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चरवाहे परिवार की 8 बेटियां बनीं नेशनल प्लेयर, जिसमें 5 पुलिस में कांस्टेबल हैं, परिवार का नाम किया रौशन

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राजस्थान; ये 21 वीं सदी है। इसमें कुछ भी असंभव नहीं है। पर राजस्थान जैसे राज्य में बेटियों का पैदा होना अब भी आभिशाप माना जाता है। वहाँ आज भी बेटियों को समाज की नजरों से छुपा कर रखा जाता है। लेकिन आज हम आपको जिस गाँव की कहानी बताने जा रहे हैं वह ग़ज़ब की है। दुनिया इस परिवार से बहुत कुछ सीखना चाहती है। इसके बारे में जानना चाहती है। इस परिवार की बेटियों ने आज जो कर दिखाया है वह उनके गाँव के किसी आदमी ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।

हम बात राजस्थान के चुरू जिले की कर रहे हैं। जहाँ एक ही परिवार की आठ बेटियों ने कमाल कर दिखाया है। इन 8 लड़कियों ने एथलेटिक्स में अपनी पहचान बनाई है। ये लड़कियाँ किसी बड़े परिवार से भी तालुक नहीं रखती। इनका परिवार चरवाहे का काम करता है। साथ-साथ खेती का काम भी करता है। ये 8 लड़कियां एक ही परिवार के 3 भाइयों की बेटी हैं। इन्होंने अपने खेत को मैदान बनाया, जहां इन लोगों ने परिश्रम किया और परिवार के साथ-साथ गांव का नाम भी रौशन किया।

सिपाही हैं परिवार की पांच बहनें

गांव के ही एक व्यक्ति ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि इनके गाँव की आठ बहनें जो कि एथेलेटिक्स में तो कमाल कर ही रहीं हैं। जिन पर पूरा गाँव गर्व करता है। उसने साथ ही बताया कि उनके गाँव की पांच ऐसी बहनें भी हैं जो पुलिस विभाग में सिपाही भी हैं। इन बहनों ने भी एक परिवार से होने के चलते करिश्मा ही कर दिखाया है। आइए अब हम आपको एक-एक करके सभी बहनों के जीवन का परिचय देते हैं। कि इन्होंने कैसे हासिल की ये कामयाबी।

1 – सरोज, जो कर चुकी 30 गोल्ड मेडल अपने नाम

देवकरण (Devkaran) जो कि पेशे से खेती और भेड़-बकरियाँ पालने का काम करते हैं। इनकी सुपुत्री सरोज (Saroj) ने तो मानो कमाल ही कर दिखाया है। सरोज ने पोस्ट ग्रेजुएट (Post Graduate) तक अपनी पढ़ाई पूरी की है और वह खेलों में भी भाग लेती रहती है। सरोज ने खेलों के क्षेत्र में अबतक लगभग 30 गोल्ड मेडल जीते हैं। उनके दादा बताते हैं कि सरोज पिछले दस सालों से खेलों में सक्रिय रूप से भाग ले रही है। ऐसा नहीं है कि सरोज अब केवल परिवार और खेल खेलने तक ही सीमित है। आज वह राजस्थान में बतौर सिपाही बन लोगों को सुरक्षा देने का काम कर रही है। एक खिलाडी, एक पुलिस के रूप में देखकर उनका पूरा परिवार उनके ऊपर गर्व करता है।

2 – सुमन, जो कि राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स हैं

सुमन चौधरी (Suman chaudhary) भी देवकरण (Devkaran) जी की सुपुत्री है। सुमन ने एमए (MA) प्रवेश तक की पढ़ाई की हुई है। सुमन भी आज एथलेटिक्स की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रह चुकी है। सुमन ने एथलेटिक्स में कई पुरस्कार भी जीते हैं। साथ ही लगातार एथलेटिक्स में अभ्यास कर रही है।

