किसी शायर ने कहा है, ” जो साथ छोड़ दे वह अपने कैसे, जो मुकम्मल न हों वह सपने कैसे। ” लेकिन अगर अपनों का साथ मिले, तो सपने भी मुकम्मल हो ही जाते हैं।
IAS Success Story – दोस्तों, हम सभी जानते है कि सफल होने के लिए मेहनत और दृढ़ निश्चय का होना बहुत ज़रूरी है, लेकिन एक और चीज़ है जो हमें निरन्तर अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने को प्रेरित करती है और वह है ‘अपनों का साथ और उनका प्रोत्साहन।’ अगर हमारे पास वह है तो चाहे कितनी भी बड़ी मुश्किल सामने क्यों ना आ जाए, हम पीछे नहीं हटते। आज हम आपको जिन भाई-बहनों की सफलता की दास्तान बताने जा रहे हैं, उन्होंने भी एक दूसरे का हर क़दम पर साथ दिया और एक के बाद एक अपने मज़बूत इरादों और हौसले के दम पर UPSC की परीक्षा क्रेक करके सबको हैरान कर दिया। आइए जानें इनकी पूरी कहानी…
मिडिल क्लास होने के बावजूद पिता ने बच्चों को पढ़ाने में नहीं छोड़ी कसर
यह कहानी उत्तर प्रदेश में रहने वाले उन चार भाई-बहनों की है जिन्होंने कड़ी मेहनत करके एक के बाद एक कुछ ही वर्षों में UPSC जैसी कठिन परीक्षा पास की और अधिकारी बनकर अपना और अपने मिश्रा ख़ानदान का नाम रोशन किया। मिश्रा ख़ानदान के मुखिया अनिल मिश्रा एक मिडिल क्लास आदमी थे, जो उत्तर प्रदेश में अपने परिवार के साथ दो कमरों के एक छोटे से मकान में रहते थे। उनके चार बच्चे-दो बेटे और दो बेटियाँ थी जिनका नाम-योगेश, लोकेश, माधवी और क्षमा है।
अनिल मिश्रा ग्रामीण बैंक में एक मैनेजर की पोस्ट पर काम किया करते थे। उन्हें अपने बच्चों से बहुत प्यार था और अनिल जी चाहते थे कि उनके चारों बच्चे परिवार का नाम रोशन करें। सभी बच्चे पढ़ने लिखने में काफ़ी होनहार थे और पिता अनिल जी ने भी बच्चों को आगे बढ़ाने कभी कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके बड़े बेटे योगेश का कहना है कि “मेरी सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ मैं अपने पिताजी अनिल मिश्रा का मानता हूँ। वे हमारे लिए एक इंस्पिरेशन हैं। पिताजी ने कभी भी हम भाई बहनों पर दबाव नहीं डाला तुम्हें यह विषय लेना है या इतने मार्क्स लाने हैं इत्यादि। हाँ लेकिन, वे हमें अधिक से अधिक सीखने को कहा करते थे, पर किसी भी चीज के लिए फोर्स नहीं किया।”
2013 में योगेश ने किया UPSC क्रैक, बने भाई-बहनों के रोल मॉडल
परिवार में बड़े बेटे योगेश ने सबसे पहले सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की और अपनी कड़ी मेहनत और निष्ठा के फलस्वरूप 2013 में अपना नाम यूपीएससी की रिजर्व लिस्ट में दर्ज कराया। आज योगेश मिश्रा एक IAS officer है। योगेश कोलकाता में राष्ट्रीय तोप और गोला निर्माण के प्रशासनिक अधिकारी भी रह चुके है।
योगेश अपने भाई बहनों के लिए रोल मॉडल बने। उनकी इस कामयाबी को देख कर अन्य भाई-बहनों में भी कुछ कर दिखाने का उत्साह उत्पन्न हुआ। जिसके बाद उन तीनों ने भी ठान लिया की UPSC क्रैक करेंगे। दरअसल योगेश ने अपने करियर की शुरुआत में कभी UPSC की परीक्षा देने के बारे में भी नहीं सोचा था, परन्तु अपनी छोटी बहनों की परेशानी देखकर उन्होंने देश में सबसे कठिन समझी जाने वाली परीक्षा को पास करने का निश्चय किया।
योगेश बताते हैं-“2009 में इंजीनियरिंग पूरी होने के बाद मेरी दिल्ली में 6 लाख के शानदार पैकेज की नौकरी लग गई थी। मैं त्यौहार पर बहनों से मिलने जाता था। तब उन्हें देखता था कि वे दोनों बहुत पढ़ाई करने के बाद भी परीक्षा पास क्यों नहीं कर पा रहीं हैं? फिर साल 2012 में मैंने फ़ैसला किया कि मैं भी UPSC परीक्षा के लिए कोशिश करूंगा और इस एग्जाम को क्रैक करके बहनों के लिए सक्सेस मंत्र निकालूंगा।” योगेश के बाद उनकी छोटी बहन माधवी भी पीछे नहीं रही। माधवी ने भी 2014 में UPSC की परीक्षा पास को और 62 वीं रैंक प्राप्त की।
