गरीब हो या अमीर सपने देखने का अधिकार हर किसी को है। हर किसी को अधिकार है कि वह अपनी मेहनत से कामयाबी की नई-नई ऊंचाइयों को छुए और व्यक्ति के साथ-साथ उसके माता-पिता की भी यही ख़्वाहिश होती है कि उसके बच्चे अपने जीवन में अच्छा से अच्छा करें। आज का यह आर्टिकल एक ऐसे ही माँ बाप के बारे में है जिनके बलिदान के कारण उनके दोनों बेटों ने अपने आईएएस बनने जैसे लक्ष्य को पूरा कर सकें।
पंकज कुमावत (Pankaj Kumawat) और अमित कुमावत (Amit Kumawat), खासकर इनकी माँ ने अपने बेटों को ऊंचाइयों तक पहुँचाने के लिए दिन रात मेहनत कर सिलाई और रात-रात भर जागकर तुरपाई करती रही, जिससे उनके बेटों को पढ़ाई में कोई परेशानी का सामना ना करना पड़े। माँ की मेहनत रंग लाई और उनके दोनों बेटों पंकज और अमित ने आईएएस अधिकारी बनकर समाज में एक नया उदाहरण पेश किया।
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दरअसल पंकज (Pankaj Kumawat) और अमित (Amit Kumawat) के पिता सुभाष कुमावत (Subhash Kumawat) जो कि राजस्थान के झुंझुनू गाँव के रहने वाले हैं। सुभाष पेशे से एक दर्जी का काम करते हैं। इनकी पत्नी जिनका नाम राजेश्वरि देवी (Rajeshwari Dewi) है, वह भी अपने पति के साथ-साथ सिलाई में उनका सहयोग करती हैं। इनकी एक छोटी-सी सिलाई की दुकान है जिसे चलाकर ये अपने घर का पालन पोषण करते हैं। इनके लिए बहुत मुश्किल था अपने बेटों के सपनों को पूरा करना क्योंकि उनके बेटों की ख़्वाहिश थी कि वह दोनों एक आईएएस ऑफिसर बने।
सुभाष और राजेश्वरी के दोनों बेटों ने IIT Delhi से मैकेनिकल इंजीनियरिंग से B. Tech की पढ़ाई की हैं। घर की माली स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण इन दोनों को बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन इनकी माँ ने उनके सपनों को पूरा करने के लिए रात-रात भर जागकर तुरपाई का काम करने लगी और साथ में उनके पिता सिलाई का। ताकि वे अपने बच्चों को आसानी से किताबें, फीस और ज़रूरत की सारी चीजें उपलब्ध करवा सके।
शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रहे दोनों भाइयों ने अपने माता-पिता की मेहनत को देखकर यह प्रण लिया कि वह उनके मेहनत को जाया नहीं करेंगे। मेहनत करके अपने सपनों को पूरा कर अपने माता-पिता का सिर गर्व से समाज में ऊंचा करेंगे। उसके बाद दोनों भाईयों ने पूरी तरह से तैयारी करनी शुरू कर दी।
सच्चे मन से की हुई उनकी मेहनत भी रंग लाई और साल 2018 में एक ही साथ दोनों भाइयों ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की। बड़े भाई पंकज ने 443वीं रैंक हासिल की और छोटे भाई अमित ने 600वीं रैंक के साथ इस कठिन परीक्षा में सफलता पाई। इन दोनों के इस सफलता के बारे में जब उनके माता-पिता को पता चला तो वह ख़ुशी से झूम उठे और उनकी आंखों से ख़ुशी के आंसू आ गए।
दोनों भाई पंकज और अमित अपनी सफलता का पूरा का पूरा श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं, जिन्होंने ग़रीबी में रहने के बावजूद भी इन दोनों को किसी चीज की कमी नहीं होने दी और हर क़दम पर पूरा सहयोग दिया। दोनों भाइयों का मानना है कि यदि इन्सान सच्चे मन से मेहनत करे तो सफलता मिलनी ही मिलनी है।
पूरा देश दोनों भाइयों अमित और पंकज को उनकी सफलता के लिये शुभकामनाएँ देता है और साथ ही उनके माता-पिता को उनके बेटे के लिए किए गए त्याग और बलिदान को सलाम करता है।
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