Waste Hair Business in India: आज की भागती दौड़ती लाइफ में बाल झड़ना बहुत ही आम समस्या बन गई है, जिससे हर उम्र के महिला और पुरुष परेशान हैं। आमतौर पर झड़ते हुए बालों को इकट्ठा करके कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है, लेकिन आपको यह जानकर हैरा’नी होगी कि इन टूटे हुए बालों से अरबों रुपए का कारोबार जुड़ा हुआ है।
इन टूटे हुए बालों की मदद से दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाले विग तैयार की जाती है, जिसकी कीमत काफी ज्यादा होती है। वहीं मंदिर में दान किए जाने वाले बाल भी इस अरबों रुपए के कारोबार का हिस्से होते हैं, जिनकी असलियत जानकर आप है’रान रह जाएंगे।
अरबों रुपए का है बालों का कारोबार (Waste Hair Business)
सिर से झड़कर गिरने वाले इन बालों से बहुत बड़ा व्यापार चल रहा है, जो भारत समेत पूरे विश्व में फैला हुआ है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हर साल भारत से 400 मिलियन डॉलर के बाल विदेशों में सप्लाई किए जाते हैं, जिन्हें फेरीवालों की मदद से इकट्ठा किया जाता है।
साल 2020 में बालों के इस कारोबार में 39 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसकी वजह से भारत से विदेश में सप्लाई होने वाले बालों की मात्रा बढ़ गई है। इन टूटे हुए बालों को गाँव और शहरों में घूमने वाले फेरीवाले इकट्ठा करते हैं, जिन्हें बतौर पैसे देकर खरीदा जाता है।
20 से 25 हजार रुपए किलो होती है कीमत (Waste Hair Business In India)
भारत के कई राज्यों में महिलाएँ अपने सिर से झड़कर गिरने वाले बालों को इकट्ठा करती हैं, जिन्हें वह फेरीवालों को बेच देती हैं। इन बालों को 20 से 25 हजार रुपए किलोग्राम (Waste human hair price in india) के हिसाब से बेचा और खरीदा जाता है, जबकि गाँव और कस्बों में टूटे हुए बालों की कीमत 2 हजार रुपए प्रति किलोग्राम तक होती है।
बालों की कीमत उनकी क्वालिटी और लंबाई के हिसाब से तय की जाती है, अगर अच्छी क्वालिटी के बाल हैं तो उसने अच्छी विग तैयार होती है। इसलिए उन बालों की कीमत ज्यादा होती है, वहीं छोटे और डैमेज बालों को कम कीमतों पर खरीदा जाता है।
टूटे हुए बालों को खरीदने और बेचने का सबसे बड़ा व्यापार पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में चल रहा है, जहाँ चेन्नई और आंध्र प्रदेश समेत भारत के अलग-अलग राज्यों से इकट्ठा किए गए बालों को जमा करने का काम किया जाता है।
कोलकाता से इन बालों को चीन समेत अलग-अलग देशों में भेजा जाता है, जहाँ उनकी मदद से नई और चमकदार विग तैयार की जाती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में गुजराती लोगों के बालों की मांग ज्यादा है, क्योंकि उनके बाल मजबूत होने के साथ-साथ चमकदार भी होते हैं।
वर्जिन बालों की मांग सबसे ज्यादा
भारत से बाहर जाने वाले 90 प्रतिशत बाज़ार चीन द्वारा खरीद लिए जाते हैं, जो हेयर ट्रांसप्लांट जैसी प्रक्रिया के लिए बेहद जरूरी होते हैं। चीन समेत विश्व के ज्यादातर देशों में वर्जिन बालों की मांग बहुत ज्यादा है, क्योंकि उनकी क्वालिटी काफी अच्छी होती है।
आपको बता दें कि वर्जिन हेयर उन बालों को कहा जाता है, जिन्हें कभी कलर न किया गया हो या फिर उनमें किसी प्रकार का हेयर ट्रीटमेंट न किया गया हो। ऐसे बालों को भारत से ही प्राप्त किया जा सकता है, क्योंकि हमारे देश में हेयर कलर और ट्रीटमेंट अन्य देशों के मुकाबले काफी कम किया जाता है।
टूटे बालों से बनती है विग
अगर आपको लगता है कि बाज़ार में मिलने वाली विग नकली बालों से बनी होती है, तो आप बिल्कुल गलत हैं। क्योंकि बाज़ार में मिलने वाली विग को असली बालों से बनाया जाता है, जिसे बनाने के लिए टूटे हए बालों का इस्तेमाल किया जाता है।
यह विग देखने में बिल्कुल असली इसलिए लगती है, क्योंकि उसमें लगाए गए बाल असली होते हैं। इन हेयर विग को तैयार करने के लिए टूटे हुए बालों को कैमिकल में धोया जाता है, फिर उन्हें लंबाई और रंग के आधार पर अलग-अलग किया जाता है।
इसके बाद बालों को सूखा कर अलग-अलग प्रकार की विग तैयार की जाती है, जिन्हें कंघी करके क्वालिटी चेक से गुजरना पड़ता है। आखिर में टूटे हुए बालों से तैयार विग को दुनिया भर के बाजारों में बेचने के लिए भेज दिया जाता है, जिससे अरबों रुपए का व्यापार होता है।
इसके अलावा टूटे हुए बालों का इस्तेमाल हेयर ट्रीटमेंट के लिए भी किया जाता है, जिसमें युवाओं के गंजे सिर पर दोबारा से बाल लगाए जाते हैं। हेयर ट्रीटमेंट का सबसे बड़ा व्यापार चीन में चलता है, यही वजह है कि यहाँ गंजे लोग देखने को नहीं मिलते हैं।
मंदिरों से मिलते हैं वर्जिन बाल
वर्जिन बालों को इकट्ठा करने का सबसे बड़ा केंद्र मंदिर हैं, जहाँ छोटे बच्चों से लेकर युवाओं तक हर किसी का मुडन किया जाता है। ऐसे में मंदिर में लगे बालों के ढेर को कोलकाता पहुँचाया जाता है, जहाँ से उन बालों को चीन भेज दिया जाता है।
साल 2014 में तिरुपति मंदिर में 220 करोड़ रुपए के बालों की बिक्री हुई थी, जबकि साल 2015 में तिरूमाला तिरुपति देवास्थान ने भक्तों के बालों का ई-ऑक्शन किया था, जिसके जरिए मंदिर ट्रस्ट ने 74 करोड़ रुपए इकट्ठा किए थे।
इसी प्रकार साल 2018 में भी तिरुमाला तिरुपति मंदिर में 5, 600 किलोग्राम बालों की नीलामी की गई थी, जिन्हें लंबाई और रंग के आधार पर तीन अलग-अलग श्रेणी में रखा गया था। जबकि सफेद बालों की कैटेगरी अलग थी, जिन्हें अलग से नीलाम किया गया है।