इंसान की ज़िन्दगी में चाहे लाख मुश्किलें आए, वह अपने सकारात्मक विचारों, मेहनत और जज्बे से बड़ी से बड़ी बाधाओं को मजबूती से पार कर लेता है। कुछ ऐसे ही हैं पितांबर की कहानी, जिन्होंने साल 2010 में एक एक्सीडेंट में अपना एक हाथ खो दिए।
पितांबर की कहानी कुछ इस तरह है कि वह एक ट्रक ड्राईवर काम करते थे। उनकी जिंदगी, उनका घर परिवार बहुत ही अच्छे से चल रहा था लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था और दुर्भाग्यवश साल 2010 में उनका एक्सीडेंट हो गया और उन्हें अपना एक हाथ खोना पड़ा। अपना एक हाथ गंवाने के बाद उनके लिए ट्रक ड्राइवर का काम करना बहुत मुश्किल हो गया। उनकी ज़िन्दगी जैसे बदल दी गई। कुछ भी पहले जैसा नहीं रहा।
इतना सब कुछ होने के बाद भी पीतांबर ने हार नहीं मानी और अपने इस ज़िन्दगी को एक नए सिरे से जीना शुरु किया। अपने परिवार का भरण पोषण और इस सदमे से बाहर निकलने का फ़ैसला कर उन्होंने एक बिरयानी शॉप पर काम करना शुरू किया और अपनी आर्थिक स्थिति को संभाला। अब वह दिन में दुकान में काम करते हैं उसके बाद रात में सड़क किनारे अपना फ़ास्ट फ़ूड का ठेला लगाते हैं।
उन्होंने अपनी दुकान का नाम कृष्णा फास्ट फूड सेंटर रखा है। वह बल्लभगढ़ में सिर्फ़ एक हाथ से काम करते हैं और अपना ठेला भी चलाते हैं। बाक़ी लोगों की तरह पितांबर को भी लॉकडाउन की वज़ह से परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्हें उम्मीद है कि वह जल्द ही इस आर्थिक संकट से भी बाहर निकल जाएंगे और उनकी दुकान फिर से पहले जैसी चलने लगेगी।
वाकई पितांबर की सड़क पर ठेला लगाकर जीवन यापन करने की कहानी, साथ ही उनकी हिम्मत और समर्पण सभी के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।