“लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती”
जी हाँ, हरिवंश राय बच्चन द्वारा कही गई इन चंद पंक्तियों पर रामचंद्र अग्रवाल (Ram Chandra Agarwal) की ज़िन्दगी सटीक बैठती है, जिन्होंने शारीरिक रूप से विकलांग होने के बावजूद भी एक फोटोस्टेट की दुकान से 1 हज़ार करोड़ रुपए की कंपनी तक का सफर तय किया। लेकिन इनका सफर काफ़ी मुश्किल भरा रहा जब-जब शेयर बाज़ार में गिरावट के कारण इनकी कंपनी करोड़ों रुपए के घाटे में चली गई तब मजबूरी वश इन्हें अपनी कंपनी को बेचना तक पड़ गया। इसके बावजूद भी इन्होंने एक बार फिर ख़ुद को उठाया और दूसरी कंपनी की शुरुआत की। आइए जानते हैं श्री रामचंद्र अग्रवाल (Story of Ram Chandra Agrawal) के इस सफ़र को…
विशाल मेगा मार्ट का मालिक कौन है (Story of Ram Chandra Agrawal)
रामचंद्र अग्रवाल एक ऐसा नाम जो आज बिजनेस की दुनिया में किसी पहचान के मोहताज नहीं है। रामचंद्र दो बड़ी कंपनियों Vishal Mega Mart और V-2 के मालिक हैं, जिन्हें आज कौन नहीं जानता। वैसे यह बात भी बहुत दुखद है कि आज विशाल मेगा मार्ट इनके बिजनेस का हिस्सा नहीं है। दरअसल एक बार शेयर बाज़ार में आई गिरावट के कारण इनकी कंपनी विशाल मेगा मार्ट 750 करोड रुपए के घाटे में चली गई और इनकी कंपनी पूरी तरह से डूब गई। रामचंद्र अग्रवाल पर कर्ज़ का बोझ इतना ज़्यादा बढ़ गया कि मजबूरी वश इन्हें अपनी कंपनी विशाल मेगा मार्ट को श्रीराम ग्रुप के हाथों बेचनी पड़ी। लेकिन बुलंद हौसले के मालिक रामचंद्र अग्रवाल ने एक बार फिर ख़ुद को उठाया और मार्केट में अपनी एक नई कंपनी खड़ी की।
V-2 भी एक बहुत बड़ी कंपनी में शुमार है
विशाल मेगा मार्ट (Vishal Mega Mart) जैसी बड़ी और स्थापित कंपनी को मजबूरी वश बेचने के बाद रामचंद्र अग्रवाल पूरी तरह से टूट गए थे। हालांकि इन्होंने बहुत ही जल्द ख़ुद को संभाल लिया। पूरे हिम्मत और जुनून के साथ रामचंद्र अग्रवाल ने एक बार फिर बाज़ार में आकर अपना एक नया ब्रांड V-2 के नाम से स्थापित कर दिया। आज के समय में V-2 भी एक बहुत बड़ी कंपनी में शुमार है। पूरे देश भर के 32 शहरों में इसके ख़ुद के आउटलेट हैं और यह सारे बहुत ही मुनाफा कमा रहे हैं।
उधार लेकर खोली थी फोटोस्टेट की दुकान
इनके शुरुआती दिनों बात अगर की जाए तो रामचंद्र अग्रवाल एक ऐसे व्यक्ति हैं जो शारीरिक रूप से विकलांग होने के कारण आज भी वैशाखी के सहारे चलते हैं। इसके बावजूद भी इन्होंने कभी ख़ुद को किसी काम के लिए असमर्थ नहीं समझा और बहुत ही छोटे बिजनेस से अपनी ज़िन्दगी की शुरुआत की। रामचंद्र अग्रवाल ने कोलकाता से अपनी पढ़ाई पूरी की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 1986 में इन्होंने दूसरों से कुछ रुपए उधार लिया और ख़ुद का एक फोटोस्टेट का दुकान खोला। इस काम को उन्होंने लगभग 1 साल तक किया। इसी 1 साल के बीच उन्होंने सोचा क्यों ना कुछ और बड़ा बिजनेस किया जाए। तब उन्होंने एक कपड़े के छोटे से बिजनेस को शुरू किया।
विशाल रिटेल के नाम से एक खुदरा व्यापार शुरू किया
आपको बता दें तो उन्होंने 1 या 2 साल नहीं बल्कि पूरे 15 सालों तक कोलकाता में कपड़े का बिजनेस किया। इसके बावजूद भी इनके मन में कुछ और बड़ा करने का ख़्याल आया। उसके बाद रामचंद्र अग्रवाल अपने कोलकाता स्थित कपड़े की दुकान को बंद कर दिल्ली चले गए। दिल्ली जाकर 2001 में इन्होंने विशाल रिटेल के नाम से एक खुदरा व्यापार शुरू किया। इनका यह बिजनेस बहुत जल्दी तरक्क़ी करने लगा और आगे बढ़ गया। देखते ही देखते इनका विशाल रिटेल कब विशाल मेगा मार्ट में बदल गया पता ही नहीं चला।
फिर एक ही झटके में सब खत्म हो गया
बहुत जल्द ही रामचंद्र अग्रवाल की कंपनी विशाल मेगा मार्ट का नाम शेयर बाज़ार में भी शामिल हो गया। लेकिन साल 2008 में एक ऐसा दिन भी आया जब शेयर बाज़ार में गिरावट के कारण रामचंद्र अग्रवाल की कंपनी विशाल मेगा मार्ट पूरी तरह से डूब गई। एक ही झटके में रामचंद्र अग्रवाल का पूरा व्यापार ख़त्म हो गया। कर्ज़ पड़ने के कारण इन्होंने अपनी कंपनी को श्री राम ग्रुप के हाथों बेच दिया।
एक नया ब्रांड V-2 के नाम से स्थापित किया
रामचंद्र अग्रवाल (Ram Chandra Agarwal) ने बहुत जल्द ही अपनी दूसरी कंपनी V-2 की शुरुआत की और आज के समय में इनकी कंपनी V-2 देश के अलग-अलग और छोटे-छोटे शहरों में भी खुली हुई है। इस तरह एक दिव्यांग व्यक्ति रामचंद्र अग्रवाल जी ने और भी मज़बूत तरीके से ख़ुद को बाज़ार में स्थापित किया। आज इनकी कंपनी V-2 करोड़ों का मुनाफा कमा रही है, जिसे शायद ही कोई नहीं जानता हो।