नौकरी कोई भी हो लेकिन हमें संतुष्टि तभी मिलती है जब काम हमारी पसंद का होता है। नापसंद काम हम भले ही कुछ महीनों तक मन मारकर कर भी लें, पर कभी उसमें हमें सुकून नहीं मिलता। ये सुकून पैसों का नहीं होता है, मानसिक शांति का होता है।
आज भी हम आपको एक ऐसे ही इंजीनियर चाय वाले की कहानी बताने जा रहे हैं। जो पढ़ाई-लिखाई में भी अव्वल था साथ ही नौकरी भी बहुत बड़ी-बड़ी कंपनियों में कर चुका था। लेकिन सैलरी के साथ नहीं मिलती थी, तो वह थी उसे मानसिक संतुष्टि। आइए जानते हैं क्या है इस इंजीनियर चायवाले की कहानी और क्यों खोलनी पड़ी इसे छोटी-सी चाय की दुकान।
IAS आधिकारी भी हो चुके हैं दीवाने
जिस इंजीनियर की आज हम आपसे बात करने जा रहे हैं, उसकी स्टोरी हाल ही में IAS अविनाश शरण ने अपने ट्विटर पर शेयर की है। IAS अविनाश ने लिखा है कि आज के समय में इतनी ईमानदारी भला कौन दिखाता है। कि सब कुछ साफ-साफ बोर्ड पर लिखकर टांग दिया है। उनकी पोस्ट से पता लगता है कि IAS अवनीश को यदि जीवन में कभी मौका मिला तो एक बार उस चायवाले से ज़रूर चाय पिएंगे। IAS ने पोस्ट को कैप्शन दिया है… इंजीनियर चायवाला’ With Job Satisfaction.😊”
टी स्टॉल पर ही सबकुछ लिख दिया
इंजीनियर चायवाले ने अपनी पूरी कहानी चाय की दुकान पर ही लिखवा दी है। वह भी हिन्दी में, ताकि जब भी कोई उनकी दुकान पर आए। उनकी पूरी कहानी बिना बताए ही समझ जाए। ऐसे में उनकी लोकप्रियता सिर्फ़ सोशल मीडिया पर ही नहीं। उनके चाय के ठेले से भी बढ़ रही है। जो भी ये लाइने एक बार पढ़ लेता है वह बिना चाय पिए नहीं जाता।
इन शब्दों में बयाँ की है अपनी कहानी
“वैसे तो मैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ। कई कंपनियों जैसे विप्रो, बिजनेस इंटेलीजेंस, ट्रस्ट सॉफ्टवेयर में कार्य कर चुका हूँ। जहाँ पैसे तो मिलते थे लेकिन सुकून नहीं। मैं हमेशा से हीं बिजनेस करना चाहता था। हर रोज़ मेरे टेबल पर चाय आती थी पर मुझे कभी बेहतरीन चाय नहीं मिली। मैं हमेशा से ही चाय का शौकीन रहा हूँ। मैं चाहता था कि लाजवाब चाय पीने को मिले। तो मैंने चाय से ही अपने बिजनेस की छोटी शुरुआत की और मैं बन गया…इंजीनियर चायवाला”
मिलती है बहुत बड़ी सीख
आज का ये इंजीनियर भविष्य में आने वाली युवा पीढ़ीयों को बहुत बड़ी सीख देता है। जो कि बताता है कि हमें जीवन में कभी भी सिर्फ़ पैसों के पीछे नहीं भागना चाहिए। हमें भविष्य की राह को चुनते समय अपनी मानसिक संतुष्टि को भी ज़रूर देखना चाहिए। आजकल के युवा सिर्फ़ उसी पेशे में उतरना चाहते हैं, जिसमें ख़ूब पैसा और शोहरत हो। लेकिन वह इस चकाचौंध में ये भूल जाते हैं कि हम जो कर रहें हैं, क्या वाकई हम वही करना चाहते थे। या जीवन में सिर्फ़ दूसरों को देखकर इस राह पर आगे बढ़ रहे हैं।