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कंस्ट्रक्शन का बिज़नेस छोड़ स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की, अब कमाते हैं हर सीजन के 8 लाख रुपए

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आज हम बात करने जा रहे हैं कर्नाटक स्थित धारवाड़ के निवासी शशिधर चिक्कपा (Shashidhar Chikkapa) की, जो अपनी एक एकड़ भूमि पर स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की खेती किया करते हैं। वे इस एक एकड़ ज़मीन पर ही स्ट्रॉबेरी के साथ चार-पांच प्रकार के अन्य फल भी उगाते हैं। वह 30 टन से भी अधिक स्ट्रॉबेरी का उत्पादन कर लेते हैं। शशिधर अब जल्दी ही ऑनलाइन मार्केट में उतारने की प्लानिंग कर रहे हैं, इस काम में उनके साथ लगभग 20 और व्यक्ति काम करते हैं, जिनमें से 14 स्त्रियाँ हैं।

शशिधर चिक्कपा ने स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत पिछले वर्ष ही की थी। इस समय वह इस एक एकड़ ज़मीन पर ही स्ट्रॉबेरी के साथ चार-पांच तरह के और फल भी उगाते हैं। अभी वे 30 टन से भी अधिक स्ट्रॉबेरी का उत्पादन कर लेते हैं। जिससे उनकी प्रतिवर्ष 8 लाख रुपए तक की कमाई होती है।

पहले करते थे कंस्ट्रक्शन का बिजनेस

46 वर्षीय शशिधर ने 10वीं तक शिक्षा पूरी की। उन्होंने कुछ समय तक एक प्राइवेट कंपनी में कार्य भी किया। इसके बाद वर्ष 2009 में स्वयं की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी प्रारंभ कर दी। कंस्ट्रक्शन का बिजनेस उन्होंने लगभग 9 वर्षों तक महाराष्ट्र में ही किया। इस बिजनेस में उनकी अच्छी कमाई हो जाती थी, लेकिन बहुत रुपए कमाने के बावजूद भी उन्हें यह काम रास ना आया, उन्हें जीवन में सुकून की कमी महसूस हुई।

स्ट्रॉबेरी की खेती का प्रशिक्षण लिया, फिर खेती शुरू की

जब शशिधर महाराष्ट्र में काम-काम किया करते थे, उसी दौरान उन्हें स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में पता चला था। वे महाराष्ट्र में महाबलेश्वर में रहते थे, यह स्थान स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए विख्यात है। अतः शशिधर के मन में भी स्ट्रॉबेरी की खेती प्रारंभ करने का विचार आया। हालांकि उन्हें खेती के बारे में पूर्व में कुछ जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्होंने इसके लिए 1 वर्ष तक स्ट्रॉबेरी की खेती का प्रशिक्षण लिया।

शशिधर ने एक एजेंट की सहायता से कैलिफोर्निया से स्ट्रॉबेरी के 250 पौधे मंगवाए और इन 250 पौधों से इन्होंने सबसे पहले वर्ष 2019 के सितंबर माह से खेती प्रारम्भ कर दी। हालांकि प्रारंभ में उनके लिए यह कार्य जोखिमभरा था, क्योंकि अधिक बरसात आने के कारण कुछ पौधे नष्ट हो गए।

बहुत से लोगों ने तो उनको यह भी कहा की यहाँ की-की जलवायु में स्ट्रॉबेरी की खेती असंभव है, यह खेती ठंडे स्थानों पर ही हो सकती है। परन्तु शशिधर ने निश्चय कर लिया था, वे पीछे नहीं हटे। फिर उन्होंने धारवाड़ जैसे गर्म प्रदेश में ही स्ट्रॉबेरी की खेती भी की और इसमें सफल भी हुए। आज वे ख़ुद बहुत से व्यक्तियों को इस खेती का प्रशिक्षण देते हैं।

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30 टन से अधिक स्ट्रॉबेरी का उत्पादन करते हैं

