उत्तर प्रदेश के बरेली शहर के चंद्रसेनसागर 10 वर्ष से ब्लॉक प्रमुख रहे थे। लेकिन बरेली में अब किसी से भी उनका नाम पूछेंगे तो यही सुनने को मिलेगा कि वही चंद्रसेन जी जिनकी तीनों बेटियाँ आईएएस अफसर हैं। बेटियों के इस सफलता ने सागर परिवार के नाम को नया मुकाम दिलवा दिया है। अब चंद्रसेन जी की पहचान उनकी आईएएस बेटियों के पिता के रूप में होती है।
पिता कि अच्छाई का फल मिला बेटी को
चंद्रसेनसागर की तीनों बेटियाँ अर्जित, अर्पित और आकृत आईएएस अधिकारी है। राजनीति में होते हुए भी चंद्रसेनसागर दूसरों की भलाई का ध्यान रखते रहे किसी के साथ बुरा नहीं किया। पिता कि इन्हीं अच्छाइयों का फल उनकी तीनों बेटियों को मिल रहा है।
माँ को रहती थी बेटियों से ज़्यादा फिक्र
इन तीनों बेटियों की पढ़ाई की चिंता उनसे ज़्यादा उनकी माँ को रहती थी। तीनों बेटियों के आईएएस बनने में माँ का बड़ा योगदान रहा है। परीक्षा के दौरान माँ मीना सागर ख़ुद बेटियों के साथ रहती थी, और उनके खान पान पढ़ाई लिखाई का ध्यान देतीं थीं। उस समय पिता चंद्रसेनसागर बरेली में अकेले रह कर बेटियों को प्रोत्साहित करते रहे।
कभी थोपे नहीं अपने सपने
चंद्रसेनसागर और उनकी पत्नी ने बताया कि उन्होंने कभी भी अपनी बेटियों पर किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाया। उन्होंने अपनी हर बेटी को उसके मन मुताबिक करियर चुनने का मौका दिया। उनकी दो बेटियाँ फैशन डिजाइनर हैं माता-पिता ने कभी फैशन डिजायनिंग छोड़ के सिविल्स की तैयारी करने पर ज़ोर नहीं दिया। उन्होंने अपनी बेटियों को मन मुताबिक करियर चुनने दिया, वह जो चाहती थीं वह बनी और सागर परिवार का नाम रौशन कर दिया।
लोगों ने दिया था अबॉर्शन कराने की सलाह
बातचीत के दौरान चंद्रसेनसागर ने बताया कि लगातार बेटी होने के कारण कई लोगों ने अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी, उस वक़्त लिंग जांच पर रोक नहीं था। बेटी का पता लगते ही लोगों ने कहा कि अबॉर्शन करा दो झेल नहीं पाओगे।
मगर चंद्रसेनसागर और उनकी पत्नी ने तय किया कि वे ऐसा नहीं करेंगे बेटी हो या बेटा भगवान की देन है। उन्होंने यह भी कहा कि अब उन्हें अपने फैसले पर गर्व है। फैशन डिजायनिंग, ब्यूरोक्रेसी और आईएएस तीनों क्षेत्र में उनकी पाँचों बेटी नाम रौशन कर रही हैं। एक पिता के लिए इससे ज़्यादा गर्व की बात और क्या हो सकती।