Success Story Of Ram Chandra Agarwal – अगर कोई व्यक्ति ठान ले कि उसे कामयाबी हासिल करनी है, तो उसकी राह में चाहे कितनी ही मुश्किलें हों, वह अपने सफ़र को पूरा करके ही दम लेता है। ऐसा ही कुछ किया शारीरिक रूप से असक्षम राम चन्द्र अग्रवाल नामक व्यक्ति ने, जिन्होंने फोटोकॉपी की दुकान से अपने बिजनेस की शुरुआत की थी और आज वह एक कंपनी के मालिक बन चुके हैं।
राम चन्द्र अग्रवाल (Ram Chandra Agarwal) की कहानी न सिर्फ़ आपके दिल को छुएगी, बल्कि यह भी सीख देगी कि अगर हौंसलों की उड़ान भरी जाए तो ऊंची से ऊंची मंज़िल को हासिल किया जा सकता है।
राम चन्द्र अग्रवाल (Ram Chandra Agarwal) का परिचय
राम चंद्र अग्रवाल का जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था, जिसकी वज़ह से वह बचपन में ही पोलियो का शिकार हो गए थे। पोलियो की बीमारी से ग्रस्त होने की वज़ह से राम चंद्र अग्रवाल अपने चलने की क्षमता खो बैठे, लेकिन उन्होंने अपने कदमों को रूकने नहीं दिया और बैसाखी की मदद से अपने पैरों को आगे बढ़ाया।
बैसाखी की मदद से आगे बढ़ते हुए राम चंद्र अग्रवाल ने अपनी ज़िन्दगी में कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन कभी भी हालातों के आगे हार नहीं मानी। स्कूल शिक्षा प्राप्त करने के बाद राम चंद्र अग्रवाल ने कॉलेज में एडमिशन लिया और किसी तरह ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की, लेकिन इससे आगे का सफ़र उनके लिए और भी कठिन साबित होने वाला था।
कर्ज लेकर शुरू की थी फोटोकॉपी की दुकान
ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद राम चंद्र अग्रवाल के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी रोजगार प्राप्त करने की, क्योंकि वह चल नहीं सकते थे इसलिए कोई भी उन्हें नौकरी देने के लिए तैयार नहीं था। इसलिए राम चंद्र अग्रवाल ने साल 1986 में कुछ लोगों के कर्ज़ लेकर फोटोकॉपी की दुकान खोल ली।
राम चंद्र अग्रवाल द्वारा शुरू की गई फोटोकॉपी की एक छोटी-सी दुकान ने भारत के शिक्षा से जुड़ी चीजों के महत्त्व को बढ़ावा देने का काम किया था, क्योंकि उस दौर में फोटोकॉपी के इतने सारे विकल्प मौजूद नहीं थे और न ही हर व्यक्ति तक इंटरनेट की पहुँच थी।
राम चंद्र अग्रवाल ने फोटोकॉपी की दुकान खोलने के 1 साल बाद खुदरा व्यापार में हाथ आजमाने का फ़ैसला किया, जिसके लिए उन्होंने कोलकाता के लाल बाज़ार में कपड़ों की दुकान की नींव रखी। इस तरह राम चंद्र अग्रवाल कई सालों तक फोटोकॉपी और कपड़ों की दुकान को संभालते रहे, जिसकी वज़ह से उनकी आर्थिक स्थिति में काफ़ी हद तक सुधार आ चुका था।
नए कारोबार ने बना दिया बिजनेस मैन
राम चंद्र अग्रवाल ने ग्रेजुएशन के बाद तकरीबन 15 सालों तक दुकान संभालने का काम किया, लेकिन उसके बाद उनका मन नया कारोबार करने की तरफ़ झुकने लगा। राम चंद्र अग्रवाल ने अपनी छोटी-सी कपड़ों की दुकान को बंद करके बड़ा व्यापार शुरू करने का फ़ैसला किया, जिसके लिए उन्होंने कोलकाता छोड़ दिया।
साल 2001 में राम चंद्र अग्रवाल कोलकाता और अपनी दुकान को छोड़कर दिल्ली शिफ्ट हो गए थे, जहाँ उन्होंने विशाल रिटेल के नाम से खुदरा व्यापार के क्षेत्र में क़दम रखा। राम चंद्र अग्रवाल ने विशाल रिटेल की शुरुआत एक छोटे से आउटलेट से की थी, लेकिन देखते ही देखते ही उनका आउटलेट विशाल रूप लेता चला गया।
धीरे धीरे विशाल होता गया विशाल मेगामार्ट (Vishal Mega Mart)
