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आयुर्वेदिक रूप से भी बहुत उपयोगी हैं भगवान शिव के ये प्रिय पौधे, इस सावन इन्हें घर में अवश्य लगाएं

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Sawan 2021– सावन का महीना शुरू होते ही जहाँ वर्षा ऋतु के कारण प्रकृति का सौंदर्य भी चरम पर होता है, वहीं इस महीने में भगवान शिवजी की पूजा अर्चना करने को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। इस पावन माह में भोलेनाथ के भक्त उन्हें खुश करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं।

ऐसा माना जाता है कि, भगवान शिव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो अपने भक्तों की पूजा-पाठ से अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। सावन के इस मौसम में हरे-भरे पेड़ जैसे नए वस्त्र धारण किए प्रतीत होते हैं। यद्यपि पेड़-पौधे पूरे वर्ष किसी भी समय लगाए जा सकते हैं, परन्तु खासतौर पर सावन के महीने में नवीन पेड़ पौधे लगाने हेतु वातावरण उपयुक्त रहता है।

इस महीने के आराध्य महादेव को कुछ पौधे अत्यंत प्रिय होते हैं। शिवजी की पूजा में कई ऐसी वस्तुएँ अर्पित की जाती हैं जो दूसरे किसी देवता को नहीं चढ़ाई जाती हैं, जैसे कि आक, बिल्वपत्र, भांग इत्यादि जिनके बारे में आप जानते ही होंगे, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि ये पौधे शिवजी को प्रसन्न करने के साथ ही पर्यावरण को भी शुद्ध करते हैं और इन्हें उगाना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। इस साल सावन महीना 25 जुलाई 2021 से शुरू हो रहा है, तो आप भी इन पौधों को लगाकर भोलेनाथ की विशेष कृपा के पात्र बन सकते हैं। Sawan 2021

बेल का पेड़

भगवान शिव को बेलपत्र, शमीपत्र, अकौड़ा व धतूरा अर्पित कीजिए, इससे वे प्रसन्न हो जाते हैं। साथ ही सावन के महीने में इन पौधों को लगाकर भी आप भगवान शिवजी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। बेल पत्र भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक माना जाता है, इसलिए तीन पत्तियों वाला बेल पत्र उन्हें चढ़ाया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने से 1 करोड़ कन्या दान करने के बराबर फल मिलता है और यह 100 अश्वमेघ यज्ञ करने के समान माना जाता है।

शमी का वृक्ष

जिन पर शनि ग्रह का दोष हो, उसके निवारण के लिए भी शमी के वृक्ष का प्रयोग किया जाता है। इसी तरह से आंकड़ा सूर्य के दोष को शांत करने के लिए और सूर्य को सशक्त करने हेतु भी प्रयोग होता है।

शिवजी का प्रिय धतूरा आयुर्वेदिक तौर पर भी बहुत फायदेमंद होता है और इससे जानवरों के दूध उत्पादन में भी वृद्धि होती है। यह शरीर को उष्मा प्रदान कर भीतर से गर्म रखता है। यदि इसका प्रयोग सीमित मात्रा में किया जाता है तो यह औषधि की तरह काम करता है।

बेल व दूर्वांकुर का आयुर्वेदिक महत्त्व

पेट से जुड़े जटिल रोगों का आयुर्वेद शास्त्र में एक मात्र इलाज़ बेल होता है। बेल 9 ग्रहों में मंगल, गुरु एवं राहु के बुरे प्रभावों को भी शांत करता है। इसके अलावा भगवान शिव को दूर्वांकुर भी अर्पण किए जाते हैं। आयुर्वेदिक में दूर्वांकुर को रक्तशुद्धि करने व रक्त में लाल रक्त कणिकाओं (RBC) की वृद्धि में मददगार माना जाता हैं। इतना ही नहीं, कैंसर जैसे असाध्य रोग के निवारण में भी यह सहायता करता है। इसके अलावा केतु ग्रह को शांत करने हेतु भी दूर्वा का उपयोग होता है। Sawan 2021

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News Desk
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