Maharashtra First Transgender Advocate – आपने अक्सर शादी समारोह और सड़कों पर किन्नर यानी थर्ड जेंडर वर्ग के लोगों को देखा होगा, जो दो वक्त की रोटी कमाने के लिए नाच गाना करते हैं। यूं तो हमारे देश में किन्नरों का आशीर्वाद धार्मिक रूप से बहुत ही अहम माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद समाज में उन लोगों को इज्जत नहीं दी जाती है और उन्हें घृणा की नजरों से देखा जाता है।
भारतीय समाज में किसी के घर किन्नर पैदा होने पर उसे माता पिता से अलग कर दिया जाता है, जबकि उस बच्चे को मानसिक व शारीरिक शोषण भी सहन करना पड़ता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे किन्नर की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन के दम पर महाराष्ट्र के पहले ट्रांसटेंडर वकील (Maharashtra First Transgender Advocate) बनने में सफलता हासिल की है।
महाराष्ट्र के पहले ट्रांसजेंडर वकील (Maharashtra First Transgender Advocate)
महाराष्ट्र के मुंबई से ताल्लुक रखने वाले पवन यादव (Pawan Yadav) राज्य के पहले किन्नर यानी ट्रांसजेंडर वकील (Maharashtra Transgender Advocate) हैं, जिन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद LLB की पढ़ाई करके समाज में अपना योगदान देने का फैसला किया।
दरअसल पवन ने अपने बचपन से ही ट्रांसजेंडर वर्ग के लोगों के साथ भेदभाव होते हुए देखा था, जबकि वह खुद भी किन्नर होने की वजह से समाज की घृणा का सामना कर चुके थे। इसलिए उन्होंने किन्नर समाज के लिए काम करने का फैसला करते हुए, वकालत की पढ़ाई की और राज्य के पहले वकील बन गए।
माता पिता ने दिया पवन का साथ
भारत में जब किसी घर पर बच्चे के रूप में किन्नर पैदा हो जाता है, तो माता-पिता उसे तुरंत खुद से दूर कर देते हैं। लेकिन पवन यादव इस मामले में काफी खुश नसीब थे, क्योंकि उनके माता-पिता ने उन्हें पूरे दिल से अपनाया।
पवन यादव के पिता सरकारी नौकरी करते थे, जबकि उनकी माँ ने पवन को हमेशा सहयोग दिया। लेकिन इसकी वजह से पवन के माता-पिता को अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के ताने सुनने पड़ते थे, लेकिन उन्होंने समाज की बातों पर ध्यान के बजाय पवन की अच्छी परवरिश की और उन्हें पढ़ाया लिखाया।
कॉलेज में एडमिशन लेने में हुई थी दिक्कत
पवन यादव (Pawan Yadav) भले ही महाराष्ट्र के पहले किन्नर वकील बन चुके हों, लेकिन इस कामयाबी को हासिल करने में पवन को काफी दिक्कत हुई थी। दरअसल जब पवन ने वकालत की पढ़ाई करने के लिए कॉलेज में एडमिशन लिया, तो उन्होंने फॉर्म पर ट्रांसजेंडर कॉलम को फिल क्या था।
ऐसे में जब पवन यादव का फॉर्म कॉलेज प्रशासन के पास पहुँचा, तो उनके एडमिशन को बीच में ही रोक दिया गया था। ऐसे में पवन यादव ने कॉलेज प्रशासन के अधिकारियों और ट्रस्टी से मुलाकात की व उनके सामने अपनी बात रखी, जिसके बाद पवन को स्टेशल कोटे के तहत कॉलेज में एडमिशन दिया गया था।
हालांकि लॉ कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद पवन यादव को आम लड़कों की तरह रहने की कोशिश करनी पड़ती थी, क्योंकि कॉलेज में ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग वॉशरूम या अन्य चीजों की सुविधा मौजूद नहीं थी। लेकिन पवन यादव ने सभी समस्याओं का सामना करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली। Maharashtra Transgender Advocate
14 साल की उम्र में किया था शोषण का सामना
पवन जब स्कूल में पढ़ते थे, तो उन्हें दूसरे बच्चों से अलग होने की वजह ताने सुनने पड़ते थे। इतना ही नहीं 14 साल की उम्र में पवन यादव लैंगिक शोषण का भी शिकार हुए थे, उन्होंने खुद के साथ हुए अत्याचार के लिए न्याय मांगने की कोशिश की, लेकिन किसी ने उनका साथ नहीं दिया।
स्कूल के साथ-साथ पवन को आम जिंदगी में भी लोगों के बुरे बर्ताव और बातों का सामना करन पड़ता था, लेकिन उन्होंने कभी भी खुद को टूटने नहीं दिया। अपने साथ हुए भेदभाव की वजह से ही पवन यादव ने वकालत पढ़ने का फैसला किया और इस काम में कामयाब भी हुए। Maharashtra Transgender Advocate