Homeप्रेरणागरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए डंडे के सहारे रोज 20 KM...

गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए डंडे के सहारे रोज 20 KM साइकिल चलाते हैं दिव्यांग शिक्षक, फीस भी नहीं लेते हैं

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Disable Teacher Milan Mishra: आपने अक्सर शारीरिक रूप से पूरी तरह से स्वस्थ लोगों को बेरोजगारी का रोना रोते हुए देखा होगा, जो न तो कोई काम करते हैं और न ही किसी जरूरतमंद इंसान की मदद के लिए ही आगे आते हैं। ऐसे में उन कामचोर लोगों के लिए मिलन मिश्रा का जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं है, जो रोजाना 20 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं।

अब आप सोच रहे होंगे कि 20 किलोमीटर साइकिल चलाने में प्रेरणा वाली क्या बात है, तो हम आपको बता दें कि मिलन मिश्रा का एक पैर नहीं है। लेकिन इसके बावजूद भी वह रोजाना 20 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय करते हैं, ताकि गरीब और अशिक्षित बच्चों को पढ़ा सके।

Milan Mishra

शिक्षा से बड़ा कुछ नहीं

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के ब्रह्मावाली गाँव से ताल्लुक रखने वाले मिलन मिश्रा (Milan Mishra) शारीरिक रूप से दिव्यांग है, जो लाठी की मदद से चलते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी 30 वर्षीय मिलन हर रोज 20 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय करते हैं, ताकि वह गरीब बच्चों को पढ़ा लिखा सके। इसे भी पढ़ें – 42 साल की माँ और 24 साल के बेटे ने एक साथ पास की PSC परीक्षा, लोगों के लिए बने मिसाल

मिलन मिश्रा ने खुद बचपन में बहुत गरीबी देखी है, जबकि उन्हें स्कूल पढ़ने के लिए पैदल 6 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। उनका एक पैर नहीं था, लिहाजा स्कूल तक पहुँचने और वहाँ से वापस घर आने में मिलन को बहुत तकलीफ होती थी। लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को हासिल करने का इरादा पक्का कर लिया।

इस तरह मुश्किल हालातों से लड़ते हुए मिलन ने अपनी पढ़ाई पूरी की, जबकि उनके पास स्कूल की फीस देने के लिए पैसे भी नहीं थी। ऐसे में मिलन ने शिक्षकों को अपनी गरीबी के बारे में बताया, जिसके बाद स्कूल ने उनकी फीस माफ कर दी थी। इसके बाद मिलन मिश्रा ने कॉलेज में एडमिशन लिया और ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की।

वर्तमान में मिलन सीतापुर जिले में स्थिति दूसरे गाँव के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं, ताकि उनके शिक्षा का महत्त्व समझा सके और वह बच्चे आगे चलकर अपना भविष्य बेहतर बनाए। इसके साथ ही मिलन मिश्रा साइकिल में घूमते हुए लोगों को शिक्षा का महत्त्व समझाते हैं और उन्हें जागरूक करते हैं, क्योंकि शिक्षा के दम पर ही गरीबी और लाचारी से छुटकारा पाया जा सकता है।

बच्चों से फीस नहीं लेते हैं मिलन

मिलन मिश्रा शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं, लेकिन वह कभी भी खुद को इस बात का एहसास नहीं होने देते हैं। यही वजह है कि मिलन तीन पहिया वाली साइकिल चलाने के बजाय दो पहिए वाली साइकिल चलाते है, जिसके लिए उन्हें डंडे की मदद लेनी पड़ती है।

इतना ही नहीं मिलन मिश्रा बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने के बदले उनसे फीस भी नहीं लेते हैं, क्योंकि गरीब परिवार के बच्चों के पास फीस देने जितने पैसे नहीं होते हैं। ऐसे में उन बच्चों के माता-पिता मिलन को फीस के रूप में राशन या सब्जी जैसी चीजें दे देते हैं, जिसकी मदद से उनके घर में दो वक्त की रोटी पक जाती है।

मिलन मिश्रा के परिवार में पहले इतनी आर्थिक तंगी नहीं थी, क्योंकि उनका भाई नौकरी करता था। लेकिन 4 साल पहले उनके भाई की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी, जबकि मिलन के पिता ने भी कोरोना काल के दौरान दम तोड़ दिया था। ऐसे में मिलन के लिए परिवार की आर्थिक स्थिति को संभालना मुश्किल हो गया, जिसके बाद उन्होंने ट्यूशन के जरिए होने वाली कमाई से घर चलाना शुरू कर दिया था। इसे भी पढ़ें – मजदूर की बेटी बनी GST इंस्पेक्टर, 2 बार फेल होने के बावजूद भी नहीं छोड़ी थी उम्मीद

यह भी पढ़ें
Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
शिवानी भंडारी एक कंटेंट राइटर है, जो मीडिया और कहानी से जुड़ा लेखन करती हैं। शिवानी ने पत्रकारिता में M.A की डिग्री ली है और फिलहाल AWESOME GYAN के लिए फ्रीलांसर कार्य कर रही हैं।

Most Popular