Bisleri Mineral Water Brand Success Story – बिसलेरी (Bisleri Brand) भारत में सबसे ज़्यादा बिकने वाला पानी का ब्रांड है, जो आपको कम दामों में बेहतरीन पानी उपलब्ध करवाता है। इतना ही नहीं टेलीविजन पर ही बिसलेरी का अनोखा एड आता है, जिसकी वज़ह से बिसलेरी भारत का सबसे भरोसेमंद वाटर ब्रांड (Packged drinking water) बन चुका है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बिसलेरी की शुरुआत कैसे हुई थी और इस आइडिया के पीछे किसी व्यक्ति का दिमाग़ था। अगर नहीं… तो बिसलेरी की सफलता की कहानी जानने के बाद आपको जीवन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिलेगी-
बिसलेरी की शुरुआत ( Bisleri Mineral Water Brand Success Story )
आज हर भारतीय जानता होगा कि बिसलेरी एक वाटर ब्रांड है, लेकिन इस कामयाबी को हासिल करने में बिसलेरी को कई सालों का समय लगा था। बिसलेरी की स्थापना इटैलियन बिजनेसमैन FELICE BISLERI ने की थी, इसलिए उन्होंने अपने सरनेम पर इस ब्रांड का नाम BISLERI रखा था।
लेकिन बिसलेरी शुरुआत वाटर ब्रांड के रूप में पहचानी नहीं जाती थी, बल्कि बाज़ार में इस ब्रांड द्वारा बनाई जाने वाली मलेरिया की दवाई बेची जाती थी। उस समय मुंबई में भी BISLERI की शाखा हुआ करती थी, जहाँ दवा का निर्माण किया जाता था। सन् 1921 में FELICE BISLERI की मृत्यु के बाद उनकी कंपनी को रोजिज नामक डॉक्टर ने संभाला और वह इस दवाई कंपनी के नए मालिक बन गए। इस तरह बिसलेरी लोगों को मलेरिया के इलाज़ के लिए दवाई उपलब्ध करवाती थी।
भारत में बिसलेरी की वाटर ब्रांड के रूप में शुरुआत ( Bisleri Mineral Water )
ऐसे में डॉक्टर रोजिज ने भारत में बिसलेरी की शुरुआत करने का फ़ैसला किया, जिसके बाद उन्होंने भारतीय बिजनेसमैन खुशरू संतुक (Khushroo Suntook) से मुलाकात की। क्योंकि खुशरू संतुक के पिता नरीमन संतुक (Nariman Suntook) डॉक्टर रोजिज के काफ़ी अच्छे दोस्त हुआ करते थे। ऐसे में डॉक्टर रोजिज ने भारत में बिसलेरी को दवा के बजाय पानी के रूप में स्थापित करने का फ़ैसला किया और खुशरू संतुक को अपना बिजनेस कॉन्सेप्ट समझाया। डॉक्टर रोजिज को यक़ीन था कि भारत में उनका बिसलेरी बिजनेस काफ़ी चलेगा, इसलिए उन्होंने जल्द से जल्द अपना काम शुरू कर लिया।
आपको बता दें कि खुसरू संतुक की गितनी भारत के सबसे प्रसिद्ध बिजनेसमैन में की जाती है, जिन्होंने सन् 1965 में मुंबई के ठाणे में बिसलेरी वाटर प्लांट (Bisleri Water Plant) की नींव रखी थी। भारत में बिसलेरी को पानी के रूप में भले ही डॉक्टर रोजिज लेकर आए थे, लेकिन उसे ब्रांड प्रसिद्ध बनाने का श्रेय खुशरू संतुक को दिया जाता है।
लोगों ने उड़ाया बिसलेरी का मजाक
जब खुशरू संतुक ने बाज़ार में बिसलेरी के नाम से वाटर ब्रांड की शुरुआत की, तो लोगों ने उन्हें पागल कहने का एक भी मौका नहीं छोड़ा। सभी का कहना था कि भारत जैसे देश में 1 रुपया देकर पानी की बोतल कौन खरीदेगा? उस समय भारत में 1 रुपए की क़ीमत काफ़ी ज़्यादा थी, इसलिए 1 रुपया ख़र्च करके पानी की बोतल खरीदने का विचार हर किसी को अजीब और अटपटा लग रहा था। लेकिन खुशरू संतुक तय कर चुके थे कि वह भारतीय बाज़ार में अच्छी क्वालिटी का पानी बेच कर रहेंगे।
