हर इंसान चाहता है कि उसके पास आकर्षक शरीर और रूप रंग हो, ताकि उसकी पर्सनालिटी बेहतर लगे। हालांकि इस दुनिया में अलग-अलग रूप रंग और कद काठी के लोग मौजूद हैं, किसी को अपने शरीर से प्यार है तो उसे बदलने की पूरी कोशिश में लगा हुआ है। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक साधू का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसकी वज़ह है उनकी शारीरिक लंबाई।
18 इंच की लंबाई वाले नागा साधु
पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़ खींचने वाले इन बाबा का नाम नारायण नंद गिरी महाराज (Narayan Nand Giri Maharaj) है, जिन्हें दुनिया का सबसे छोटा साधू माना जा रहा है। दरअसल स्वामी नारायण नंद गिरी महाराज की शारीरिक लंबाई मात्र 18 इंच है, जबकि उनका वज़न 40 पाउंड यानी 18 किलोग्राम तक है।
स्वामी नारायण नंद जी (Narayan Nand Giri Maharaj) की उम्र इस वक़्त 55 साल है, लेकिन वह अपने शरीर के कारण न तो खड़े हो पाते हैं और नहीं सही से चल फिर पाते हैं। ऐसे में उनके शिष्य ही उनकी देखभाल और खानपान की ज़रूरतों का ध्यान रखते हैं। यही वज़ह है कि इन दिनों स्वामी नारायण नंद जी का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसे अब तक 47 हज़ार व्यूज मिल चुके हैं।
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इंटरनेट पर वायरल हुए छोटे बाबा
स्वामी नारायण नंद जी (Narayan Nand Giri Maharaj) का इंटरनेट पर यूं अचानक वायरल होना किसी चमत्कार से कम नहीं, क्योंकि 4 दिन पहले तक इनके अस्तित्व के बारे में किसी को कोई ख़बर नहीं थी। दरअसल स्वामी नारायण नंद जी को हरिद्वार में आयोजित महाकुंभ-2021 में पहली बार देखा गया था, जहाँ हजारों की संख्या में साधु-संत पहुँच रहे हैं। ऐसे में नायारण नंद जी की कद काठी श्रद्धालुओं समेत सोशल मीडिया यूजर्स के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई।
नागा संन्यासी कैसे बने छोटे बाबा
स्वामी नारायण नंद गिरी महाराज (Narayan Nand Giri Maharaj) का जन्म मध्य प्रदेश के झांसी में हुआ था, हालांकि उन्हें बचपन से ही अपने कद को लेकर लोगों के मज़ाक और तानों का सामना करना पड़ा। इसके बाद साल 2010 में आयोजित महाकुंभ के दौरान स्वामी नारायण नंद जी अखाड़े में शामिल हो गए और उनकी ज़िन्दगी पूरी तरह से बदल गई। नारायण नंद जी ने नागा साधुओं से शिक्षा और दीक्षा प्राप्त की, जिसके बाद वह भी नागा संन्यासी बन गए। आपको बता दें कि नागा साधु बनने की प्रक्रिया बिल्कुल भी आसान नहीं होती है, इसके लिए व्यक्ति को अपनी पुरानी पहचान भूलाकर एक नए जीवन की शुरूआत करनी पड़ती है।
यही वज़ह है कि नागा साधु बनने से पहले नारायण जी (Narayan Nand Giri Maharaj) को अपना नाम बदलना पड़ा, क्योंकि अखाड़े में शामिल होने से पहले उन्हें सत्यनारायण पाठक के नाम से जाना जाता था। हालांकि नागा साधुओं के साथ जुड़ने के बाद उन्होंने अपना नाम बदल कर नारायण नंद गिरी महाराज रख लिया और आज इसी नाम से उन्हें नागा साधुओं की दुनिया में पहचाना जाता है।