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महज 25 हजार रुपए खर्च करके शुरू करें यूकलिप्टस की खेती, सालाना होगी 60 लाख रुपए की कमाई

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Safeda Tree Farming: आपने अक्सर सुना होगा कि पैसे पेड़ पर नहीं उगते हैं, इसलिए इंसान को अपने खर्च पर कंट्रोल करना चाहिए। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे पेड़ के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको न सिर्फ छाया और हवा देगा बल्कि उसकी मदद से आप लाखों रुपए कमा सकते हैं।

यह किसी खास या दुर्लभ प्रजाति का पेड़ नहीं है और न ही इसकी बहुत ज्यादा देखभाल करनी पड़ती है, लेकिन इसके बावजूद इस पेड़ को उगाने वाला व्यक्ति बिना मेहनत किए साल भर में लखपति बन जाता है। तो आइए जानते हैं इस खास पेड़ के बारे में-

Eucalyptus-Farming-India

बेहद लाभदायक होता है सफेदा का पेड़

आपने अक्सर सड़क किनारे सफेदा का पेड़ देखा होगा, जो बहुत ही लंबा होता है। इसे इंग्लिश में यूकलिप्टस (Eucalyptus) कहा जाता है, जबकि भारत में सफेदा को गम और नीलगिरी के नाम से जाना जाता है। यूकलिप्टस मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया में उगाया जाता है, लेकिन यह भारत में भी काफी ज्यादा प्रचलित है।

इस पेड़ का तना सफेद होता है, जिसकी वजह से इसे आमतौर पर सफेदा के नाम से जाना जाता है। इस पेड़ की लकड़ी बहुत ही उपयोगी होती है, जिसका इस्तेमाल पेटियाँ, ईंधन, हार्ड बोर्ड, फर्नीचर और पार्टिकल बोर्ड इत्यादि बनाने के लिए किया जाता है।

हालांकि भारत में सफेदा के पेड़ की खेती बहुत ही कम की जाती है, जिसकी वजह से यह पेड़ सड़क किनारे दिखाई देते हैं। लेकिन अगर आप चाहे तो सफेदा के पेड़ की खेती करके सालाना लाखों रुपए कमा सकता है, क्योंकि बाज़ार में इसकी लड़की मांग काफी ज्यादा होती है।

कम खर्च में ज्यादा कमाई (Eucalyptus Farming Profit)

सफेदा का पेड़ लाभदायक होने के साथ-साथ कम खर्चीला होता है, जिसकी वजह से इसको उगाना और देखभाल करने पर ज्यादा पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह पेड़ सिर्फ लंबाई में बढ़ता है, जिसकी वजह से इसे उगाने के लिए चौड़ी जगह की जरूरत नहीं होती है। ऐसे में कम जमीन और पैसों में पर सफेदा के पेड़ की खेती शुरू की जा सकती है।

इसके पौधे किसी भी नर्सरी में आसानी से मिल जाते हैं, जिनकी कीमत 7 से 8 रुपए प्रति पौधा होती है। ऐसे में अगर आप 1 हेक्टेयर जमीन पर सफेदा के 3 हजार पौधें लगाते हैं, तो इसके लिए आपको महज 25 हजार रुपए की रकम खर्च करनी होगी। इन पौधों की सिंचाई के लिए ज्यादा पानी नहीं लगता है, जबकि यह किसी भी तरह की मिट्टी में उगने की क्षमता रखते हैं।

सफेदा का पौधों महज 4 से 5 में बड़े पेड़ के रूप में विकसित हो जाता है, जो हर साल तकरीबन 400 किलोग्राम लकड़ी देता है। इस हिसाब से देखा जाए तो 3 हजार पेड़ों से 12, 00, 000 किलोग्राम लकड़ी प्राप्त की जा सकती है, जिसकी बाज़ार में कीमत 6 से 7 रुपए प्रति किलोग्राम तक होती है।

