हमारे संविधान के अनुसार हर व्यक्ति के पास यह अधिकार है कि वह अपनी ज़िन्दगी से जुड़ी हुई निर्णय ले सके। किसी व्यक्ति को दूसरे के बारे में बिना पूछे निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं होता, चाहे वह घर वाले ही क्यों ना हो। खासकर जब बात शादी की हो। यह ज़रूरी नहीं कि आप उसी परंपरा को ढोए जो सदियों से चली आ रही हो। विशेष रूप से जब कोई लड़की आगे पढ़ना चाहती हो तो आपको कोई अधिकार नहीं है उसे रोकने का और जबरन उसकी शादी कराने का।
इसी प्रकार परिवार वालों के द्वारा ही शादी करने का दबाव झेलना पड़ा संजू को। लेकिन वह यह दबाव सह नहीं सकी और मजबूरन उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए अपना घर छोड़ना पड़ा।
अपने सपनों की खातिर छोड़ा घर
संजू रानी वर्मा (Sanju Rani Verma) जो मेरठ के एक छोटे से गाँव की रहने वाली हैं। इन्हें अपने अधिकारी बनने के सपने को पूरा करने के लिए अपना ही घर त्यागना पड़ा और पूरे 7 साल के मेहनत के बाद इनका सपना पूरा हुआ और यह एक पीसीएस अधिकारी बन चुकी हैं।
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इनका सपना एक अधिकारी बनना था शादी करना नहीं
संजू जिस समाज से आती हैं वह एक ऐसा समाज है जहाँ लड़कियों को अपनी आगे की पढ़ाई करने की आजादी नहीं है, यानी 12वीं करने के बाद उनकी शादी कर दी जाती है। बाक़ी लड़कियों की तरह इनके भी घरवाले इन पर जबरदस्ती शादी करने का दबाव बनाने लगे। जब इनसे परिवार वालों का यह दबाव बर्दाश्त से बाहर हो गया तब इन्होंने अपना ही घर छोड़ने का फ़ैसला लिया। क्योंकि इनका सपना एक ऑफिसर बनना था ना कि शादी करना।
पढ़ाई के लिए ट्यूशन पढ़ाया तो कभी प्राइवेट नौकरी भी की
संजू ने अपना घर तो छोड़ दिया लेकिन उनके आगे का सफ़र इतना भी आसान नहीं था जितनी आसानी से उन्होंने अपना घर छोड़ दिया। दिल्ली जैसे बड़े शहर में अपना ख़ुद का ख़र्च चलाना भी बहुत मुश्किल होता है। उनके साथ भी यही हुआ। आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए और अपना ख़र्च वहन करने के लिए उन्हें कभी ट्यूशन तो कभी प्राइवेट नौकरी तक करनी पड़ी। बहुत ही मुश्किलों से उनके दिन गुजर रहे थे।
नहीं थी यूपीएससी परीक्षा के बारे में जानकारी
संजू को यूपीएससी परीक्षा के बारे में उतनी गहन जानकारी नहीं थी। उन्हें परीक्षा की रणनीति के बारे में भी पता नहीं था। बस उन्हें इतना पता था कि इस एग्जाम में बैठने के लिए उनका ग्रेजुएशन होना ज़रूरी है। तब उन्होंने 2004 में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने पोस्टग्रेजुएट किया। वहाँ से पढ़ाई करने के पीछे उनका सिर्फ़ यही मकसद था कि वहाँ के छात्रों के बीच कंपटीशन की भावना देखना, वहाँ के माहौल को जानना वह लोग कैसे अपनी पढ़ाई करते हैं इसके बारे में जानना।
वही संजू ने जाना की बाहर कंपटीशन इतनी ज़्यादा है कि लोग पूरी रात जागकर पढ़ते हैं और दिन में सोते हैं। उन्हें यह भी पता चल गया कि अगर कंपटीशन में बने रहना है तो इसके लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है धैर्य को बनाए रखना और खासकर यूपीएससी जैसी परीक्षा के लिए।
7 साल बाद मिली सफलता
संजू ने कठिन परिश्रम करना जारी रखा और कभी भी और सफलताओं से घबराए नहीं और घर छोड़ने के पूरे 7 साल बाद उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने एक पीसीएस ऑफीसर बनकर अपना सपना पूरा किया और अपने परिवार के साथ पूरे गांव, शहर और देश का नाम रोशन किया। बहुत जल्द ही एक कमर्शल टैक्स ऑफिसर के रूप में अपना पदभार ग्रहण करेंगे।
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भविष्य में आईएएस ऑफिसर बनना चाहती हैं
बातचीत एक बातचीत के दौरान संजू ने बताया कि इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आप कितनी बार में सफलता हासिल करते हैं बल्कि फ़र्क़ तो इस बात से पड़ता है कि इतनी मेहनत के बाद भी आप सफल होते हैं या नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि किसी की मेहनत कभी बेकार नहीं जाती, कभी ना कभी रंग लाती है। उन्होंने अपने प्रयास को यहीं ख़त्म नहीं किया बल्कि भविष्य में वह यूपीएससी की परीक्षा पास कर एक आईएएस ऑफिसर बनना चाहती हैं।
अंत में संजू ने अगले सभी कैंडिडेट्स के लिए भी यही कहा कि अगर आपके अंदर कुछ करने का जुनून हो तो पूरी दुनिया आपकी मदद करने को तैयार हो जाती है। बस आपके सपने सच्चे होने चाहिए। उन्होंने वर्षों से चली आ रही सामाजिक बंधन को तोड़ा और अपनी मंज़िल को पाया।
आज संजू अपने मेहनत के बतौर सारी लड़कियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं, जिन्होंने अपने भविष्य के लिए अपने ही घरवालों से लड़ा। आज उनका परिवार और पूरा देश उनके भावी भविष्य की कामना कर रहा है। वाकई उनके साहस, मेहनत और हिम्मत की दाद देनी चाहिए।