वर्तमान समय में शशिधर के पास 30 हज़ार से भी अधिक स्ट्रॉबेरी के पौधे हैं और वे इसकी 4 विभिन्न किस्मों की खेती करते हैं। स्ट्रॉबेरी के साथ रास्पबेरी तथा मलबरी की खेती का काम भी उन्होने शुरू किया है। इतना ही नहीं उन्होंने स्ट्रॉबेरी की प्रोसेसिंग की शुरूआत भी की है। जिसके तहत वह जेली, जैम व चॉकलेट बनाकर बाज़ार में विक्रय करते हैं। अपनी उपज का 30 प्रतिशत भाग वे इस हेतु रखा करते हैं। अब तो शशिधर स्ट्रॉबेरी के साथ 10 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से पौधे भी बेचते हैं।

अब वह अपनी एक एकड़ ज़मीन द्वारा 30 टन से भी अधिक स्ट्रॉबेरी का उत्पादन करते हैं। वे कहते हैं कि प्रारंभ में वे स्वयं बाज़ार में जाया करते थे और अलग-अलग रिटेलर्स के पास जाकर अपने उत्पाद बेचते थे। अब तो बहुत से बड़े फूड सुपर मार्केट तथा कंपनियों ने उनसे प्रोडक्ट खरीदने हेतु एडवांस बुकिंग कर रखी है। शशिधर अब शीघ्र ही ऑनलाइन मार्केट अपने उत्पाद बेचने की प्लानिंग कर रहे हैं। उनके साथ 20 व्यक्ति काम करते हैं। जिनमें से 14 स्त्रियाँ हैं।

किस तरह की जाती है स्ट्रॉबेरी की खेती

शशिधर बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती करना ज़्यादा कठिन नहीं होता है। इसकी फ़सल के लिए सही जलवायु भी चाहिए होती है परन्तु यदि आप पूरी तैयारी से इसकी खेती शुरू करेंगे तो आपका उत्पादन अच्छा ही होगा। इस फ़सल के लिए मानसून के मौसम के अंत से लेकर फरवरी माह तक का समय उपयुक्त होता है। अगस्त तथा अक्टूबर के माह में इसकी प्लाटिंग होती है। वे यह भी बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती में केवल 30×40 स्क्वायर फीट जितनी ज़मीन में ही 500 स्ट्रॉबेरी के पौधे लग जाते हैं।

शशिधर रोजाना नियम से पौधों को साफ़ करते हैं, सूखी हुई पत्तियों को हटाते हैं, जिससे कि कटाई के समय किसी तरह की समस्या ना आए। पौधों में नमी बना रहना भी आवश्यक होता है अतः ड्रिप इरीगेशन पद्धति से सिंचाई करना लाभकारी रहता है। उनके अनुसार इस समय बाज़ार में ताज़ा स्ट्रॉबेरी की मांग काफ़ी अधिक है इसलिए जो कंपनियाँ फल बेचती हैं वे सीधे ही उत्पाद को खरीद लेती हैं।

स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

इसकी खेती के लिए आपको ध्यान रखना है कि मिट्टी अच्छी होनी चाहिए जिससे पौधों को सही पोषण मिल सके। पौधों को प्रतिदिन नियमित रूप से पानी देना होगा। घर से निकलने वाले गीले कचरे द्वारा ही कंपोस्ट खाद बनाकर इसमें डाल सकते हैं। पौधों के आस पास गंदगी नहीं होनी चाहिए और सूखे पत्तों को भी निकाल देना चाहिए।

स्ट्रॉबेरी के फायदे

स्ट्रॉबेरी स्वादिष्ट तो होती ही है साथ ही इसमें अत्यधिक पोषक तत्व भी होते हैं। स्ट्रॉबेरी खाने से इम्यूनिटी पावर बढ़ती है और बहुत से रोगों से बीमारियों बचाव भी होता है। साथ ही इसमें कई तरह की विटामिन्स और अधिक फाइबर भी पाया जाता है।

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News Desk
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