जानिए क्या था योगेश का सक्सेस मन्त्र
योगेश कहते हैं, “मैंने UPSC परीक्षा को एक इंजीनियर के तरीके से ही देखा। सबसे पहले मैंने पुराने परीक्षा पत्रों को पढ़ा। फिर मैंने एक स्टडी प्लान बनाकर केवल वही विषय विस्तार से पढ़े, जो की अधिकतर परीक्षा में पूछे जाते हैं। साधारणतया UPSC के उम्मीदवार विषयानुसार विस्तार से स्टडी करते हैं, लेकिन वे पुराने परीक्षा पत्रों को छोड़ देते हैं। पर मैंने इसके विपरीत वही ज़्यादा पढ़े जिसका मुझे लाभ मिला।”
वे यह भी कहते हैं कि “मेरे पास UPSC एग्जाम क्रैक करने के लिए केवल एक ही चांस था। फिर इसके बाद आयुसीमा निर्धारित होने के कारण मैं परीक्षा नहीं दे सकता था। बस, मेरा यह फॉर्मूला सक्सेस हो गया और मैंने पहले ही प्रयास में एग्जाम क्रैक कर लिया।”
छोटे बेटे लोकेश भी नहीं रहे पीछे
मिश्रा ख़ानदान के छोटे बेटे लोकेश, जिन्होंने अपनी Engineering की पढ़ाई इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली IIT पूरी की है। लोकेश ने भी इस पंक्ति को जारी रखा और 2014 में UPSC CSE की परीक्षा क्रैक की और रिजर्व लिस्ट में अपना नाम पाया। लेकिन लोकेश यही नहीं रुके, उन्होंने 2015 में दोबारा UPSC की परीक्षा दी लेकिन इस बार इन्होंने अपने बड़े भाई योगेश की रणनीति अपनाई और वैकल्पिक विषय के रूप में साइकोलॉजिकल को चुना। लोकेश ने 2015 में UPSC परीक्षा सफलतापूर्वक पास की और UPSC पास करने वाले अपने परिवार के तीसरे सदस्य बन गए।
छोटी बेटी क्षमा की IPS बनने की जिद्द रंग लाई
मिश्रा परिवार के लिए वर्ष 2015 काफ़ी अच्छा साबित हुआ क्योंकि 2015 में मिश्रा परिवार के दो बच्चों ने UPSC परीक्षा पास की थी। घर की छोटी बेटी क्षमा ने चौथे नंबर पर UPSC CSE की परीक्षा पास की और 172 वीं रैंक हासिल की। क्षमा का सिलेक्शन डिप्टी एसपी की पोस्ट पर हुआ। लेकिन यहाँ यह कहानी ख़त्म नहीं होती है क्षमा की ज़िद के चलते उन्होंने 2016 में फिर UPSC की परीक्षा दी और IPS Officer बनी।
फिलहाल हैदराबाद में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहीं कर्नाटक कैडर की IPS क्षमा मिश्रा ने बताया कि “मैंने बचपन से ही यह सपना देखा था कि मैं सिविल सेवाओं में जाकर देश की सेवा करूँ। स्नातक पूर्ण करने के बाद मेरा विवाह हो गया था, परन्तु फिर भी मैंने पढ़ाई नहीं छोड़ी। मेरे पति ने भी मेरा बहुत साथ दिया। वे कहते थे की तुम अपने सपने पूरे ज़रूर करो, मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगा।”
वैसे तो क्षमा ने 3 बार UPSC परीक्षा दी थी, परन्तु वे थोड़े से नम्बरों से हर बार पीछे रह जाती और इस वज़ह से उनका चयन नहीं होता था। उन्होंने बताया कि “साल 2013 में मेरे बड़े भैया योगेश ने कहा कि क्षमा तुमने कहीं तो गलती की है। फिर उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ दी और सिविल सेवा की तैयारी करने लगे। इससे तो मेरी परेशानी और ज़्यादा बढ़ गई थी कि भैया मेरे लिए अपनी अच्छी खासी जॉब छोड़ इतना बड़ा रिस्क ले रहे हैं। मैंने उन्हें ऐसा ना करने को कहा, पर उन्होंने कहा कि तुम चिंता मत करो, मैं ये एग्जाम पास करके दिखाऊंगा।”
कैसे हासिल किया ये मुकाम
चारो बच्चो की इस सफलता के पीछे उनके परिवार जन और विशेषकर उनके पिता जी का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। एक इंटरव्यू के दौरान बड़े बेटे योगेश और बहन ने कहा कि “हम सभी भाई-बहन सरकारी स्कूल में पढ़े है और सरकारी स्कूल में हमने अनुशासन के बारे में सीखा है। हमारा पूरा परिवार दो कमरे के एक छोटे से मकान में रहता था। जहाँ हम पढ़ाई करने में काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लेकिन हम सभी भाई-बहन एक दूसरे की पढ़ाई में पूरी तरह से मदद करते थे और यही कारण है कि हम आज इस मुकाम तक पहुँच पाए है।”