जीत तो हमेशा मज़बूत इरादे वालों की होती है, कमजोर लोग तो हमेशा हारते हैं, क्योंकि दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं होता। बस आपको ज़रूरत होती है उस चीज को संभव बनाने की। अगर बिहार के सारण जिले की उस महिला ने भी इंटर की परीक्षा के दौरान बच्चे को जन्म देने के बाद फिर से परीक्षा में शामिल होने को असंभव माना होता तो आज उसका नाम हर लोगों की ज़ुबान पर नहीं होता। आइए जानते हैं पूरी घटना को…
बिहार में अभी परीक्षा का सीजन चल रहा है। परीक्षा के दौरान ही सभी को एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसे देखकर सभी हैरान थे। दरअसल इंटर की परीक्षा के पहले दिन ही, एक महिला परीक्षार्थी जो गर्भवती थी। परीक्षा के दौरान ही उसे प्रसव पीड़ा होने लगी जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में उसकी नॉर्मल डिलीवरी हुई जहाँ उसने एक स्वास्थ्य बेटी को जन्म दिया। बच्चे को जन्म देने के 6 घंटे के भीतर ही महिला अपने नवजात बच्ची के साथ परीक्षा केंद्र पर आई और अपनी इंटर की परीक्षा दी।
गर्भवती होने के बावजूद भी वह अपनी इंटर की परीक्षा में शामिल हुईं
इस महिला का नाम कुसुम कुमारी (Kusum Kumari) है जो पानापुर प्रखंड के टोटहाँ जगतपुर निवासी राजदेव राय की बेटी है। पिछले साल ही इनकी शादी सारण ज़िले के तरैया प्रखंड के नारायणपुर गाँव के मालिक राय से हुई। कला संकाय की छात्रा कुसुम कुमारी शादी होने के बाद भी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और गर्भवती होने के बावजूद भी वह अपनी इंटर की परीक्षा में शामिल हुईं। इस महिला की महानता और हौसले के कारण ही आज हर किसी के लिए यह चर्चा का विषय बनी है।
परीक्षा के कुछ ही घंटों पहले हुई डिलीवरी
बिहार में होने वाली इंटर की परीक्षा 1 फरवरी 2021 से शुरू हुई जिसमें कुसुम का पहला पेपर भूगोल 2 फरवरी को था। लेकिन 1 फरवरी को ही गर्भवती कुसुम को दर्द होने लगा जिसके बाद उन्हें वही के अस्पताल में भर्ती कराया गया। कुसुम की डिलीवरी नॉर्मल हुई इसलिए उन्होंने अपनी परीक्षा में शामिल होने की बात कही। इस बात पर उनके घर वालों ने भी सहयोग किया। अस्पताल में डॉक्टर ने भी कुसुम और उनकी बेटी को परीक्षा के नाम पर तुरंत डिस्चार्ज कर दिया। उसके बाद एक गाड़ी रिजर्व करके उन्हें छपरा लाया गया जहाँ कुसुम अपने नवजात बच्ची को गोद में लिए परीक्षा दी। आपको बता दें तो कुसुम का परीक्षा केंद्र छपरा स्थित गांधी उच्च विद्यालय में था।
हालांकि इतनी ठंड के मौसम में कुसुम के लिए एक नवजात बच्ची को गोद में लेकर परीक्षा देना बहुत नाज़ुक समय था। लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने यह फ़ैसला लिया और अपनी परीक्षा पूरी की। आज कुसुम के हौसले की और परीक्षा के प्रति गंभीरता की चर्चा हर लोग कर रहे हैं।