Homeवैशाली ने केले के कचरे को रिसाइकल कर बनाया कमाई का जरिया,...

वैशाली ने केले के कचरे को रिसाइकल कर बनाया कमाई का जरिया, साथ ही दे रहीं कई महिलाओं को रोजगार

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

अक्सर जिन कचड़ों को हम फेंक दिया करते हैं, क्या आपने कभी सोचा है कि आप उसे अपनी कमाई का ज़रिया बना सकते हैं और साथ ही कई लोगों को रोजगार भी दे सकते हैं। अब तक अगर आपने ऐसा नहीं सोचा है तो बिल्कुल अब सोच सकते हैं। क्योंकि ऐसा सोचा है बिहार के एक छोटे से शहर हाजीपुर की रहने वाली 25 वर्षीय वैशाली प्रिया ने, जो केले के कचरे से फाइबर बनाने का काम करती हैं।

बिहार का हाजीपुर दुनिया में एक चीज के लिए मशहूर है और वह है केला। यहाँ केलों की बेस्ट क्वालिटी मिलती है। केलों से भी कई तरह का कचरा निकला है। जैसे कि इसका डंठल। लेकिन वह आपके हमारे लिए किसी काम का नहीं हो सकता। लेकिन वैशाली उससे कमाई करती हैं और महिलाओं को रोजगार दिलवाने में मदद भी करती हैं।

क्या करती हैं वैशाली?

रिपोर्ट के मुताबिक, वैशाली प्रिया फैशन के पेशे से जुड़ी हैं और अपने बनाए इस फाइबर को यूरोप तक पहुँचाती हैं। वहाँ इससे कपड़े और एक्सेसरीज बनाए जाते हैं। वैशाली गाँव की महिलाओं को फैशन से जुड़ी स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग भी देती हैं।

प्रोजेक्ट भी किया है लॉन्च

वैशाली ने लोकल कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से ‘सुरमई बनाना एक्सट्रेक्शन प्रोजेक्ट’ शुरू किया। जिससे वह आर्गेनिक और नेचुरल तरीके से फाइबर निकालने की स्किल को प्रमोट करती हैं। शुरू में तो हरिहरपुर गाँव की 30 महिलाओं ने इसमें हिस्सा लिया था। वैशाली कहती है, ‘इससे महिलाओं को आर्थिक तौर पर काफ़ी फायदा हुआ है। अब ज़्यादा से ज़्यादा महिलाए रोज़ ये प्रोजेक्ट ज्वाइन कर रही हैं।’

कैसे इन फाइबर का उपयोग कपड़ों के लिए होता है?

banana-fiber

वैशाली बताती हैं कि वह इन महिलाओं को केले के पौधों से निकाले गए अंतिम कच्चे माल से प्रॉडक्ट बनाने के लिए प्रशिक्षित करती है। केले के फाइबर का यूज कपड़ों को बनाने के लिए किया जाता है। तने के किस हिस्से से फाइबर को निकाला जाता है ये भी इन्हें बताया जाता है। वैशाली को बचपन से ही पता था कि उनके शहर हाजीपुर में केले का सबसे बड़ा उत्पादन होता है और केले की फ़सल कटने के बाद बड़ी मात्रा में कचरे का उत्पादन भी होता है।

और भी बढ़ा सकते हैं उत्पादन

वैशाली कहती हैं, ‘ज्यादा लोगों के साथ से हम फाइबर, केले के पौधे और पल्प और ज़्यादा बढ़ा सकते हैं।’ इसको लेकर डॉ. नरेंद्र कुमार जो सीनियर आर्गो साइंटिस्ट हैं, उन्होंने भी दो दिन की ट्रेनिंग उनकी टीम को दी थी। जो कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से ही संभव हो पाई।

केले से निकले फाइबर के बारे में वैशाली कहती हैं कि ये सबसे मजबूर फाइबर्स में से एक है। इससे रस्सियाँ, मैट्स, वुलन,  फैबरिक्स और हैंड मेड पेपर आइटम और कपड़े भी बनाए जा सकते हैं। जो रोजगार के लिए भी बहुत बेहतरीन है।

यह भी पढ़ें

Most Popular