जब खुशरू संतुक ने बिसलेरी को वाटर ब्रांड (Bisleri Water Brand) के रूप में बाज़ार में लॉन्च किया था, उस समय मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में पीने के पानी की क्वालिटी बहुत ही खराब थी। यही वज़ह थी कि डॉक्टर रोजिज और खुशरू संतुक ने मुंबई में बिसलेरी के जरिए पानी बेचने का बिसनेस शुरू किया।
पानी से ज़्यादा बिकता था बिसलेरी सोडा
भले ही बिसलेरी और उसकी शुरुआत करने वाले खुशरू संतुक को लोगों के ता नों का सामना करना पड़ा, लेकिन यह प्रोडक्ट देखते ही देखते बाज़ार में प्रसिद्ध हो गया था। बिसलेरी ने सबसे पहले पानी और सोडा की बोतल को बाज़ार में उतारा, जो शुरुआत में सिर्फ़ 5 स्टार होलट और महंगे रेस्टोरेंट्स में ही मिलते थे। लेकिन बीतते समय के साथ बिसलेरी ने बाज़ार में अपनी जगह बना ली और आम लोग भी उसे खरीदने लगे।
इस दौरान लोग बिसलेरी पानी के मुकाबले सोडा ज़्यादा खरीदते थे, जिसकी वज़ह से भारतीय बाज़ार में बिसलेरी वाटर को बेच पाना बहुत ही मुश्किल काम हो गया था। इसी वज़ह से खुशरू संतुक ने बिसलेरी को बेचने का मन बना लिया था, क्योंकि उनका बाज़ार में पानी बेचने का आइडिया फेल हो रहा था।
फर्श से अर्श तक का सफर ( Bisleri Mineral Water Success Story )
बाजार में बिसलेरी वाटर न बेच पाने की वज़ह से खुशरू संतुक ने कंपनी को बेचने का ऐलान कर दिया, जिसे पार्ले कंपनी के चौहान ब्रदर्श ने उसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई। इसी के चलते रमेश चौहान ने साल 1969 में बिसलेरी (Bisleri India Limited) को 4 लाख रुपए में खरीद लिया। जब चौहान ब्रदर्स ने बिसलेरी को खरीदा था, तो उस समय इस ब्रांड के भारत में सिर्फ़ 5 स्टोर थे, जिनमें 4 स्टोर मुंबई और 1 स्टोर कोलकाता में स्थित था। ऐसे में चौहान ब्रदर्स के लिए बिसलेरी को बाज़ार में फिर से उताना बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य था।
इसके बाद साल 1970 में रमेश चौहान ने बिसलेरी को नए लेबल के साथ बाज़ार में उतारा, जिसमें उन्होंने बिसलेरी के ब्रांड लॉन्च किए। इन दो ब्रांड्स में बबली और स्टिल नामक पानी की बोतल शामिल थी, जबकि बिसलेरी सोडा भी बाज़ार में बेचा जा रहा था। इस तरह पार्ले ग्रुप ने कई सालों तक बिसलेरी के पानी और सोडा को उसी नाम से बेचा, जिसकी वज़ह से इस वाटर ब्रांड ने काफ़ी हद तक बाज़ार में पकड़ बना ली। इसके बाद कंपनी ने बिसलेरी की सॉफ्ट ड्रिंक भी लॉन्च की, जो कांच के बोतल में बिकती थी।
रिसर्च कार्य से मिली सफलता
बिसलेरी का व्यापार बाज़ार में चल तो रहा था, लेकिन अभी इस ब्रांड का भारत में पहचान बनाना बाक़ी था। ऐसे में कंपनी ने रिसर्च के जरिए यह पता लगाया कि भारत के किन स्थानों पर गंदा या अशुद्ध पानी मिलता है। रिसर्च से पता चला कि भारत के सार्वजनिक स्थानों यानी रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप, सड़क के किनारे स्थित ढाबों आदि में साफ़ पीने का पानी नहीं मिलता है, जिसकी वज़ह से लोगों को सोडा खरीद कर पीना पड़ता है।
