आज के आधुनिक दौर में हर व्यक्ति पढ़ाई लिखाई करके अच्छी नौकरी करने की चाह रखता है, ताकि बदलते ज़माने के साथ वह क़दम से क़दम मिलाकर आगे चल सके। लेकिन कामयाबी हासिल करने की इस रेस में हम यह भूल जाते हैं कि अगर हर कोई कुर्सी पर बैठकर काम करने के सपने देखेगा, तो खेतों पर फ़सल उगाने और उसे लोगों के मुंह का निवाला बनाने के लिए मेहनत कौन करेगा।
हालांकि इस एडवांस ज़माने में कुछ ऐसे लोग भी मौजूद हैं, जो कंप्यूटर पर उंगलियाँ चलाने से ज़्यादा खेतों पर मेहनत करके सब्जी, फल और अन्य फसलों को उगाते हैं। उन्हीं चंद लोगों में शामिल हैं कविता मिश्रा (Kavita Mishra) , जिन्होंने अपनी आरामदायक नौकरी छोड़कर खेत में फ़सल उगाने का फ़ैसला किया था। यह कविता की मेहनत और आत्मविश्वास का ही नतीजा है कि वह आज लाखों रुपए का मुनाफा कमा रही हैं, तो आइए जानते हैं उनकी प्रेरणादायक कहानी।
कविता मिश्रा (Kavita Mishra) की प्रेरणादायक कहानी
कर्नाटक की रहने वाली कविता मिश्रा आज की युवा पीढ़ी को आधुनिक तरीके से खेती करने और किसानी में अपना भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करती हैं, क्योंकि उन्होंने भी इसी मिट्टी के जरिए कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ी थी। दरअसल शादी के बाद कविता मिश्रा इनफ़ोसिस (Infosys) नामक एक बहुराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सेवा कंपनी में नौकरी करती थी, जहाँ उनकी सैलेरी भी अच्छी खासी थी।
लेकिन कविता को कंपनी में बैठकर काम करने में वह तसल्ली नहीं मिल रही थी, जो उन्हें हरे भरे खेतों को देखकर मिलती थी। लिहाजा कविता ने अपनी आरामदायक नौकरी को छोड़ने का फ़ैसला किया और खेती में अपना हाथ आजमाने के लिए निकल पड़ी।
नौकरी छोड़कर सीखे खेती के गुर
कविता मिश्रा ने आज से 11 साल पहले यानी साल 2010 में खेती की शुरुआत की थी, इसके लिए उन्होंने अपने परिवार की 8 एकड़ ज़मीन को चुना। वह ज़मीन लंबे समय से बंजर थी, जिस पर खेती कर नई फ़सल उगाना कविता के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य था।
हालांकि कविता ने अपने कमर कस ली थी, लिहाजा बंजर ज़मीन पर खेती करने की चुनौती उनके हौंसले को कमजोर नहीं कर पाई। कविता जानती थी कि खेती के क्षेत्र में उन्हें कोई अनुभव नहीं है, इसलिए कोई भी फ़सल उगाने से पहले उन्होंने खेती से जुड़ी बारीक जानकारियों को समझा और उसके बाद खेती शुरू की।
विभिन्न फलों समेत शुरू की चंदन की खेती
किसानी की बारीकियाँ सीखने के बाद कविता मिश्रा ने सबसे पहले 8 एकड़ की बंजर ज़मीन को उपजाऊ बनाया, जिसके बाद उन्होंने सबसे पहले अनार खेती शुरू की। इस तरह अनार की खेती करते हुए कविता को किसानी के नए-नए गुण पता चलने लगे और उन्होंने काफ़ी सारा अनुभव भी प्राप्त कर लिया था।
कविता के खेतों में अनार की फ़सल बहुत अच्छे तरीके से फल फूल रही थी, लिहाजा उन्होंने ज़मीन के एक हिस्से में चंदन की खेती शुरू करने का फ़ैसला किया। भारत में चंदन की खेती बहुत ही कम जगहों पर होती है, जबकि उसकी बाज़ार में क़ीमत काफ़ी ज़्यादा है।
ऐसे में खेती में नया प्रयोग करने के लिए कविता ने चंदन की खेती से जुड़ी जानकारी इकट्ठा की और जैविक उर्वरक की मदद से चंदन की फ़सल उगानी शुरू कर दी। कुछ ही दिनों में कविता मिश्रा के सामने चंदन के पौधे पेड़ों की शक्ल लेने लगे, जिसके बाद उन्होंने जैविक उर्वरक और खाद के जरिए उन पेड़ों को बढ़ा करने का काम किया।
आज चंदन और अनार की खेती के चलते कविता मिश्रा लाखों का मुनाफा कमा रही हैं, जो शायद उन्हें नौकरी के जरिए कभी प्राप्त नहीं होता। इसके साथ ही कविता 8, 000 से ज़्यादा फल और फूलों की खेती भी करती हैं, जो देखने में खूबसूरत के साथ-साथ बेहद मनमोहक भी लगते हैं।
युवाओं को प्रेरित करती हैं कविता मिश्रा (Kavita Mishra)
जाहिर-सी बात है कि एक नामी कंपनी में काम करने वाली कविता मिश्रा (Kavita Mishra) को भाषा की अच्छी समझ और ज्ञान होगा, जिसके बतौलत वह सैकड़ों युवाओं को खेती में करियर बनाने के लिए प्रेरित करती हैं। कविता मिश्रा को विभिन्न कॉलेजों में लेक्चर के लिए भूलाया जाता है, जहाँ वह युवाओं को नई तकनीक से खेती करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।