यह वही वक़्त था जब भारत की राजधानी दिल्ली में विशाल के नाम पर मॉल की शुरुआत हुई थी, जिसकी नींव रखने वाला व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि राम चंद्र अग्रवाल ही थे। साल 2002 में दिल्ली की ज्यादातर सड़कों पर विशाल मेगामार्ट (Vishal Mega Mart) के पोस्टर और स्टोर दिखाई देते थे, जो दिल्ली वासियों के लिए पहला हाइपरमार्केट साबित हुआ।
दिल्ली में अपनी पकड़ मज़बूत करने के बाद राम चंद्र अग्रवाल का बिजनेस विशाल मेगामार्ट नोएडा समेत आसपास के क्षेत्रों में अपनी पहुँच बनाने लगा। इस तरह दिल्ली से शुरू किया गया विशाल मेगामार्ट कई दूसरे शहरों तक पहुँचा गया, जिसकी बदौलत इस कंपनी ने साल 2007 में 2000 करोड़ का प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) जारी किया था।
बाजार में झेला घाटा, लेकिन मज़बूत थे हौंसले
विशाल मेगामार्ट की कायमाबी देखते हुए साल 2007 में राम चंद्र अग्रवाल ने अपनी कंपनी की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए बैंक से भारी लोन लिया और सारा पैसा शेयर बाज़ार में लगा दिया। लेकिन इस बार राम चंद्र अग्रवाल की क़िस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और साल 2008 में शेयर बाज़ार में भारी गिरावट आ गई।
इस गिरावट के चलते विशाल मेगामार्ट को तकरीबन 750 करोड़ रुपए का नुक़सान झेलना पड़ा, जिसकी वज़ह से कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया गया। बैंक और लेनदारों का उधार चुकाने के लिए राम चंद्र अग्रवाल को विशाल रिटेल को बेचने पर मजबूर होने पड़ा, लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि कोई उनकी मदद के लिए आगे आएगा।
इस तरह साल 2011 में काफ़ी कोशिशों और मेहनत के बाद श्रीराम ग्रुप ने विशाल रिटेल के साथ सौदा किया और राम चंद्र अग्रवाल को अपनी कंपनी बेचने की ज़रूरत नहीं पड़ी। लेकिन अब विशाल रिटेल पर सिर्फ़ राम चंद्र अग्रवाल का अधिकार नहीं था, बल्कि श्रीराम ग्रुप पास भी इसकी हिस्सेदारी थी।
V2 रिटेल के साथ खुदरा बाज़ार में जोरदार वापसी
हालांकि इतनी मुश्किलों का सामना करने के बावजूद भी राम चंद्र अग्रवाल ने हार नहीं मानी और कुछ सालों बाद V2 रिटेल के नाम से एक बार फिर खुदरा व्यापार में वापिस की। वर्तमान में V2 रिटेल लिमिटेड का नाम भारत की सबसे तेजी से व्यापार व वृद्धि करने वाली कंपनियों की लिस्ट में शामिल है।
V2 रिटेल ग्राहकों को बड़ी रेंज में विभिन्न प्रकार और डिजाइन के कपड़े मुहैया करवाता है, जो आज भारत के लगभग 32 शहरों में अपने पैर पसार चुका है। यह ब्राण्ड ग्राहकों को कम दाम में नए डिजाइन के बेहतरीन कपड़े उपलब्ध करवाता है, जिसकी वज़ह से त्यौहार के सीजन में V2 रिटेल में काफ़ी भीड़भाड़ देखने को मिलती है।
शारीरिक रूप से नहीं दिमाग़ से आगे बढ़ता है इंसान
शारीरिक रूप से असक्षम होने के बावजूद भी राम चन्द्र अग्रवाल (Ram Chandra Agarwal) ने जिस तरह भारतीय बाज़ार और व्यापार के क्षेत्र में अपनी क़दम रखे, उनकी यह कोशिश वास्तव में काबिले तारीफ है। जिस व्यक्ति ने पोलियो की बीमारी से ग्रस्त होने की वज़ह से ज़मीन पर बिना बैसाखी के पैर नहीं रखा, उस व्यक्ति ने व्यापार के मामले में न सिर्फ़ लंबी दौड़ लगाई बल्कि भारी घाटा होने के बावजूद भी खुदरा बाज़ार दोबारा वापसी करके लोगों को चौंका दिया।
राम चन्द्र अग्रवाल (Ram Chandra Agarwal) की कहानी न सिर्फ़ प्रेरणादायक है, बल्कि उन तमाम लोगों को सीख देने का भी काम करती है जो शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के बावजूद भी सड़कों पर भीख मांगने का काम करते हैं।