गरीबी या अमीरी बस कहने की बात है। अगर आपके मन में कुछ करने का जुनून और जज़्बा हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। एक बेहद ही गरीब परिवार में जन्मे कुलदीप ने जज बनकर लोगों के मन में शुरू से ही गरीबी और अमीरी को लेकर बनी धारणाओ को बदल दिया है। क्योंकि लोगों का ऐसा कहना होता है कि गरीबी के कारण व्यक्ति को अपने लक्ष्य को पाने में कठिनाई होती है।
कुलदीप सिंह (Kuldeep Singh) जिनका जन्म पंजाब स्थित फरीदकोट के कोटकपूरा में हुआ। कुलदीप सिंह पंजाब यूनिवर्सिटी (Punjab University PU) के डिपार्टमेंट ऑफ़ लॉ के स्टूडेंट हैं। एक बेहद ही साधारण परिवार में जन्मे कुलदीप के पिता मजदूरी का काम करते थें। उसी मज़दूर पिता की ख़ुशी का उस समय कोई ठिकाना नहीं रहा जब पंजाब सिविल सर्विसेज (ज्यूडिशियल) का परिणाम घोषित हुआ और उसमें कुलदीप सिंह ने सफलता हासिल की।
पूरा गाँव और परिवार उनकी सफलता पर गर्व महसूस कर रहा है
कुलदीप सिंह का पूरा बचपन आर्थिक तंगी में ही गुजरा है। इनके पिता हरनेक सिंह मजदूरी कर किसी भी तरह परिवार का भरण-पोषण करते थे। आज कुलदीप का पूरा गाँव और उनका परिवार उनकी सफलता पर गर्व महसूस कर रहा है। उनके पिता को यह सफलता एक सपने की तरह लग रहा है।
12वीं कक्षा तक पिता के साथ मज़दूरी करते रहें
मीडिया से बातचीत में कुलदीप ने बताया कि उनकी 8वीं तक की शिक्षा उनके गाँव के ही सरकारी स्कूल से पूरी हुई। इसके बाद घर की स्थिति और भी ज़्यादा खराब होने के कारण उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई घर पर रहकर ही पूरी की और साथ में पिता के साथ मजदूरी भी करते रहे। उन्होंने कहा कि जब उनके परीक्षा का परिणाम आया तब उनके पिता राजमिस्त्री के काम पर ही गए हुए थे, जब उन्हें यह सूचना मिली तो उन्हें यक़ीन ही नहीं हुआ। आज उन्हें अपनी बेटे पर बहुत गर्व है।
कुलदीप ने 2013-16 सत्र में पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की। आर्थिक तंगी के कारण कई सालों तक इन्होंने अपने पिता के साथ मजदूरी की। लॉ करने के दौरान कुलदीप बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया करते थे और इसके साथ ही वकील के हेल्पर के तौर पर काम भी करते थे, ताकि पढ़ाई का ख़र्च निकल सके।
अपनी ज़िन्दगी में संघर्षों से लड़े कुलदीप ने हिमाचल और चंडीगढ़ स्थित पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में गरीब और ज़रूरतमंद लोगों के लिए बहुत ही कम पैसों में उनका केस लड़ा और उनकी मदद की। अपने संघर्ष के बारे में बात करते हुए कुलदीप ने कहा कि अपनी ज़िन्दगी में सफलता और लक्ष्य को पाने के लिए विल पावर, सेल्फ कॉन्फिडेंस और मोटिवेशन बहुत ही ज़रूरी है।
परिवार में पहली बार किसी को सरकारी नौकरी मिली है
कुलदीप के परिवार में उनके तीन भाई और दो बहने भी हैं। इनके परिवार में पहली बार किसी को सरकारी नौकरी मिली है और वह भी कोई छोटी-मोटी नहीं तो जज की नौकरी। जज बनने के बाद जब कुलदीप अपने गाँव आए तब गाँव के लोगों ने उनका स्वागत फूल और माला के साथ किया। पढ़ाई में औसत रहे कुलदीप ने यह सफलता अपने तीसरे प्रयास में पाई।
कुलदीप (Kuldeep Singh) ने बताया कि उन्हें किताबें पढ़ने के साथ-साथ शायरी और गाना सुनना बहुत पसंद है। उन्होंने कहा कि उनकी सफलता में उनके परिवार, उनके दोस्तों और उनके टीचर्स ने बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। जज बनने से पहले भी कॉलेज के दिनों में कुलदीप का चयन देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी में एनसीसी के स्पेशल नेशनल कैंप के लिए भी हो चुका है। आज पूरा देश उनके इस हौसले को देखकर उनके भविष्य के लिए उन्हें शुभकामनाएँ दे रहा है।