ऐसे में 6 रुपए प्रति किलोग्राम की कीमत पर 12, 00, 000 किलो लकड़ी बेचने पर आपको 72 लाख रुपए की कमाई हो सकती है। इस हिसाब से देखा जाए तो आप मात्र 25 हजार रुपए खर्च करके 5 साल के अंदर लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं। इस रकम से अगर आप मजदूरी और ढुलाई का खर्च अलग कर देते हैं, तो भी आपको 60 लाख रुपए का फायदा मिल सकता है।

कैसे करें सफेदा के पेड़ की खेती? (How to do Eucalyptus tree farming)

सफेदा का पेड़ किसी भी तरह की जलवायु या मौसम में आसानी से उग जाता है, इसलिए भारत के किसी भी राज्य में इसकी खेती की जा सकती है। इसके अलावा सफेदा का पौधा कम उपजाऊ वाली मिट्टी में भी उग जाते हैं, जिन्हें बहुत ज्यादा पानी या सिंचाई की जरूरत नहीं होती है।

सफेदा की फसल उगाने के लिए सबसे पहले खेत की जुताई करके उसकी मिट्टी को एक समान समतल करना पड़ता है, जिसके बाद मिट्टी में गड्ढे बनाकर उनमें खाद डाली जाती है और मिट्टी को सिंचाई की जाती है।

खेत में गड्ढों का निर्माण करने और उन्हें खाद व सिंचाई से तैयार के लगभग 20 दिन बाद उनमें सफेदा के पौधों की रोपाई की जाती है, इन पौधों को 5-5 फीट की दूरी पर रोपा जाता है ताकि वह आसानी से बढ़ सके। सफेदा सीधे आसमान की तरफ बढ़ने वाला पेड़ है, जो 30 से 90 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ सकता है।

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खेती करने के लिए सबसे अच्छा मौसम

अगर आप सफेदा के पेड़ की खेती करने का तैयारी कर रहे हैं, तो इसके लिए बरसात का मौसम सबसे बेहतरीन माना जाता है। क्योंकि बारिश के मौसम में सफेदा के पौधे लगाने के बाद उन्हें बार-बार सिंचाने की जरूरत नहीं पड़ती है, जिससे पानी और मेहनत में बचत हो जाती है।

वहीं सामान्य मौसम में सफेदा के पौधों को 30 से 40 दिन के अंतराल में पानी की जरूरत पड़ती है, जिसकी वजह से इसकी खेती करने वाले व्यक्ति को हर वक्त खेत में आने और पौधों की निगरानी करने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके अलावा यह पेड़ जानवर और मवेशियों की पहुँच से दूर होता है, क्योंकि वह इसके पत्तों का सेवन नहीं करते हैं।

हालांकि सफेदा के पौधों को खरपतवार और कीड़े मकौड़ों से बचाना पड़ता है, जिसके लिए आप इसके पौधों पर कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं। लेकिन जब सफेदा के पौधें थोड़े बड़े हो जाते हैं, तो फिर उन्हें कीटनाशक की जरूरत नहीं होती। इस पेड़ पर उगने वाले पत्तों से धीमी-धीमी गंध आती है, जिसकी वजह से कीड़े, मकौड़े और मच्छर आदि को दूर भग जाते हैं।

आपको बता दें कि भारत में यूकलिप्टस की 6 अलग-अलग प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिसमें यूकलिप्टस निटेंस, यूकलिप्टस ऑब्लिक्वा, यूकलिप्टस विमिनैलिस, यूकलिप्टस डेलीगेटेंसिस, यूकलिप्टस ग्लोब्युल्स और यूकलिप्टस डायवर्सीकलर शामिल है। आप इनमें से किसी भी प्रजाति के यूकलिप्टस की खेती कर सकते हैं, जिन्हें एक की तरह से उगाया जाता है।

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
शिवानी भंडारी एक कंटेंट राइटर है, जो मीडिया और कहानी से जुड़ा लेखन करती हैं। शिवानी ने पत्रकारिता में M.A की डिग्री ली है और फिलहाल AWESOME GYAN के लिए फ्रीलांसर कार्य कर रही हैं।

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