सिंधुताई सपकाल (Sindhutai sapkal)- आज के ज़माने में जहाँ लोग अपने एक या दो बच्चें को बहुत ही मुश्किलों से पाल पोस कर बड़ा कर रहे हैं और उसी बच्चे में अपनी पूरी ज़िन्दगी की कमाई लगा दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर किसी ने सोचा नहीं होगा कि एक बच्चे को बहुत कठिनाइयों के साथ जन्म देने वाली माँ कभी 1500 अनाथ बच्चों की माँ बन सकती है। इन्हें क्या-क्या नहीं करना पड़ा अनाथ बच्चों के पेट को पालने के लिए। आइए जानते हैं इनके बारे में।
बनी 1500 अनाथ बच्चों की मां
1500 अनाथ बच्चों की मां, जिनका नाम है सिंधुताई सपकाल (Sindhutai sapkal). जिन्हें आज महाराष्ट्र में लोग मदर टेरेसा (Mother Teresa) के नाम से भी जानते हैं। इन्होंने जिन संघर्षों में अपनी ज़िन्दगी बिताई है, उसे सुनकर अच्छे अच्छों की नींद उड़ जाए।
गौशाला में बेटी को दिया जन्म
अपनी ज़िन्दगी में हंसती खेलती सिंधुताई जब 10 वर्ष की हुई वैसे ही इनका विवाह एक 30 साल के व्यक्ति से कर दी गई। हंसने, खेलने, पढ़ने की उम्र में इन्हें जिम्मेदारियों के बोझ से लाद दिया गया। अभी शादी के कुछ महीने ही तो हुए थे और पता चला कि सिंधुताई गर्भवती हैं। लेकिन इनका पति ऐसा निर्दई निकला कि इन्हें इस अवस्था में भी घर से धक्के मार कर निकाल दिया।
अपने घर से बेघर सिंधुताई एक गोसाले में अपनी बेटी को जन्म दी। अपनी नवजात बच्चे का पेट भरने के लिए इन्होंने ट्रेन में घूम-घूम कर भीख तक मांगा और इनकी कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती है। कभी खाने को कुछ ना मिलने पर यह शमशान जाकर चिता पर से रोटियाँ उठाकर ख़ुद का और अपनी बच्ची का पेट भरती।
खुद अपने हाथ से काटी बेटी की नाल
सिंधु ताई के पति ने अपनी तरफ़ से इन्हें दुख पहुँचाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। इनके पति का व्यवहार इनके प्रति पूरी तरह से बुरा हो चुका था। सिंधुताई की स्थिति इतनी बिगड़ चुकी थी कि उन्हें आखिरकार उन्हें घर छोड़कर जाना पड़ा और मजबूरी में गायों के बीच अपनी बेटी को जन्म देना पड़ा। उस समय उनकी सहायता के लिए कोई उपस्थित नहीं था। उन्होंने बताया कि बेटी को जन्म देने के बाद इन्होंने अपने हाथ से ही गर्भनाल को काटा। अपनी स्थिति से मजबूर सिंधुताई कई बार अपनी ज़िंदगी खत्म करने की भी सोची लेकिन बेटी की वज़ह से वह ऐसा कर नहीं सकी। इनकी कहानी को सुन अच्छे अच्छों की नींद उड़ जाए, ऐसे बुरे हालातों में इन्होंने अपनी ज़िन्दगी को देखा है।
10 साल की उम्र में शादी भी कर दी गई
पुणे शहर में एक महिला सशक्तिकरण पर आयोजित एक कार्यक्रम “शक्ति” में 70 वर्षीय सिंधुताई को भी आमंत्रित किया गया था। इस कार्यक्रम में 1500 अनाथ बच्चों की माँ सिंधुताई अपने बारे में बताते हुए कहती हैं कि “मुझे पढ़ने का बहुत ज़्यादा शौक था, लेकिन इनका जन्म ऐसे माहौल में हुआ था कि उनकी माँ ने इन्हें पढ़ने का मौका तक नहीं दिया और तो और सिर्फ़ 10 साल की उम्र में मेरी शादी भी कर दी गई और जिस स्थिति में मैंने अपनी बच्ची को जन्म दिया, इसलिए मैं नहीं चाहती कि उन परिस्थितियों से किसी और को भी गुजरना पड़े। यही कारण है कि मैं अनाथ बच्चों को अपनाने लगी। उनकी सेवा करने के साथ उन्हें माँ का प्यार देने लगी। वर्तमान समय में मैं लगभग 1500 से भी अधिक अनाथ बच्चों की माँ हूँ।”
सिंधु ताई ने बताया कि जिन 1500 बच्चों को उन्होंने माँ का प्यार दिया है और पाला है उनमें से कई सारे आज डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफ़ेसर, वकील भी बन चुके हैं और उनमें से कई बहुत बड़े-बड़े काम भी कर रहे हैं और बड़े-बड़े काम कर रहे हैं। इन्हें अनाथ बच्चों को पालने में भी इन्हें काफ़ी आर्थिक परेशानी हुई, फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज भी लगातार यह अपना काम कर रही हैं।
सिंधुताई सपकाल (Sindhutai sapkal) के इस नेक काम के लिए पूरी दुनिया उन्हें सलाम करती है, क्योंकि ऐसी हिम्मत बहुत कम महिलाओं में देखने को मिलता है।