दिल्ली: समय कब और कैसे बदल जाता है, ये किसी को पता नहीं होता। आज बहुत से लोग ऐसे हैं वह कोई ऐसा काम कर रहे हैं, जो हमारी नज़र में बेहद छोटा काम हो सकता है। हो सकता है हम उनके काम को सुनकर उनका मज़ाक भी बना लें। पर निरंतर मेहनत और लग्न से ही आज वह उसी काम को एक नए मुकाम पर पहुँच चुके हैं।
हम बात आम के अचार की कर रहे हैं। आम का अचार तो हम सभी ने खाया ही होगा। कुछ लोगों ने इसे बाज़ार से खरीदकर खाया होगा, तो कुछ लोग इसे घर में ही बनाकर खाना ज़्यादा पसंद करते हैं। हमारे अचार के इसी स्वाद को और बढ़ाने के लिए दिल्ली की एक लड़की आज इसी पर काम कर रही है। अचार के इस काम से ना सिर्फ़ उसकी अच्छी आमदनी हो रही है, बल्कि लोगों को बिना केमिकल वाला अचार भी खाने को मिल रहा है।
निहारिका भार्गव (Niharika Bhargav Pickle Business)
इस लड़की का नाम निहारिका भार्गव (Niharika Bhargav) है। इनकी उम्र 27 साल है। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) से ग्रेजुएशन (Graduation) पूरा किया है। साथ ही लंदन के एक काॅलेज से मार्केटिंग स्ट्रेटेजी एंड इनोवेशन में मास्टर्स पूरा किया है। लंदन से इनकी पढ़ाई पूरी होने के बाद दिल्ली के ही एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी लग गई। अच्छी सैलरी होने के बाद भी उनका मन नौकरी में लगा नहीं, लिहाजा साल 2017 में उन्होंने नौकरी को अलविदा कह दिया।
इस तरह शुरू किया स्टार्टअप
निहारिका बताती है कि शुरू से ही उनका नौकरी की बजाय बिजनेस (Business) के काम में रुझान था। उनके पिताजी शुरू से ही स्वाददार अचार बनाते थे। उसे वह बनाकर रिश्तेदारों को भेंट स्वरूप दिया करते थे। एक दिन निहारिका ने अपने पापा से कहा कि आप इसे बिजनेस के तौर पर क्यों नहीं करते। ढलती उम्र में पिताजी ने हंसते हुए कहा कि अब जो कुछ करोगी वह तुम ही करोगी। निहारिका को काम तो बेहद पसंद था, पर ये काम चलेगा कैसे इस पर असमंजस था।
शुरू कर दी रिसर्च
निहारिका ने इसके बाद बाज़ार में दुकानदारों से बात की। उन्होंने बताया कि आज भी लोग घर के बने अचार को ही प्राथमिकता देते हैं। लेकिन घर का अचार जब नहीं मिलता तो वह बाज़ार की तरफ़ रूख करते हैं और बंद डिब्बों का अचार खरीदते हैं। इसके बाद निहारिका ने अपने पिता के हाथ के हुनर को बाज़ार में उतारने का आखिरी फ़ैसला कर लिया। साथ-साथ वह भी पिता के साथ अचार बनाने के हुनर को सीखने लगी।
एक्जिबिशन से मिला हौसला
निहारिका ने इसकी शुरुआत सबसे पहले दिल्ली (Delhi) के तमाम इलाकों में प्रदर्शनी (Exhibition) लगाकर की। इस दौरान लोगों ने उनके अचार में ख़ूब दिलचस्पी दिखाई। इससे प्रभावित होकर निहारिका ने बाज़ार में भी उतरने का फ़ैसला किया। बाज़ार में अच्छी बिक्री हुई। तो निहारिका को पता लगा कि पिताजी के पास मध्यप्रदेश (Madhya pradesh) के खजुराहो (khajuraho) में कृषि योग्य भूमि है। वह इस ज़मीन को देखकर उपयोग में देना चाहती थी।
अब ख़ुद का है फार्म हाउस
निहारिका ने जब मध्यप्रदेश की ज़मीन को देखा तो सोचा कि क्यों ना इस पर अचार में लगने वाले सामान को उगाया जाए। इसी को सोचते हुए आज वह अपने इस फार्म हाउस (Farm House) पर आम, आंवला, नींबू, हल्दी, अदरक, मिर्च जैसै बहुत सारे पौधे उगाती हैं। इससे उनका बिजनेस और ज़्यादा बढ़ोतरी कर रहा है।
निहारिका बताती हैं कि अब उन्होंने फार्म हाउस पर कुछ लोग काम पर रखे हुए हैं। जो कि अचार को तैयार करते हैं और उसे गाड़ियों के माध्यम से दिल्ली में लाकर बेचा जाता है। आज उन्हें कई दूसरे राज्यों से भी अचार की मांग आने लगी है। इसे देखते हुए उन्होंने द लिटिल फार्म के नाम से गुड़गांव में ही एक कंपनी खोली। जो कि आर्डर लेने और उन्हें डिलीवर करने का कामकाज देखती है।
50 एकड़ ज़मीन पर करती हैं ऑर्गेनिक खेती
निहारिका बताती हैं कि अब वह मध्य प्रदेश में कुल मिलाकर 50 एकड़ में केवल खेती करती हैं। इसमें तमाम तरह के फल-सब्जी से लेकर अचार में लगने वाली हर चीज उगाई जाती है। वह बताती हैं कि उन्होंने अचार बनाने का पूरा काम अपने पापा से ही सीखा है। ऐसे में वह इस अचार में लगने वाली कोई चीज बाहर से नहीं खरीदती हैं। वह साधारण नमक की जगह सेंधा नमक प्रयोग करती हैं। बीमारी के डर से सिंथेटिक सिरका या कोई प्रिजर्वेटिव्स अपने अचार में नहीं मिलती हैं।
50 से ज़्यादा वैरायटी के हैं अचार
निहारिका बताती हैं कि अभी वह अपनी टीम से साथ मिलकर 50 से ज़्यादा तरह से अचार बनाती हैं। इसमें सबसे ज़्यादा आम और गुड़ के लोग ज़्यादा पसंद करते हैं। वह अचार बनाने में शक्कर मिलाने की बजाय गुड़ का प्रयोग करती हैं। अचार के साथ ही वह मसाले, तेल, सॉस, मिर्च पाउडर जैसे रसोई के तमाम सामान कम क़ीमत में बेचती हैं।
घर से शुरू किए काम को निहारिका आज एक नए मुकाम पर पहुँचा चुकी हैं। आज उनकी टीम में बीस लोग काम करते हैं। जिसमें 12-13 लोग खजुराहो के फार्म हाउस पर रहते है। साथ ही दूसरे लोग दिल्ली में मार्केटिंग और पैकिंग (Marketing & Packing) का काम संभालते हैं। निहारिका आज अपने इस काम से खुश तो हैं ही साथ ही वह रोजगार देने के साथ ही आज उनका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ के पार पहुँच चुका है।