इसके बाद पार्ले कंपनी ने बिसलेरी की बोतलों को रेलवे स्टेशन से लेकर बस स्टॉप और ढाबे पर बेचना शुरू कर दिया, ताकि लोगों को साफ़ और अच्छी क्वालिटी का पानी पीने को मिले। इसके साथ ही कंपनी ने बिसलेरी के ब्रांड प्रोमोशन और पेकिंग को लेकरभ नए बदलाव किए, जो इस वाटर ब्रांड की कामयाबी के लिए काफ़ी मददगार साबित हुए। इस तरह फील्ड पर उतरने के बाद बिसलेरी भारत में काफ़ी हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गया था।
Bisleri के लिए नई चुनौती
लगभग दो दशक तक हाथ पैर मारने के बाद जब बिसलेरी को उसकी असली पहचान मिलने लगी, तो उसी दौरान बाज़ार में उसके प्रतिद्वंद्वी पैर पसारने लगे। साल 2000 की शुरुआत में बेली, एक्वाफीना और किनले जैसे वाटर ब्रांड्स की बाज़ार में एंट्री हुई, जिसकी वज़ह से बिसलेरी का सफ़र एक बार फिर मुश्किल हो गया। पीने के पानी को लेकर हर कंपनी का अपना दावा था, जो बाज़ार में बिसलेरी की जगह लेना चाहते थे। ऐसे में विभिन्न वाटर ब्रांड्स से मिल रही टक्कर की वज़ह से बिसलेरी ने अलग-अलग साइज की बोतल में पानी बेचना शुरू कर दिया।
इसके साथ ही बिसलेरी ने अपनी जगह बनाए रखने के लिए महंगे विज्ञापन भी दिए, जिसकी वज़ह से कंपनी की सेल दिन ब दिन बढ़ती चली गई। वैसे भी साल 2000 आने तक बिसलेरी भारतीय बाज़ार की ज़रूरत को अच्छी तरह से समझ चुकी थी, इसलिए उसको अपना पद संभाले रखने में ज़्यादा मुश्किल नहीं हुई।
यूरोप में Bisleri की शुरुआत
भारत में अपनी स्थिति मज़बूत करने के बाद बिसलेरी को पता चल चुका था कि किसी भी नए वाटर ब्रांड के लिए उसकी जगह छिन पाना आसान नहीं है। इसलिए कंपनी ने साल 2003 में यूरोप में बिसलेरी की शुरुआत कर दी, जिसकी वज़ह से यह वाटर ब्रांड और भी ज़्यादा प्रसिद्ध हो गया।
आज बिसलेरी
आज भारतीय बाज़ार में बोतल बंद पेयजल के कुल व्यापार में बिसलेरी की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है। भारत में बिसलेरी के 135 से भी ज़्यादा वाटर प्लांट्स है, जहाँ रोजाना 2 करोड़ लीटर से ज़्यादा पीने का साफ़ पानी तैयार किया जाता है। वर्तमान में बिसलेरी का व्यापार इतना फैल चुका है कि उसकी सप्लाई के लिए 5000 से ज़्यादा ट्रक और 3, 500 ड्रिस्टीब्यूटर्स और साढ़े तीन लाख रिटेल ऑउटलेट्स मौजूद हैं। यही वज़ह है कि बिसलेरी आज भारत का सबसे भरोसेमंद और नबंर वन वाटर ब्रांड की उपाधि लेकर बैठा है।
बिसलेरी को पिछले 50 सालों से भारत में बनाए रखने का श्रेय रमेश चौहान ( Bisleri Chairman Ramesh Chauhan ) को जाता है, जो वर्तमान में बिसलेरी इंटरनेशनल के चेयरमैन है। 76 वर्षीय रमेश चौहान ने अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Massachusetts Institute of Technology) से इंजीनियरिंग और बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की थी। Bisleri Mineral Water Brand Success Story