70 के दशक में अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत करने वाले शरत सक्सेना (Sharat Saxena) एक ऐसा नाम जिनकी छवि लोगों के दिमाग़ में फ़िल्मों में पिता, विलेन, अंकल जैसे सपोर्टिंग रोल की है। अब तक शरत 160 से भी अधिक फ़िल्मों में काम कर चुके हैं।
शरत सक्सेना (Sharat Saxena) ने विलेन और सपोर्टिंग रोल के साथ ही कई हिट फ़िल्मों जैसे मिस्टर इंडिया, घायल, खिलाड़ी, ग़ुलाम, साथिया के साथ-साथ उन्होंने सोल्जर, बाग़बान, फ़ना और कृष जैसी हिट फ़िल्मों में भी काम किया है। इन फ़िल्मों में उनकी शानदार एक्टिंग को लोगों ने काफ़ी सराहा।
शरत सक्सेना का इंटरव्यू वीडियो आप यहाँ देख सकते है
शरत सक्सेना (Sharat Saxena) की फ़िल्मों का सफ़र बहुत ही मुश्किलों भरा रहा है। क्योंकि इन्हें बॉलीवुड में असली पहचान मिलते-मिलते पूरे 30 साल लग गए। फ़िल्म इंडस्ट्री के ज्यादातर लोग इन्हें जूनियर आर्टिस्ट, एक्शन हीरो या विलेन के रूप में ही देखते थें। उन्होंने बताया कि इनके पिता जी भी अपने ज़माने में इलाहबाद यूनिवर्सिटी में एथलीट हुआ करते थे। उन्हीं से प्रेरित होकर शरत का भी थोड़ा बहुत लगाव एथलीट की तरफ़ था। यही कारण था कि फ़िल्मों के डायरेक्टर को मुझमें हीरो नज़र नहीं आता था।
CINTAA (Cine & TV Artists Association) को दिए एक इंटरव्यू में शरत सक्सेना ने बताया था कि “जब वह बॉलीवुड में अपने फ़िल्मी सफ़र को शुरू करने के लिए गए थे उस ज़माने में जिन लोगों के थोड़े मसल्स हुआ करते थे या जो लोग थोड़े पहलवान की तरह दिखते थे उन्हें लेबर क्लास का समझा जाता था। इस तरह के लोगों को अच्छी एक्टिंग के लिए नहीं चुना जाता था। ना ही ऐसे लोग डायरेक्टर या राइटर भी बन सकते थे।”
इसी इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि “मैने पूरे 30 सालों तक इंडस्ट्री में फ़ाइटर का काम किया और जब भी डायलॉग की बात आती थी, तब हमें सिर्फ़” येस बॉस, सॉरी बॉस, आगे से नहीं होगा बॉस” जैसे शब्दों को बोलने का मौका मिलता था। फ़िल्म इंडस्ट्री में लगभग 30 साल होने के बाद शाद अली जो की फ़िल्म डायरेक्टर हैं उन्होंने अपनी फ़िल्म ‘साथिया’ में शरत को हीरोइन के पिता का एक बहुत छोटा-सा रोल दिया। उसे काफ़ी लोगों ने पसंद किया और यह पहली बार हुआ जब मैं विलेन या फाइटर के एक्टिंग से बाहर निकलकर किसी मेन कैरेक्टर को कर पाया।
शरद सक्सेना ने कहा कि “हमारे देश में लोगों का ऐसा मानना है कि राम जी की पूजा होती है तो हीरो बिलकुल भगवान राम की तरह ही गोरे, सीधे बाल वाले होने चाहिए। जबकि हमारे मध्य प्रदेश में अब ऐसे लोग नहीं होते, वहाँ मेरे जैसे बॉडी वाले लोग होते हैं। इसलिए हम जैसे लोगों को ज्यादातर डायरेक्टर विलेन बना देते हैं।”
पिछले कुछ दिनों से शरत सक्सेना द्वारा दिए हुए एक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल किया जा रहा है और एक बार फिर शरद लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।