आज के आधुनिक समय में खानपान से लेकर पहनावे तक हर चीज में विदेशी रंग और सभ्यता का अनोखा मिलन देखने को मिलता है। बर्गर से लेकर पिज्जा तक भारतीय बाजार में आपको खाने के लिए एक से बढ़कर विदेशी व्यंजन मिल जाएगा, जो मुंह का स्वाद बढ़ाने के साथ साथ मन को भी खुश करता है।
लेकिन एक भारतीय नागरिक कैसे विदेश में बर्तन धोकर पिज्जा बनाना सीखता है और फिर अपने बिजनेस की शुरुआत करता है, ये कहानी अपने आप में बहुत ही दिलचस्प है। तो आइए जानते हैं बिजल दवे (Bijal Dave) के स्टार्टअप की खूबसूरत कहानी-
बिजल दवे (Bijal Dave)
गुजरात के वडोदरा के रहने वाले बिजल दवे (Bijal Dave) आज एक पिज्जा रेस्त्रां के मालिक हैं, जहां हर दिन 45 प्रकार के अलग अलग पिज्जा बनाए जाते हैं। बिजल हर महीने इस पिज्जा के बिजनेस से तकरीबन 2 लाख रुपए कमा लेते हैं, जो अपने साथ साथ 5 अन्य लोगों को रोजी रोटी चलाने के लिए रोज़गार प्रदान करते हैं। लेकिन पिज्जा रेस्त्रां के मालिक बनने का सफर बिजल दवे के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था, क्योंकि उन्होंने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी ज्यादा संघर्ष किया है।
केन्या में सीखा पिज्जा बनाना
बिजल दवे (Bijal Dave) ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था, लेकिन लंबे समय तक काम की तलाश करने के बावजूद भी उन्हें नौकरी नहीं मिली। अपनी जिंदगी से हताश और निराश हो चुके बिजल रोजी-रोटी की तलाश में केन्या चले गए, जहां उन्हें एक होटल में नौकरी मिल गई। हालांकि कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने वाले बिजल को केन्या में बर्तन धोने और सब्जियां काटने का मामूली काम करना पड़ा, लेकिन पेट की भूख मिटाने के लिए उन्होंने यह काम करने से भी परहेज नहीं किया।
केन्या के होटल में काम करने के दौरान बिजल की मुलाकात एक इटालियन कस्टमर से हुई, जिसका कांगो में एक पिज्जा रेस्त्रां था। उस व्यक्ति ने बिजल को अपने साथ काम करने का ऑफर दिया, जिसे बिजल ने बिना देरी किए स्वीकार कर लिया। इसके बाद उसी इटालियन रेस्त्रां में बिजल ने पिज्जा बनाना सीखा और उसकी अलग अलग टॉपिंग्स के बारे में जानकारी प्राप्त की। इस तरह कंप्यूटर इंजीनियरिंग करने वाले बिजल एक बेहतरीन पिज्जा मेकर बन गए।
कांगो से भारत तक का सफर
पिज्जा मेकिंग के गुण सीखने के बाद बिजल ने कांगो में ही उस इटालियन कस्टमर के साथ पार्टनरशिप में खुद की एक छोटी सी पिज्जा शॉप खोल ली। अभी बिजल की दुकान चली भी नहीं थी कि कांगो के लोगों ने उनकी दुकान तोड़ दी, जिसकी वजह से बिजल को काफी ज्यादा नुकसान हो गया। इसके बाद बिजल वापस अपने देश भारत लौट आए।
बिजल दवे मार्च 2019 में भारत लौट आए, लेकिन उन्हें अभी भी रोज़गार की तलाश थी। लिहाजा बिजल ने वडोदरा में ही एक पिज्जा रेस्त्रां खोलने का फैसला किया, क्योंकि वह पिज्जा बनाने की कला को बहुत अच्छे ढंग से समझ चुके थे। ऐसे में उन्होंने अपनी जमा पूंजी से बिल्डिंग के कंपाउंड में एक खुली जगह पर ग्लस्टोस पेजेरिया नामक पिज्जा रेस्त्रां खोल लिया। बिजल के पास ज्यादा पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने अकेले ही पिज्जा बनाने के काम की शुरुआत की।
आज 5 लोगों को दे रहे हैं रोज़गार
नौकरी न मिलने की स्थिति में बिजल द्वारा शुरू किए गए पिज्जा बिजनेस ने काफी तेज रफ्तार से स्पीड पकड़ी और देखते ही देखते लोगों के बीच उनका पिज्जा मशहूर हो गया। इसके बाद दुकान में पिज्जा की मांग बढ़ने लगी और बिजल को अपने साथ लोगों को जोड़ने की जरूरत महसूस हुई।
वर्तमान में बिजल दवे 5 लोगों को रोजगार दे रहे हैं, उन्हें महीने में 2 लाख रुपए की कमाई होती है। जिसमें से 40 हजार रुपए वह अपने खर्च के लिए रखते हैं, जबकि बाकी रुपए कर्मचारियों की तनख्वाह और दुकान के किराए पर खर्च हो जाते हैं। बिजल दवे को उम्मीद है कि जिस तरह उनका काम चल रहा है, उस हिसाब से आने वाले समय में उनके रेस्टोरेंट की कई फ्रेंचाइजी होंगी।
बिजल दवे (Bijal Dave) की कहानी उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है, जो डिग्री और डिप्लोमा करने के बावजूद भी बेरोज़गारी की ज़िंदगी बिताने पर मजबूर हैं। ऐसे में बिजल दवे की कहानी यह प्रेरणा देती है कि अगर इंसान सच्चे मन से कुछ करना चाहे, तो मंजिल भी उसके कदम चूमती है।