कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों… यह कहावत तो आपने कभी न कभी सुनी होगी। लेकिन इसका असल मतलब समझने में इंसान की पूरी ज़िन्दगी गुजर जाता है।
हालांकि इस दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी मौजूद है, जो न सिर्फ़ इस कहावत को सच कर दिखाते हैं बल्कि आने वाली पीढ़ी को सबक भी दे जाते हैं। ऐसे ही लोगों में शुमार है गुलशन कुमार (Gulshan Kumar) का नाम, जिन्होंने टी-सीरीज (T-Series) की स्थापना कर कारोबार के क्षेत्र में असीम ऊंचाईयों को हासिल कर दिखाया।
गुलशन कुमार (Gulshan Kumar)
भले ही आज गुलशन कुमार हम सभी के बीच मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा गाए भक्ति गीत और कारोबार की सफलता आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय है। 5 मई 1956 को दिल्ली के एक पंजाबी परिवार में जन्म लेने वाले गुलशन कुमार का बचपन बहुत ही ग़रीबी में बीता था, क्योंकि उनके पिता जी एक छोटी-सी जूस की दुकान थी।
जूस की दुकान से पूरे परिवार का भरण पोषण कर पाना बहुत ही मुश्किल होता था, ऐसे में गुलशन कुमार ने बचपन से ही जूस की दुकान पर अपने पिता की मदद करनी शुरू कर दी थी। इस तरह दुकान में काम करते हुए गुलशन कुमार की दिलचस्पी व्यापार में ही बढ़ने लगी, जिसके बाद उन्होंने 23 साल की उम्र में एक दुकान से अपने कारोबार की शुरुआत की।
कैसेट की दुकान से टी-सीरीज तक का सफर
गुलशन कुमार उस दुकान में ऑडियो कैसेट बेचना शुरू कर दिया, जिसे उन्होंने ‘सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ का नाम दिया। इस तरह कुछ समय बाद गुलशन कुमार ने ओरिजिनल गानों को अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड करके उसे कैसेट के रूप में बेचना शुरू कर दिया, जिसकी वज़ह से उन्हें काफ़ी मुनाफा हुआ।
अपना कारोबार बढ़ाने के लिए गुलशन कुमार ने सस्ते दामों पर कैसेट को बेचना शुरू कर दिया, जहाँ दूसरी कंपनियाँ 28 रुपए में कैसेट बचेती थी वहीं गुलशन कुमार की कंपनी ग्राहकों को 15 रुपए में कैसेट मुहैया करवाती थी। इस तरह 70 के दशक में गुलशन कुमार के कैसेट्स की डिमांड अचानक से तेजी से बढ़ने लगी।
गुलशन कुमार ने कैसेट्स की मांग को बढ़ते हुए देखा, तो उन्होंने भक्ति गीतों की सीरीज शुरू करने का फ़ैसला किया। लेकिन गुलशन कुमार अपने कारोबार को एक नाम देना चाहते थे, लिहाजा उन्होंने 11 जुलाई 1983 को टी-सीरीज (T-Series) की नींव रखी। इस म्यूजिक कंपनी के तहत गुलशन कुमार ने न सिर्फ़ अपने करियर की शुरुआत की, बल्कि कई लोगों का भविष्य बेहतर बनाने में भूमिका निभाई।
इस तरह गुलशन कुमार ने अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए भक्ति गीत गाने शुरू कर दिए, जो भारत वर्ष में ख़ूब प्रसिद्ध हुए। इस तरह गुलशन कुमार ने म्यूजिक इंडस्ट्री में क़दम रखा और देखते ही देखते एक सफल बिजनेसमैन के रूप में पहचान बनाने में कामयाब हो गए।
म्यूजिक इंडस्ट्री से फ़िल्मी दुनिया तक का सफर
गुलशन कुमार ने जिस कैसेट्स का बिजनेस आर्थिक स्थिति में सुधार करने के मकसद से शुरू किया था, अब वही कारोबार अलग ही रूप ले चुका था। गुलशन कुमार भारत के मशहूर भक्ति गायक बन चुके थे, जिसके बाद उन्होंने फ़िल्मी दुनिया में क़दम रखने का फ़ैसला किया। गुलशन कुमार ही वह शख़्स थे, जिन्होंने बॉलीवुड को हिंदू पौराणिक कथाओं और कहानियों के जरिए धार्मिक फ़िल्में और सीरियल्स दिए। इस तरह गुलशन कुमार ने कई धार्मिक सीरियल्स और फ़िल्मों को प्रोड्यूस किया और उसमें भक्ति गीत का गायन किया।
सामाजिक और धार्मिक कल्याण के लिए दान
गुलशन कुमार को भक्ति गीत के जरिए इतनी कामयाबी मिली कि उन्होंने अपने कमाई का एक हिस्सा सामाजिक और धार्मिक संगठनों को दान करना शुरू कर दिया था, ताकि जन कल्याण के लिए महत्त्वपूर्ण क़दम उठाए जा सके। गुलशन कुमार को माँ वैष्णो देवी में असीम श्रद्धा और विश्वास था, लिहाजा उन्होंने माता के दरबार में भंडारे का आयोजन शुरू कर दिया। गुलशन कुमार की वज़ह से ही माता के दरबार में आने वाला कोई भी भक्त खाली पेट वापस नहीं लौटता था, जिसकी वज़ह से गुलशन कुमार आम लोगों के बीच काफ़ी ज़्यादा लोकप्रिय हो गए।
मृत्यु के बाद बेटे ने संभाली कंपनी
भक्ति कार्यक्रमों और मंदिरों में दान करने वाले गुलशन कुमार को 12 अगस्त 1997 को मुंबई के जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गोली मार दी गई, जिसकी वज़ह से उनकी मौके पर ही मौत हो गई। उस समय गुलशन कुमार के बेट भूषण कुमार की उम्र 19 साल थी, जिन्होंने छोटी-सी उम्र में ही अपने पिता का कारोबार संभालने की जिम्मेदारी उठाई।
तब से लेकर अब तक भूषण कुमार (Bhushan Kumar) ही टी-सीरीज (T-Series) को संभाल रहे हैं, जिसके बैनर तले कई बॉलीवुड गाने रिलीज होते हैं। वर्तमान में टी-सीरीज के यू-ट्यूब पर सब्सक्राइब्स की संख्या 183 मीलियन से भी ज़्यादा है, जो दुनिया का Most-Subscribed YouTube Channel के रूप में जाना जाता है।