अक्सर समाज में बेटे और बेटी में भेद भाव किया जाता है। बेटियों का आंकलन बेटों से कम किया जाता है। समाज की ऐसी ही दूषित सोच को हरियाणा के एक परिवार ने ग़लत साबित कर दिया है। इस परिवार की बेटियों में सेना में शामिल होकर यह संदेश दे दिया है कि देश की बेटियाँ भी अपने मातृभूमि की रक्षा करने का जज़्बा रखती हैं।
इन बेटियों ने केवल अपने माता पिता और परिवार का नाम ही नहीं रौशन किया बल्कि पूरा हरियाणा इन पर गर्व महसूस कर रहा है।
तीनों बेटियों ने देखा था सेना में जाने का सपना
हरियाणा के रहने वाले प्रताप सिंह देशवाल एक किसान हैं। देशवाल जी की तीन बेटियों ने एके ही सपना देखा और तीनों का सपना सेना में जाने का था। बेटियों के इस सपने को पिता का पूरा समर्थन मिला।
आस पड़ोस के कुछ लोगों ने आपत्ति जताई पर फिर भी देशवाल जी अपनी बेटियों के साथ खड़े रहे। इन तीनों बहनों का नाम प्रीति, दीप्ति और ममता है। स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2012 में ये तीनों सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज में चयनित हो गईं, जिस दौरान उन्हें अलग-अलग कैंपस में प्रशिक्षण प्राप्त हुआ।
झुठला दिये समाज का सभी दावे
देशवाल जी की दो बेटियों प्रीति और दीप्ति और भतीजी ममता ने अपना लक्ष्य हासिल करके अपने परिवार का नाम रौशन किया है। साथ ही समाज में फैले पिछड़ेपन की भावना का भी अंत किया। बेटी सेना में जा कर करेगी क्या, कुछ और ऐसे ही तानों का मुंहतोड़ जवाब मिला है।
तमाम संघर्ष और चुनौतियों से निडर हो कर लड़ते हुए इन तीनों बहनों ने सेना की मेडिकल कोर में लेफ्टिनेंट के पद पर जॉइनिंग उपलब्ध कर ली है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने साल 1965 में “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया था। निश्चित ही उनके देश के ऐसे किसान परिवारों के जज्बों को देखा जा सकता है।
बता दें कि आर्मी मेडिकल कोर में भर्ती मिलने के बाद ये तीनों अब अलग-अलग राज्यों में कार्यरत हैं। ममता सैन्य अस्पताल रानीखेत में, दीप्ति आगरा में तैनात हैं और प्रीती तमिलनाडु के वेलिंगटन में नियुक्त होकर सेवारत हैं।