पुराने समय से ही मनुष्य अपनी रक्षा के लिए अथवा युद्ध के लिए विभिन्न प्रकार के शस्त्रों का प्रयोग करते हैं। वर्तमान समय की बात करें तो मनुष्य तरह-तरह की खतरनाक बन्दूकें इस्तेमाल करते हैं। जो एक ही सैकंड में गोली लगने वाले को मौत के घाट पहुँचा देती हैं। जबकि प्राचीन काल के शस्त्र आज के हथियारों से अलग थे, वे आज के हथियारों के जैसे खतरनाक नहीं थे, पर साथ ही घातक भी हुआ करते थे और जिनके समक्ष आने पर दुश्मन की मृत्यु निश्चित थी।
तो चलिए, आज हम आपको प्राचीन समय ऐसे ही कुछ शस्त्रों के बारे में बताते हैं, जिन्हें उस समय के लोग युद्ध के समय अथवा अपनी व परिवार की सुरक्षा हेतु इस्तेमाल किया करते थे।
फरसा
ये एक कुल्हाड़ी के सदृश दिखने वाला हथियार था, जो लोहे का बना था। इसमें एक या दो ब्लेड लगे होते थे। ये हथियार युद्ध के वक़्त बहुत ज़्यादा उपयोग में लाया जाता। था। धर्म शास्त्र में बताया गया है कि ये हथियार वास्तव में भगवान शिव का था, जो उन्होंने भगवान विष्णु को सौंपा था।
चक्रम
ये हथियार आमने-सामने होने वाली लड़ाई में इस्तेमाल किया जाता था। बता दें कि यह अत्यंत धारदार शस्त्र था इसलिए इसके समक्ष आना बहुत खतरनाक सिद्ध हो सकता था। इस शस्त्र को जो भी सैनिक चलाता था, वह तस्वीर में दिखाए गए दो चक्रों को अपने पास अवश्य रखा करता था। इस हथियार को बहुत ज़्यादा ताकत लगाकर फेंकने की आवश्यकता होती थी।
बाघ नख
इस हथियार का नाम पढ़कर ही आप समझ गए होंगे कि यह कैसा होगा… इसकी आकृति बाघ के नाखूनों जैसी दिखाई देती थी। महान पराक्रमी महाराजा छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे तेजस्वी राजा भी इस नख का प्रयोग करते थे। इसके अलावा निहंग सिख लोग भी इस हथियार को अपने पास सुरक्षा के लिए रखते हैं। इस हथियार की एक ख़ास विशेषता यह होती है कि यह बहुत छोटा होती है, इसलिए इसे आप अपनी सुविधानुसार किसी भी जगह पर रख कर छुपा सकते हैं, फिर आवश्यकता पड़ने पर तुरंत निकालकर इसका इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
कटार
पुराने ज़माने में प्रयोग किए जाने वाले इस हथियार में 3 तेज धार वाले ब्लेड लगे होते थे, ये तीन ब्लेड साथ मिलकर अत्यंत खतरनाक हथियार में बदल जाते थे। ऐसा माना जाता है कि ये हथियार दक्षिणी भारत में बनाया गया था, पर इसे भारत में दूसरे भागों में भी उपयोग किया गया था। इस तेज धार वाले हथियार से बाघ जैसे खतरनाक जानवरों का शिकार भी किया जाता था।
दंडपट्ट
दंडपट्ट दो अत्यंत तेज धार वाली ब्लेड से बना हुआ हथियार होता है, जिससे एक साथ कई लोगों के सर धड़ से अलग किए जा सकते थे। छत्रपति शिवाजी महाराज भी इस शस्त्र को ख़ूब अच्छे से उपयोग किया करते थे। इसके अलावा बख्तरबंद सैनिकों पर आक्रमण करने के उद्देश्य से भी इस प्रकार के शस्त्र का इस्तेमाल बहुत ज़्यादा किया जाता था।
गदा
आपने टीवी में रामायण, महाभारत इत्यादि धार्मिक सीरियलों में कलाकारों को गदा का प्रयोग करते हुए देखा ही होगा। बता दें कि टीवी में देखने पर यह भले ही हल्का लगे, पर वास्तव में यह अत्यधिक भारी शस्त्र था, जिसे उपयोग करना सरल नहीं होता था। इसे इस्तेमाल करने की एक अलग हीं टेक्निक हुआ करती थी, इसलिए जो लोग इसे अच्छे से चला पाते थे, वही इस शस्त्र का उपयोग किया करते थे। हनुमान भगवान भी सदैव गदा का प्रयोग किया करते थे। महाभारत में भी भीम व दुर्योधन का पसंदीदा शस्र गदा था, अतः वे भी गदा ही चलाते थे।
उरूमी
ये प्राचीन शस्त्र बहुत-सी ब्लेडों से मिलकर बना है, जो कि काफ़ी खतरनाक होता था। जो शख़्स इसे चलाता था, वह अत्यंत निडर व माहिर समझा जाता था, क्योंकि यदि यह शस्त्र प्रयोग करने वाले व्यक्ति से थोड़ी-सी भी गलती हो जाए तो इससे शस्त्र चलाने वाले को भी नुक़सान पहुँच जाता था। इस शस्त्र में लगे हुए ब्लेड बहुत लचीले होते थे, इसलिए इसे इस्तेमाल करने के लिए सावधानी बरतनी होती थी, वरना छोटी-सी गलती से भी इसे चलाने वाले को चोट पहुँच सकती थी।
खुकरी
खुकरी एक प्रकार का चाकू के सदृश दिखने वाला शस्त्र होता है। वैसे तो ये शस्त्र छोटा ही होता है, पर काफ़ी तेज धार वाला होता है। अधिकांशतः इस हथियार का उपयोग गोरखा सैनिक किया करते हैं। वे इसे अपने पास ही रखा करते हैं। इसके अलावा कई जगह पर शादी-ब्याह में भी इसे अपने पास रखने का रिवाज़ है।
कृपाण
इस प्राचीन शस्त्र का निर्माण उस वक़्त किया गया था, जब मुगलों ने सिख लोगों पर अत्याचार करना शुरू कर दिए थे। उस समय गुरु गोविंद सिंह जी ने लोगों को मुगल शासकों के अत्याचारों से बचाने के लिए इस्तेमाल करना शुरू किया था। ये भी चाकू की तरह दिखता है। आज भी सिखों के पास ये हथियार आपको आसानी से मिल जाएगा।
हलादी
हलादी में दायीं-बायीं और सामने की तरफ़ 3 तेज धार वाली ब्लेड लगी होती है, इसलिए यह शस्त्र भी अत्यंत खतरनाक होता है। जिन्हें यह हथियार ठीक से इस्तेमाल करना आता है, वे लोग अब भी इसे अपने पास रखा करते हैं।