने का जुनून और सामाजिक चेतना दोनों ही थीं।
पद्मशीला ने प्रेम विवाह किया और अपने पति की पारिवारिक स्थित को देखते हुए वे सिलबट्टे बेचने जाने लगीं, जिंदगी उनके पति की कुछ कमाई और उनकी मेहनत की कमाई से आसानी से गुजर रही थी लेकिन एक रोज़ की काहानी ने उन्हें बना दिया पुलिस अफसर।
तो एक रोज़ कुछ यूं हुआ कि किसी कारणवश पद्मशीला अपने काम पर नहीं जा सकीं और उसी दिन उनके पति के द्वारा कमाए गए 50 रुपए कहीं खो गए और जब शाम हुई तब पता चला कि घर पर इतने पैसे भी नहीं की कुछ बनाकर खाया जा सके उस रात पति और पद्मशीला नहीं सोए और पूरी रात यही सोचने में गुजर गई कि क्या ज़िन्दगी इसी तरह से गुजरेगी और सुबह होते ही शायद उन्हें उनके इस प्रश्न का उत्तर मिल चुका था।
चूंकि पति भी समझदार थे तो दोनों ने निश्चय किया कि अब पद्मशीला पढ़ाई करेगी और सरकारी नौकरी की तैयारी करेगी, आपने कई फ़िल्मों में देखा होगा कि कैसे एक गरीब पति अपनी पत्नी को पढ़ाने के लिए मजदूरी करता है और अंत में सफल होता है लेकिन ये कोई कहानी नहीं है क्योंकि यहाँ पद्मशीला के पति ने जिम्मेदारी को संभालते हुए बहुत मेहनत की और पद्मशीला को स्नातक की पढ़ाई के लिए कॉलेज में दाखिला दिलाया और दिन-रात मेहनत कर कॉलेज की फीस का इन्तजाम किया।
इधर पद्मशीला ने भी पति की मेहनत को बेकार नहीं जाने दिया और स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद सरकारी नौकरी के लिए कई नौकरियों में आवेदन दिया जिसके बाद महाराष्ट्र पुलिस में एमपीएसी की परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बाद आज पद्मशीला महाराष्ट्र पुलिस में उपनिरीक्षक के पद पर तैनात हैं।
यही है सच्ची हैसलों की उड़ान आजकल जहाँ लोगों लोगो के पास कई बहाने रहते हैं कि वह अपनी इस परिस्थिति की बजह से सफल नहीं हैं वहीं पद्मशीला ने साबित कर दिया कि परिस्थिति और क़िस्मत का रोना सिर्फ़ कमजोर ही रोते हैं, ताकतवर वही है जो बिकट परिस्थिति में भी संयम और समझदारी से काम लें।
पद्मशीला के इस फैसले ने उनकी और उनके परिवार की ज़िन्दगी ही बदल डाली और यहाँ उनके पति ने भी अपनी समझदारी से उनको समझा और उनका साथ देकर ये साबित कर दिया कि फ़िल्मों के अलाबा भी ऐसा हो सकता है।