3 – कमलेश, जो 6 मेडल कर चुकी है अपने नाम

यह भी देवकरण (Devkaran) जी की सुपुत्री है। कमलेश (Kamlesh) ने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है। कमलेश ने अबतक 6 राष्ट्रीय स्तर के मेडल अपने नाम किए हैं। वर्तमान में राजस्थान पुलिस में बतौर कांस्टेबल जयपुर में कार्यरत है। खेलों में नाम कमाने के बाद पुलिस में आकर कमलेश का सेवा करना काबिले तारीफ है। इस बात से इनका पूरा गाँव फूले नहीं समाता।

4 – कैलाश, जो कि सीआईडी सीबी में है कांस्टेबल

कैलाश कुमारी पुत्री शिशुपाल कोठारी (चौधरी) : देवकरण के भाई शिशुपाल की बेटी कैलाश कुमारी भी नेशनल स्तर पर खेल चुकी है। कैलाश भी अपनी बहनों की तरह एथलेटिक्स है। कैलाश राष्ट्रीय स्तर तक की खिलाड़ी रह चुकी हैं। कैलाश ने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की हुई है। कैलाश वर्तमान में CID CB में जयपुर में बतौर कांस्टेबल कार्यरत है।

5 – सुदेश, जो कि कांस्टेबल हैं

सुदेश (Sudesh) भी शिशुपाल की सुपुत्री हैं। अपनी बहनों की तरह ये भी किसी से कम नहीं हैं। सुदेश ने राज्य स्तर तक एथलेटिक्स में भाग लिया हुआ है। पढ़ाई में सुदेश ने भी पास के काॅलेज से ग्रेजुएशन (Graducation) पास किया हुआ है। साथ ही वह इस समय पुलिस में बतौर कांस्टेबल तैनात हैं।

6 – निशा, जो जीत चुकी है 20 पदक

निशा (Nisha) भी शिशुपाल (Shishupal) की सुपुत्री है। अपनी बहनों की तरह निशा ने भी खेलों में एक मुकाम स्थापित किया है। निशा ने राष्ट्रीय स्तर तक खेलों में भाग लिया हुआ है। साथ ही राज्य स्तरीय खेलों में 20 पदक अपने नाम कर चुकी है।

7 – पूजा, जिसके नाम हैं 5 मेडल

पूजा (Pooja) जो कि शिशुपाल की सुपुत्री है। अपनी बहनों की तरह इसने भी ग्रेजुएशन (Graduation) तक पढ़ाई की हुई है। खेलों की बात करें तो पूजा अबतक अपने नाम 5 मेडल कर चुकी है। जिसपर उसका पूरा परिवार नाज़ करता है।

8 – सुमित्रा, जो RAC में हैं कांस्टेबल

सुमित्रा (Sumitra) रामस्वरूप (Ramswarup) की सुपुत्री हैं। सुमित्रा ने बीएड तक पढ़ाई की हुई है। सुमित्रा भी एथलेटिक्स में भाग ले चुकी हैं और अपने नाम राज्य स्तर पर दो मेडल भी किए हुए हैं। सुमित्रा इस समय RAC में बतौर कांस्टेबल तैनात हैं।

चुरू जिले की इन बेटियों ने वाकई ग़ज़ब कर दिखाया है। हर किसी की झोली मेडल से भरी हुई है। कोई बतौर पुलिस में तैनात होकर देश की सेवा कर रही है। कोई मेडल जीतकर देश का सम्मान बढ़ा रही है। ऐसी बेटियों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए कि कैसे समाज और सोच में बदलाव किया जा सकता है। कुछ लोग जहाँ आज भी बेटियों को पराया धन मानते हैं, तो इन बेटियों की गौरव गाथा को पढ़ समझ सकते हैं कि जो इन बेटियों ने कर दिखाया वह शायद बेटे भी ना कर पाते। ‘AWESOME GYAN‘ इन बेटियों को सलाम करता है।

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