कीमत राय: वो स्कूल टीचर जिसने मंदी से जूझ रहे कंपनी को ख़रीद कर बनाया अरबों का ब्रांड, नाम रखा Havells

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Havells And Kimat Ray Success Story In Hindi: जब हम मार्किट में शॉपिंग करने निकलते है, तब हम ऐसे कई ब्रांड्स ने देखते है जिन्हे देखने के बाद हमारे मन में एक ही ख्याल आता है कि ये विदेशी ब्रांड है। जैसे कि Peter England, Royal Enfield, Allen Solly आदि। इस लिस्ट में एक और नाम आता है Havells, परंतु आपको बता दें कि Havells यह शुद्ध देसी ब्रांड है। इस कंपनी की शुरुआत हवेली राम गांधी नाम की एक कंपनी से हुई है। तो आइये जानते है कि कैसे कीमत राय ने आर्थिक मंदी से जूझ रहे ‘हवेली राम गांधी’ कंपनी को अरबों का ब्रांड ‘हैवेल्स’ में बदल दिया। 

कीमत राय के करियर की शुरुआत 

इस आर्टिकल में हम जिस ख़ास शख़्स की बात करने जा रहे है, उनका नाम कीमत राय गुप्ता है, जिन्होंने Havells की नीवं रखी है। सन 1937 में औपनिवेशिक भारत के पंजाब के मलेरकोटला में कीमत राय गुप्ता का जन्म हुआ। महज़ 21 साल की उम्र में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत स्कुल टीचर के तौर पर की। कीमत रॉय स्कुल में टीचर बन कर बच्चों को ज्ञान बाट रहे थे, लेकिन उनका सपना कुछ बड़ा करने का था। इसीलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दिल्ली जाने का फ़ैसला किया। सन 1958 में 10,000 रुपये साथ लेकर कीमत राय देश की राजधानी दिल्ली के लिए निकल पड़े। 

अवसर का लाभ उठाया 

दिल्ली आने के बाद कीमत राय ने अपने ही रिश्तेदार के पास इलेक्ट्रॉनिक का काम सीखा और 10,000 की लागत से उन्होंने ‘गुप्ताजी एंड कंपनी‘ की नींव रखी। वहीं, कीमत राय ये हवेली राम गांधी के यहां डिस्ट्रीब्यूटर भी थे।कीमत राय की खास बात ये थी कि वो मार्किट में काम करते हुए अपनी नज़र और दिमाग खुली रखते थे। उनके इस आदत से, उन्हें यह बात का पता चली कि हवेली राम गांधी आर्थिक तंगी से जूझ रहे है। इसी वजह से कंपनी बंद पड़ने के कगार पर है और वो कंपनी को बेच रहे है। 

ऐसे में कीमत राय को अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए अवसर दिख रहा था। इसीलिए उन्होंने हवेली राम गांधी को खरीदने के लिए जद्दोज़हद शुरू की। हालांकि, तब उनके पास भी इतने पैसे नहीं थे कि वो उसे खरीदले। लेकिन उन्हें यह पता था कि इस ब्रांड के साथ वह अपने ब्रांड को और अच्छे दाम में बेच कर बड़ा मुनाफ़ा कमा सकते है। इसीलिए कीमत राय ने बड़े मुश्किल से पैसों का इंतज़ाम किया और 7 लाख में हवेली राम गांधी को ख़रीद लिया। इस तरह हवेली राम गांधी बन गया कीमत राय का हैवेल्स।   

Havells की नींव रखी 

कीमत राय को बिजनेस करते हुए अब तक 10 साल से ज़्यादा का अनुभव प्राप्त हो चूका था। उन्हें अच्छे से समझ आ गया था कि ग्राहक क्या खरीदना पसंद करते है और क्या नहीं। इसीलिए उन्होंने लोकल मार्केट से Havells का व्यापार बढ़ाना शुरू किया। वहीं, Havells के साथ कीमत राय ने ट्रेडिंग भी शुरू किया। 1976 में दिल्ली के कीर्ति नगर में उन्होंने अपना पहला स्विचेस और रिचेंगओवर का मेनीफेक्चरिंग प्लांट लगाया। इसके बाद कीमत राय ने सन 1979 में बादली में और सन 1980 में तिलक नगर में एनर्जी मीटर स्थापित किए।  

कीमत राय को मिलते अच्छी प्रतिक्रिया के बाद उन्होंने सन 1980 में ‘हैवेल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड‘ की नींव रखी। इसके बाद उनका व्यापार और उभरता गया और उन्हें सफ़लताए मिलते रही। अच्छी क्वालिटी के उत्पाद की वजह से उनका व्यापर दूरदराज तक फैलने लगा जिससे Havells की मांग बढ़ने लगी। इसके बाद कीमत राय ने जल्द ही हरियाना और उत्तर प्रदेश में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट शुरू किया। 

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रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर जोर 

जिस तरह कीमत राय को सफ़लता मिल रही थी, ठीक इसी तरह उन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा था। विदेशी उत्पाद की नई तकनीक मार्केट में जगह बना रहे थे। ऐसे में विदेशी उत्पाद से स्पर्धा करने के लिए कीमत राय ने हैवेल्स में रिसर्च एंड डेवलपमेंट की शुरुआत की। इसका मकसद था कि नई आधुनिक तकनीक और आविष्कार को बढ़ावा देना और नए-नए उत्पाद को लॉन्च करना। 

अपना व्यापार और बढ़ाने की सोच के साथ कीमत राय ने 2007 में अपने से बड़ी एक जर्मन कंपनी का अधिग्रहण कर लिया जिसका नाम ‘SYLVANIA’ था। वर्तमान में HAVELLS के पास कॉनकॉर्ड, क्रैबट्री, ल्यूमिनेंस, सिल्वेनिया और स्टैंडर्ड जैसे विश्व प्रसिद्ध ब्रांड हैं। 

1.4 बिलियन डॉलर तक का सफ़र 

दिल्ली से शुरू हुई हैवेल्स कंपनी में आज 6,500 से ज़्यादा कर्मचारी और 20 हज़ार से अधिक ट्रेड पार्टनर्स है। वहीं, हैवेल्स का क़रीब 50 देशों में अपना कारोबार है। कीमत राय ने 10,000 रुपये से शुरू किया हुआ सफ़र आज 1.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच चूका है। 

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