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सिर्फ 300 की लागत से राजस्थान के शख़्स ने दिव्यांग स्ट्रीट डॉग के लिए बनाया व्हीलचेयर

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वैसे तो कहते हैं कि जानवर बेज़ुबां होते हैं लेकिन फिर भी उनमें भावना कूट-कूट कर भरी होती है और जो इंसान उनकी भावनाओं को, उनके दर्द को समझ ले वही सही मायने में इंसान कहलाता है। एक ऐसे ही इंसान हैं राजस्थान के लक्ष्मण, जिन्होंने जानवरों के बारे में कुछ अलग हटकर सोचा, उनके दर्द को पहचाना। आपको बता दें लक्ष्मण ने दिव्यांग कुत्तों के लिए एक बहुत ही आरामदायक और हल्की व्हीलचेयर को डिजाइन किया है।

राजस्थान के बीकानेर शहर के रहने वाले हैं लक्ष्मण मोदी (Laxman Modi)। उन्होंने स्ट्रीट डॉग्स यानी (गली के कुत्तों) के उस दर्द को समझा जिसे अक्सर लोग इग्नोर कर दिया करते हैं। उन्होंने सामान्य कुत्तों के बजाय दिव्यांग कुत्तों के बारे में कुछ करने का सोचा, जो चल या दौड़ पाने में असमर्थ होते हैं। इसलिए लक्ष्मण ने एक ऐसे व्हीलचेयर का निर्माण किया है जो उन दिव्यांग कुत्तों के लिए बहुत ही हल्की और आरामदायक है।

Laxman Modi

वैसे तो लक्ष्मण ख़ुद का पीवीसी पाइप का बिज़नेस करते हैं। अपने बिजनेस के साथ-साथ उन्हें पर्यावरण और पशुओं से भी बहुत ज़्यादा प्रेम है। वह और भी कई सामाजिक कार्यों से जुड़े रहते हैं और लोगों की मदद करते हैं। लक्ष्मण जैसे ही किसी बेजुबान जानवर को दर्द में देखते हैं तो वह भी तड़प उड़ते हैं और उन्हें ठीक कराने की हरसंभव कोशिश करते हैं। इसलिए उन्होंने बहुत ही सस्ते और आरामदायक व्हीलचेयर को डिजाइन किया है। इसके साथ ही साथ वह कई स्ट्रीट डॉग्स को अपने घर में भी पनाह दे रखें है। उनके इस इनोवेशन की चर्चा लोगों के बीच काफ़ी जोर-शोर से चल रही है।

क्या है व्हीलचेयर के पीछे की कहानी?

लक्ष्मण को इस व्हीलचेयर को निर्माण करने का विचार उस समय आया जब उन्होंने एक ऐसे कुत्ते को देखा जिसके पीछे के दोनों पैर एक दुर्घटना में डैमेज हो गए थे और वह दर्द से छटपटा रहा था।

तब लक्ष्मण उस कुत्ते को तुरंत अस्पताल ले गए और वहाँ पशु अस्पताल प्रशासन से इसका कोई समाधान पूछा तब उन्होंने लक्ष्मण को दिव्यांग जानवरों के व्हीलचेयर के बारे में बताया। लेकिन समस्या यह थी कि वह व्हीलचेयर काफ़ी भारी थी जो वज़न की वज़ह से पलट जाती थी। काफ़ी विचार के बाद लक्ष्मण ने पीवीसी पाइप के प्रयोग से एक हल्के व्हीलचेयर बनाने के बारे में सोचा और उन्होंने सिर्फ़ छह फीट पीवीसी पाइप, 2 एन्ड कप, बच्चो की साईकल का पहिया और 4 एल्बो के इस्तेमाल से इस व्हीलचेयर को अपने तीसरे प्रयास में ही बना दिया। इसमें ख़र्च भी सिर्फ़ 300 रुपए हुए।

Laxman Modi

लक्ष्मण ने बताया कि इस व्हीलचेयर को बनाने में अगर नए पार्ट्स का भी इस्तेमाल किया जाए तब भी यह 500 रुपये में आसानी से बन जाएगा। उनके बनाए हुए इस व्हीलचेयर में कुत्ते को बाँधना पड़ता है फिर वह आराम से चल-फिर सकता हैं। लेकिन कुत्ते को बैठाते समय इस व्हीलचेयर को खोल देना पड़ता है क्योंकि इसके साथ उनका बैठना मुश्किल है।

पशु अस्पताल भी कर रहे हैं तारीफ़

पशु अस्पताल प्रशासन भी उनके बनाए हुए इस व्हीलचेयर की प्रशंसा कर रहा है। काफी लोग भी लक्ष्मण को फ़ोन करके इस व्हीलचेयर के बारे में सारी जानकारियाँ ले रहे हैं।

भीड़ से बचने के लिए अस्पताल में टोकन सिस्टम लगवाया

इसके साथ ही लक्ष्मण ने अस्पतालों में लंबी भीड़ की समस्या को दूर करने के लिए अस्पताल प्रशासन से बात कर बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में टोकन सिस्टम लगवाया हैं, जिससे किसी को जांच के लिए लंबी लाइन में नहीं लगना पड़े और वह टोकन लेकर अपनी बारी का इंतज़ार कर सकते हैं।

लक्ष्मण मोदी का वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें

कुछकुछ सफल हो रहा है प्रयोग

Posted by Laxman Modi on Wednesday, September 23, 2020

28 बच्चों को शिक्षा से जोड़ा

जानवरों के अलावा लक्ष्मण ने शहर के तालाब की भी सफ़ाई और सार्वजनिक स्थानों पर डस्टबिन रखवाया हैं। लक्ष्मण अबतक झुगी-झोपड़ियों में रहने वाले 28 बच्चों को शिक्षा से भी जोड़ चुके हैं। उन्होने पहले ख़ुद ही सारे बच्चो को पढ़ाया, उसके बाद उन सबका दाखिला स्कूल में करवाया।

सच में लक्ष्मण मोदी लोगों के लिए अपनी निःस्वार्थ सेवा भावना के कारण सभी लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।

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News Desk
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तमाम नकारात्मकताओं से दूर, हम भारत की सकारात्मक तस्वीर दिखाते हैं।

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